सर्दी की सुबह थी और ठंडी हवाएं भी चल रही थीं तभी हमारी मुलाकात एक ऐसे इंसान से हुई जो सुबह काम की तलाश में लेबर चौक (ग्रेटर नोएडा) पर खड़े थे। उन्होंने पीले रंग की जैकेट पहनी थी, जो सर्दी से बचने के लिए नाकाफी थी। जब हम उनके पास गए तो उनकी आंखें चमक उठी और उन्होंने कहा, “साहब कोई काम करवाना है क्या?”
इस तरह हमारी मुलाकात एक ऐसे इंसान से हुई जो अपनी ख्वाहिशों को दबाकर जीविका चलाने के लिए एक मज़दूर के तौर पर काम करता है।
राज कुमार को सिंगर बनने का शौक
राज कुमार को बचपन से ही सिंगर बनने का शौक था। आज भी राज कुमार ने अपने इस शौक का ज़िंदा रखा है और वह रोज़ाना रियाज़ करते हैं। इस उम्मीद में कि आज नहीं तो कल उनका सपना ज़रूर साकार होगा।
उनका मानना है कि भगवान हर किसी को एक मौका ज़रूर देता है और वह भी उसी इंतज़ार में हैं। राज कुमार के गाने की रिकॉर्डिंग मुंबई स्टूडियो में भी हो चुकी है लेकिन सेहत ठीक नहीं रहने के कारण उन्हें वापस आना पड़ा।
राज कुमार दुनिया की भीड़ से एकदम अलग हैं। जब उनका इलाज दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में चल रहा था, तब मालूम हुआ कि उनका दिल लेफ्ट साइड की जगह राइट साइड में है और दुनिया में यह एक परसेंट लोगों में होता है, इसलिए उनका मानना है कि वह दुनिया के लोगों से बिल्कुल अलग हैं। राज कुमार की तरह हज़ारों लोग दिल्ली आते हैं और अपने ख्वाब को पूरा करने की कोशिश करते हैं।
राज सिंह की कहानी भी कुछ ऐसी ही है
जब हम लेबर चौक (परी चौक) पहुंचे जो नोएडा में सबसे बड़ा लेबर चौक है, हमने वहां देखा कि एक सभी से बात कर रहा है और सभी मज़दूर उसे ध्यान से सुन रहे हैं। हमने सोचा कि वह मज़दूर संघ का नेता हो सकता है लेकिन जब हमने लोगों से संपर्क किया तो उस व्यक्ति के बारे में अधिक जानने की उत्सुकता बढ़ी क्योंकि वह एक दिहाड़ी मज़दूर था। उसका नाम राज सिंह है।
राज सिंह बचपन से ही एक नेता बनना चाहता था। हम जानते हैं कि हमारे देश में आजीविका एक बहुत बड़ा मुद्दा है इसलिए उन्हें अपने सपने से समझौता करना पड़ा।
राज सिंह के अनुसार वह एक नेता नहीं है लेकिन अपना जीवन नेता के रूप में जीते हैं, जो मज़दूरों की मदद करता है। वह बताते हैं, “आज मैं एक मज़दूर के रूप में काम कर रहा हूं क्योंकि मैं अपना अध्ययन पूरा नहीं कर सका।”
राज सिंह की दो बेटियां हैं, जो स्कूल जाती हैं। वह भविष्य में एक नेता बनना चाहते हैं और देश सेवा करना चाहते हैं। वह बताते हैं, “मैं अपने सपने को पूरा नहीं कर सका लेकिन मैं यह सुनिश्चित करूंगा कि मेरी बेटियों का सपना पूरा हो, जिसके लिए मैं अपना 200% दूंगा।”
नोट: यह स्टोरी आज़म अब्बास और अमनजीत सिंह ने मिलकर की है।