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“नवीन बाबू ने अच्छा काम किया है…”

ये मैं नहीं कह रहा हूँ, ऐसा प्रधानमंत्री श्री मोदी जी ने कहा उड़ीसा के मुख्यमंत्री श्री नवीन पटनायक जी के लिए जब उन्होंने फोनी तूफान से निपटने का सरहानीय कार्य किया। मगर मुझे ऐसा लगता है कि उड़ीसा की जनता ने भी वोटिंग के माध्यम से यही जताना चाहा कि हाँ नवीन बाबू ने अच्छा काम किया है। नवीन पटनायक “बीजू जनता दल” के संस्थापक और कर्ता-धर्ता जिन्होंने अपने दल को आने पिता का नाम दिया। नवीन पटनायक एक ऐसा क्षेत्रीय दल का नेता जिसे अपनी क्षेत्रीय भाषा भी अच्छे से नहीं आती है लेकिन लोगों के दिलों तक पहुँच रखता है। नवीन पटनायक एक ऐसा जननेता जिसे राजनीति तो विरासत में मिली लेकिन जिसने हर कदम पर खुद से ये साबित किया कि वंशवाद से निकला एक “राजनेता” अपने काम की वजह से कैसे खुद “जननेता” बन सकता है। वर्ष 2000-2019 तक चुनावी साथी जरूर बदले लेकिन नवीन बाबू की प्रसिद्धि और उड़ीसा की जनता का उन पर विश्वास अटल रहा। वर्ष 2000 में जब पहली बार मुख्यमंत्री बने तब भाजपा के साथ गठबंधन में थे वो “अटल जी” वाली भाजपा थी। 2004 में जब एन.डी.ए को शिकस्त मिली तब भी नवीन बाबू पर उड़ीसा की जनता का विश्वास बना रहा। 2009 में जब गठबंधन से अलग हुए तब तक भाजपा “आडवाणी जी” की भाजपा हो गई थी और नवीन बाबू ने ईसाई विरोधी दंगों के लिए भाजपा की खुलकर आलोचना की थी। सरकारें बदलती रहीं, निज़ाम बदलते रहे लेकिन इस बदलाव के दौर में भी कुछ स्थिर रहा तो वो उड़ीसा की जनता का नवीन पटनायक पर विश्वास। शुरुआत में हमने तूफान की बात की और नवीन बाबू के काम की भी। मुझे ऐसा लगता है कि तूफान हो या लहर नवीन पटनायक को उससे निपटना अच्छे से आता है मसलन 2014 की “मोदी लहर” का ही उदाहरण ले लीजिए उस साल में भी “बीजू जनता दल” ने बेहतरीन प्रदर्शन किया। याद रखिए ये सब इतिहास था।
नवीन पटनायक को किस रूप पहचाना जाना चाहिए क्या सिर्फ इसलिए की 2019 में भी जिसे भाजपा ने सुनामी करार दिया उस सुनामी में भी अडिग अपना अस्तित्व बचाए रखने वाले राजनेता के रूप में या उड़ीसा जैसे प्रदेश जहाँ प्रकृति पालक भी है तो कभी विनाशकारी भी, उस प्रदेश में दृढ़ता से इतने सालों से बने मुख्यमंत्री के रूप में। मुझे लगता है कि नवीन पटनायक एक “राजनेता” (पॉलिटिशियन) के साथ एक “नेता” (लीडर) के रूप में जानना चाहिए। वो नेता जिसने विधानसभा में 33% महिला आरक्षण की बात कही, वो नेता जिसने अपनी कथनी को करनी में भी बदलने का प्रयास किया और 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए अपने दल के टिकिट वितरण में 33 फीसदी टिकिट महिलाओं को दिए। सबसे युवा सांसद जोकि एक महिला हैं जिनका नाम चंद्रिका मुर्मू है वो भी इसी दल से हैं।
17वीं लोकसभा में नवीन पटनायक का फिर से उड़ीसा के नायक के रूप में उभरना बताता है कि लोग विकास को सिर्फ प्रोपैगैंडा नहीं मानते बल्कि विश्वास भी करते हैं। अंत मे यही कहूँगा कि प्रत्येक नेता के कार्यों में आलोचना के अनेक बिंदु मिलेगें और नवीन पटनायक के कार्यों में भी होंगे लेकिन लोकतंत्र में स्वस्थ्य भूमिका निभाने वाले प्रत्येक नेता की तारीफ होनी चाहिए चाहे वो किसी भी दल का ही क्यों न हो।

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