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छत्तीसगढ़ में बड़ा माओवादी हमला, विधायक मंडावी समेत 5 लोगों की मौत

नक्सली हमला

नक्सली हमला

घोर माओवाद प्रभावित दंतेवाड़ा ज़िले के नकुलनार इलाके में मंगलवार शाम माओवादियों द्वारा किए गए आईईडी ब्लास्ट में दंतेवाड़ा से भाजपा विधायक भीमा मंडावी की मौत हो गई। हमले में चार जवान शहीद हो गए।

घटना से पहले पुलिस ने विधायक मंडावी को छोटे रास्ते से जाने के लिए मना किया था और माओवादी हमले की आशंका व्यक्त की थी लेकिन मंडावी नहीं माने और उसी रास्ते से गए, जहां घात लगाए बैठे माओवादियों ने बारूदी विस्फोट कर विधायक के वाहन को उड़ा दिया।

भीमा के वाहन के पीछे तीन अन्य वाहन चल रहे थे। इसमें दो वाहनों में 8 जवान और उनके समर्थक बैठे थे। फायरिंग होता देख जान बचाने के लिए इधर-उधर छिप गए। विस्फोट इतना जबरदस्त था कि पांच किमी दूर तक उसकी आवाज़ सुनाई दी। घटनास्थल पर सात फुट चौड़ा गड्डा हो गया।

दंतेवाड़ा ज़िले के गदापाल निवासी भीमा मंडावी 2008 में विधायक चुने गए थे। 2013 के विधानसभा चुनाव में काँग्रेस की देवती कर्मा से हार गए थे लेकिन 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा ने टिकट दिया। इस बार देवती कर्मा को 2071 वोट से मात दी।

भाजपा विधायक भीमा मंडावी मंगलवार शाम तकरीबन पांच बजे श्यामगिरी में आयोजित मेले से वापस लौट रहे थे। इसी बीच नकुलनार थाने से 4 किमी पहले घात लगाकर बैठे माओवादियों ने ब्लास्ट किया। पुलिस के अनुसार माओवादियों ने घटना में तकरीबन 70 किलो आईईडी का इस्तेमाल किया था।

फोटो साभार: तुहिन देब

विस्फोट के तत्काल बाद छिपे हुए माओवादियों ने फायरिंग करनी शुरू कर दी जो कि लगभग आधे घंटे तक चलती रही। दंतेवाड़ा के एसपी डॉ. अभिषेक पल्लव ने माना कि पुलिस के पास इस किस्म के हमलों को लेकर इंटेलिजेंस की सुचना थी इसलिए एक बूथ को शिफ्ट भी किया था और विधायक मंडावी को भी सुचना दी थी।

सोमवार को भी भीमा मंडावी और अन्य उम्मीदवारों के साथ माओवादियों से मोर्चा लेने वाले डीआरजी जवानों की टीम भी थी और इस वजह से कोई घटना नहीं घटी। भाजपा विधायक भीमा मंडावी ने सोमवार को ही आम जनता के बीच श्यामगीरी मेले में जाने की बात कही थी, जिसकी जानकारी वहां मौजूद माओवादियों को हो गई थी।

बचेली कुंवाकोंडा मार्ग पर भीमा मंडावी की गाड़ी को ब्लास्ट से उड़ाने की योजना 24 घंटे पहले बनाई गई थी। मंगलवार को उस 13 किमी के बचेली कुंवाकोंड़ा मार्ग की चुनावी व्यस्ता से डीमाईनिंग नहीं की जा सकी थी, जिसकी जानकारी मृत्यु से पहले भीमा मंडावी को थी। टीआई बचेली शील आदित्य सिंह द्वारा बार बार मना किए जाने के बाद भीमा मंडावी ने काह कि नहीं जाऊंगा फिर भी उसी रास्ते को चुन लिया जहां माओवादियों ने लैंडमाइन्स बिछा रखी थी।

फोटो साभार: तुहिन देब

आश्चर्यजनक बात है कि बचेली और कुंवाकोंड़ा के टीई क्रमश: शील आदित्य सिंह और जीतेन्द्र साहू को पता था कि विधायक जी मना किए जाने के बावजूद खतरनाक रास्ते पर निकल गए हैं। भीमा मंडावी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ आरएसएस से जुड़े कट्टर हिंदुत्त्वादी नेता थे, जो आदिवासियों से आदिवासियों को लड़ाने वाले खूनी संघर्ष सरकारी सलवा जुडूम अभियान से भी जुड़े थे।

ज़ेड श्रेणी की सुरक्षा में खुद को महफूज़ समझने की चूक में मारे गए मंडावी। माओवादियों ने इसके पहले भी उनको निशाना बनाया था लेकिन वह बच निकले थे। 25 मई 2013 को बस्तर के झीरम घाटी में काँग्रेस की परिवर्तन यात्रा पर हमला कर माओवादियों ने काँग्रेस के बड़े नेताओं समेत 29 लोगों को मार दिया था।

यह घटना भी विधानसभा चुनाव के दौरान घटी थी। यह समझा जाता है कि झीरम घाटी हमले के पीछे एक षडयंत्र था। बचेली से नकुलनार का यह 38 किमी मार्ग खूनी सड़क के नाम से फेमस है। यह पहली बार है, जब 15 वर्ष तक छत्तीसगढ़ में सत्ता में रहे भाजपा के किसी विधायक की माओवादी हिंसा में मौत हुई है।

नोट: लेखक तुहिन देब छत्तीसगढ़ से स्वतंत्र पत्रकार हैं।

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