आज आपको हमारे इस पोस्ट को पढ़ने के बाद न्यूनतम वेतन नहीं नेशनल न्यूनतम वेतन के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी मिलेगी. ऐसे तो 2017 में अपने एक प्रेस रिलीज दिनांक 05.09.2017 के जरिये खुद सरकार ने नेशनल न्यूनतम वेतन के बारे में नकार दिया था. मगर दूसरी तरफ 2019 में इसके बारे में के बिज़नेस स्टैण्डर्ड के रिपोर्ट के मुताबिक केंद्र सरकार के द्वारा गठित एक्सपर्ट कमेटी ने मजदूरों के लिए 9750 रुपया मासिक नेशनल न्यूनतम वेतन का सुझाव दिया हैं. इसके बारे में हम पुरे सबूत के साथ विस्तार से जानकारी लेंगे.
विशेषज्ञ समिति का रिपोर्ट
भारतीय आबादी के लिए भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) द्वारा अनुशंसित पोषण संबंधी मानदंडों का उपयोग करते हुए, रिपोर्ट में संतुलित आहार दृष्टिकोण की सिफारिश की गई है जो राष्ट्रीय न्यूनतम मजदूरी के निर्धारण के लिए सांस्कृतिक रूप से उपयुक्त है. तदनुसार, इसने प्रस्तावित किया है कि राष्ट्रीय स्तर संतुलित भोजन की टोकरी बनाने के लिए प्रोटीन के साथ Amount 50 ग्राम और वसा G 30 ग्राम प्रति दिन के हिसाब से 2,400 कैलोरी के स्तर के साथ खाद्य पदार्थों की मात्रा होती है. इसके अलावा, इस रिपोर्ट में न्यूनतम वेतन का प्रस्ताव किया गया है, जिसमें ‘आवश्यक गैर-खाद्य पदार्थों’ पर उचित व्यय शामिल होना चाहिए, जैसे कि कपड़े, ईंधन और प्रकाश, घर का किराया, शिक्षा, चिकित्सा व्यय, जूते और परिवहन, जो मध्यवर्ग और व्यय के बराबर होना चाहिए किसी भी ‘अन्य गैर-खाद्य पदार्थों’ पर एनएसएसओ-सीईएस 2011/12 सर्वेक्षण के आंकड़ों के अनुसार घरेलू व्यय वितरण के छठे फ्रैक्चर (25-30 प्रतिशत) के बराबर होना चाहिए.
पूर्वोक्त दृष्टिकोण के आधार पर, रिपोर्ट ने जुलाई 2018 के अनुसार, प्रति दिन INR 375 (या INR 9,750 प्रति माह) पर भारत के लिए राष्ट्रीय आधारित न्यूनतम मजदूरी की आवश्यकता को ठीक करने की सिफारिश की है, चाहे जो भी क्षेत्र, कौशल, व्यवसाय और ग्रामीण-शहरी 3.6 खपत इकाई वाले परिवार के लिए स्थान, इसने एनएमडब्ल्यू के ऊपर और ऊपर शहरी श्रमिकों के लिए प्रति दिन INR 55 तक औसत, यानी INR 1,430 प्रति माह, एक अतिरिक्त मकान किराया भत्ता (शहर प्रतिपूरक भत्ता) शुरू करने की भी सिफारिश की है.
दोस्तों इसकी पूरा पढ़ने के बाद अब आप खुद से आंकलन कर सकते हैं कि इस एक्सपर्ट कमिटी ने मजदूरों हितों का कितना ध्यान रखा हैं. हमारी मानिये तो इसमें दिए गए कैलकुलेशन वास्तविकता से परे हैं. एक तरफ सेन्ट्रल गवर्नमेंट का श्रम विभाग Center Sphere का न्यूनतम वेतन A एरिया के शहर जैसे Ahmadabad, Bangluru, Delhi, Greater Mumbai, Kolkata, Navi Mumbai, Hydrabad, Kanpur, Chennai, Nagpur, Lucknow, Pune, Faridabad, Gaziabad, Noida, Securandrabad, Gurugram का न्यूनतम वेतन खुद ही 15,184 का नोटिफिकेशन निकालता हैं, दूसरी तरफ उन्ही का एक्सपर्ट कमेटी पता नहीं कहां जानकर सर्वे करता और उनको उपरोक्त बाकि शहर का तो छोड़ दीजिये बल्कि दिल्ली के मजदुर का 11,622 मासिक रुपया पर्याप्त लगता हैं. इसके उलट अभी दिल्ली राज्य का 14,000 न्यूनतम वेतन हैं.
हमारी समझ से न्यूनतम वेतन मतलब मजदुर परिवार को जिन्दा रहने के लिए सबसे कम मजदूरी, यही लोग सरकारी कर्मचारियों के लिए सांतवा वेतन के तहत 18000 न्यूनतम वेतन निर्धारित करते हैं और उन्ही के तरह काम करने वाले कॉन्ट्रैक्ट, आउटसोर्स, दिहाड़ी मजदुर के लिए उनको 9880 रुपया मासिक भी अधिक लगता हैं.
National Minimum Wages कितना होना चाहिए?
हमारा तो कहना है कि अगर नेशनल न्यूनतम वेतन ही निर्धारित करना हैं तो Central Sphere के द्वारा निर्धारित Minimum Wage को एरिया वाइज लागु किया जाए. ऐसे यह पर्याप्त तो नहीं मगर फिर भी इससे कुछ राहत तो वर्करों को जरूर मिलेगा. इसके साथ ही जिस विभाग में न्यूनतम वेतन नहीं दिया जा रहा उसपर अविलम्ब करवाई की जाए. भाई हम भी इंसान, किसी का भी 3 से 5 आदमी का परिवार 9000/- रुपया महीना यानी पार्टी व्यक्ति प्रति दिन 100-60 रुपया पर कैसे जी सकता हैं, जबकि इसमें रोटी, कपड़ा, मकान से लेकर तामाम जरुरत की चीज पैसे ही खरीदना पड़े.
खैर, इसके बाद पता नहीं की दिल्ली सरकार का न्यूनतम वेतन या Central Sphere का न्यूनतम वेतन कम कर दे इसकी कोई गारंटी नहीं हैं. हमने दिल्ली सरकार से भी न्यूनतम वेतन में आश्रित माता पिता का यूनिट शामिल करने की मांग की थी. अभी भी हम सरकार से यही मांग करेंगे. इसके बाद अगर सरकार नहीं माने तो विरोध के लिए तैयार रहिये. हम विरोध करेंगे. इसको अधिक से अधिक साथियों तक पहुचायें.