फिर मासिक धर्म किसका क़ानून हुआ? क़ुदरत का ही ना, या इसे भी तमाम हज़ारों मंगठित चली आ रही प्रथाओं का नाम देंगे? दे सकते है? प्रकृति के ख़िलाफ़ जाकर कबतक और कितने गाओकोर बनाएँगे और कितनी छौपदी को ज़िंदा रखेंगे? कब तक तराज़ू के पलड़े को अपनी और झुकाए रखेंगे? जा सकते है सृष्टि के विरुद्ध, जवाब दीजिए?
अब किसे दोषी ठहराए? नेपाल को, या भारत को, या बांग्ला को, या फिर ख़ुद को ही? वासियों से ही बनता है ना देश भी? जवाब दीजिए।