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कमज़ोर विपक्ष और चाटुकार मीडिया के दौर में स्टूडेंट्स की भूमिका

एएमयू प्रोटेस्ट

एएमयू प्रोटेस्ट

पहले ज़ी न्यूज़ को जेएनयू भेजा गया। पूरे देश में जेएनयू स्टू़ेडेंट्स को देशद्रोही घोषित कर दिया गया। जेएनयू विवाद ने देश में चल रहे सरकार की नाकामी के किस्सों पर एक बार के लिए पर्दा डाल दिया।

अब फिर वही दौर हमारे सामने है। चारों ओर से घिरी भाजपा सरकार को देशभर में विरोध प्रदर्शनों का सामना करना पड़ रहा है। जुमलों के गुब्बारे फूट चुके हैं और सारे चुनावी वादे हवा हो गए हैं। अर्थव्यवस्था धाराशाई होने को है, बेरोज़गारी अपने चरम पर। सवर्ण आरक्षण और 13 प्वाइंट रोस्टर के खिलाफ आंदोलन गति पकड़ रहा है, ऐसे में नाकाम सरकार का बौखलाना लाज़मी है और सवालों का उठना भी।

फोटो सोर्स- Getty

अगर विपक्ष कमज़ोर और मीडिया सरकार की चाटुकार है तो, विश्वविद्यालय विपक्ष की भूमिका निभाते हैं। अगर विश्वविद्यालय जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, दिल्ली विश्वविद्यालय, हैदराबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय, अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी, जामिया मिलिया इस्लामिया जैसे हो तो कहना ही क्या। सरकार चाहे कोई भी हो, ये संस्थान आंखों में चुभने वाले कील की तरह हैं, जो सरकारों की धांधली की पोल खोलती हैं और पूरे देश की आवाम को असलीयत का आईना दिखाती हैं।

विश्वविद्यालय सभ्यता के पोषक होते हैं, विकास का केंद्र होते हैं। बिना स्टूडेंट्स और शिक्षकों के किसी देश की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। इसी ‘यूनीवर्सिटी फोबिया’ के चलते सरकारें स्टूडेंट्स को आवाम की नज़रों में असामाजिक तत्व साबित कर देना चाहती हैं, जिससे उनकी बात लोगों के बीच प्रभावहीन हो जाए और सरकारें हमेशा की तरह जनता को मूर्ख बनाकर अपनी रोटियां सेंकती रहें।

भाजपा सरकार को चुनौती देने वाले जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय पर 2016 में बड़ी तीव्रता से हमला किया गया और एक ही झटके में वहां के शिक्षकों और स्टूडेंट्स को देशद्रोही करार दिया गया। वो बात अलग है कि आज तीन साल बाद चार्जशीट दाखिल करने आई दिल्ली पुलिस को दिल्ली हाई कोर्ट से ज़ोरदार फटकार पड़ी और केंद्र सरकार को इस मामले में मुंह की खानी पड़ी।

चुनावी साल है, सरकार के पास दिखाने को रिपोर्ट कार्ड में गाय, गोबर, मंदिर, देशद्रोह के आलावा कुछ है नहीं। शिक्षा, स्वास्थ्य, रोज़गार, कृषि, विज्ञान, न्याय जैसे विषयों में शून्य अंक लाने वाली सरकार के पास अब अंत में देशभक्ति-देशद्रोह के अलावा कोई जुमला नहीं है, जिससे वह देश की जनता को गुमराह करके वोट बटोर सके।

अबकी बार देशद्रोही बनाया गया अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी को। इस बार ज़ी न्यूज़ की भूमिका में है रिपब्लिक टीवी। ऐसा लग रहा है मानो इनमें आपस में होड़ लगी है, अपने आपको सबसे बड़ा देशभक्त साबित करने की। क्या सरकार किसी भी मीडिया चैनल की नसीहत से अपने नागरिकों की देशभक्ति तय करेगी? लगता है कि सरकार में बैठे लोग बहुत भोले हैं क्योंकि उन्हें देश और बीजेपी में अंतर करना नहीं आता।

बीजेपी सरकार की नीतियों के खिलाफ उठने वाली आवाज़ को देश की खिलाफत मान लिया जाता है। राफेल मामले में घिरी सरकार ने एएमयू मामले को हवा दी है लेकिन अपने भोलेपन में बेचारे भूल गए कि लोगों ने जेएनयू मामले से बहुत कुछ सीखा है, इसलिए अबकी बार कोई और हथकंडा अपनाया जाए। भूलिए मत, विश्वविद्यालय ही ऐसी खोखली सरकारों की कब्रें खोदता है और वो भी सड़कों पर। आइए मिलते हैं 2019 के लोकसभा चुनाव की सड़क पर, पर्याप्त कब्रें खुदी पड़ी हैं।

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