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“बिहार के इस गाँव में अधिकांश लोगों को पता ही नहीं कि ईवीएम क्या है”

ईवीएम मशीन

ईवीएम मशीन

वोटिंग के संदर्भ में देशभर के ग्रामीण इलाकों में जागरूकता की काफी कमी दिखाई पड़ती है। हाल ही में मैंने गया के पांच ब्लॉक के 24 पंचायतों का दौरा किया है, जिनमें तकरीबन 150 से ज़्यादा गाँवों को करीब से जानने का मौका मिला।

मैं अपने सरकारी स्कूल और कॉलेज की हालत, ग्रामीण महिलाओं के साथ काम करने और उन्हें जानने के लिए घूम रहा था लेकिन इसी दौरान मेरी मुलाकात चुनाव वाले पड़ाव से हो गई। वहां का नज़ारा ही कुछ और है, जिसे हम जैसे युवाओं को साथ मिलकर सुधारना होगा।

वोट देते लोग

दरअसल, बात यह है कि ग्रामीण इलाकों के लोग जब भी वोट डालने पोलिंग बूथ पर जाते हैं तो उनके दिमाग में कई तरह की दुविधाएं होती हैं क्योंकि ज्यादातर लोगों ने कभी भी वोटिंग मशीन यानि ईवीएम देखा ही नहीं है।

इन समस्याओं के समाधान:

पंचायत लेवल पर डमी वोटिंग ट्रेनिंग होनी चाहिए

चलिए आपको हाल में हुए चुनावों का एक वाक्या सुनाता हूं। गया ज़िले के टनकुप्पा ब्लॉक के भेटोरा पंचायत के प्राथमिक विद्यालय में वोटिंग चल रही थी। वहीं पर तकरीबन 65 वर्ष की महिला पोलिंग बूथ पर पहुंची और वोट डालने वोटिंग मशीन के सामने खड़ी हो गई। तकरीबन 10-15 मिनट तक वह वैसी ही खड़ी रह जाती है। मेरे गाँव में अधिकांश लोगों को पता ही नहीं कि ईवीएम क्या है।

वहां के अफसर उसे कहते हैं, “डालने आता है तो डालो वरना चलते बनो।” जब वह औरत बिना बटन दबाए वापस लौट जाती है तब मेरे पूछने पर उन्होंने बताया कि उन्होंने वह मशीन पहली बार देखी थी इसलिए वोट नहीं डाल पाई। बहुत लोगों को इस समस्या से जूझना पड़ता है। इसका एक उपाय यह है कि चुनाव आयोग को पंचायत लेवल पर ग्रामीण लोगों के लिए एक सप्ताह तक डमी वोटिंग ट्रेनिंग करवाना चाहिए ताकि लोगों को समझ आए कि वोट कैसे डालना है।

कॉलेज छात्रों को तीन महीने के लिए इंटर्नशिप प्रोग्राम के ज़रिये शामिल करना ज़रूरी है

आज अगर आप किसी भी इलाके का चुनाव देखें तो आपको पता चलेगा कि वोटिंग प्रतिशत बहुत कम है। इसका कारण यह है कि छात्रों का चुनाव में एक्टिव पार्टिसिपेशन बहुत कम है। चुनाव आयोग ने ऐसा कोई तरीका नहीं निकाला है, जिससे पंचायत लेवल के कॉलेज स्टूडेंट्स को शामिल किया जा सके।

चुनाव आयोग को एक प्रोग्राम तैयार करना चाहिए जिसमें वह कॉलेज स्टूडेंट्स को इंटर्नशिप ऑफर करे जिसमें वे डमी वोटिंग ट्रेनिंग का हिस्सा हो सके। इसका सीधा फायदा यह होगा कि वोटिंग को लेकर युवाओं के बीच अपने आप जागरूकता आएगी।

देश में कहीं से भी वोट देने का प्रावधान होना चाहिए

नौकरी से छुट्टी नहीं मिलने के कारण कई लोग वोटिंग के दिन अपने घर वापस नहीं आ पाते हैं। आज यही कारण है कि देश में वोटिंग प्रतिशत बहुत कम है क्योंकि लोग चाहते हुए भी वोट नहीं डाल नही पाते हैं।

आज देश में ‘एक देश एक टैक्स’ की सुविधा है लेकिन आज भी दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में वोट कहीं से भी देने का अधिकार नहीं है। देश में कहीं से भी वोट देने का प्रावधान होना चाहिए। इसके लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग करना होगा।

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