तुझमें एक शक्ति है,
तुझमें एक ज्वाला है,
बस झांक अपने अंदर,
देश को उभारने की,
तुझमे भी एक भक्ति है।
राजनीति करती पुकार,
मुझे भी इस कीचड़ से निकाल,
तेरे नए विचारों से,
मुझको भी कर दे निहाल।
कर खुद अपनी समस्या को प्रकट,
संसद के उस भव्य मंदिर में,
रख खुद अपने विचारों को स्वतंत्र,
नेताओं की कई रैलियों में।
ना भाग तू अपने अधिकारों से,
ना पीछे मुड़ तू अपने कर्तव्योंं से,
तुझसे ही है यह सशक्त भारत,
इसीलिए कहते है, इसे युवाओ का नया भारत।
उठ आवाज़ बुलंद होकर,
पूछ सवाल निडर होकर,
कभी तो सुनेंगे बहरे नेता भी,
देश के करोड़ों युवाओं को भी।