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क्या भारत में हेल्थ केयर कभी प्रमुख चुनावी मुद्दा बनेगा?

अस्पताल में मरीज़

अस्पताल में मरीज़

लोकसभा चुनावों में बहुत सारे मुद्दों की चर्चा हो रही है। यह आपको तय करना है कि ये मुद्दे असल में लोगों से जुड़े हैं या नहीं। मुझे लगता है कि चुनाव कौन से मुद्दों पर लड़ना चाहिए, यह लोगों को तय करने की ज़रूरत है मगर अफसोस है कि हमारे नेता ही यह सब तय कर लेते हैं।

इन सबके बीच मीडिया द्वारा भी गैरज़रूरी मुद्दों को ही चुनाव का प्रमुख मुद्दा बनाया जाता है। लोगों से जुड़े मुद्दों को ना तो मीडिया समझता है और ना ही नेता समझना चाहते हैं। इसी चक्कर में कई ज़रूरी मुद्दे चुनावों के प्रमुख मुद्दे नहीं बन पाते हैं।

ऐसे मुद्दों में से एक मुद्दा है ‘हेल्थ केयर’ का जो चुनाव का प्रमुख मुद्दा होना चाहिए मगर अफसोस इसे प्रमुख मुद्दा तो छोड़िए, हमारे नेता और मीडिया चुनाव का मुद्दा ही नहीं समझते हैं।

नरेन्द्र मोदी। फोटो साभार: Getty Images

प्रधानमंत्री जी ने चुनावी सभाओं में हेल्थ केयर पर कितना समय दिया है? मीडिया ने हेल्थ केयर से जुड़े कितने सवाल उठाए है? इन मुद्दों को प्राइम टाइम में कितनी जगह मिली है? जो प्रमुख विरोधी दल हैं, उन्होंने भी इन मुद्दों को चुनावों में कितना उठाया है?

ऐसे में कई सवाल हैं जो हर ज़हन में उठते हैं। हमें समझना होगा कि अन्य मुद्दों की तरह हेल्थ केयर को भी चुनावी मुद्दा बनाना होगा। आज हमारी हेल्थ केयर सिस्टम बहुत खराब हालात से गुज़र रही है। आज अगर हमने सही कदम नहीं उठाए तो आने वाले समय में बहुत गंभीर परिस्थितियों का सामना हमें करना पड़ सकता है।

भारत के हेल्थ केयर सिस्टम की स्थिति

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