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“मोदी जी, क्या आप बेरोज़गारी और गरीबी को मारोगे?”

प्रधान सेवक सुन लो यह कविता तुम्हें समर्पित है,

माही की कलम का यह तोहफा इस महाजीत को अर्पित है,

भारत की जनता ने तुमको सर आंखों पर बैठाया है,

सिर्फ तुम्हारी बातों पर सबने विश्वास दिखाया है,

भारत माता की आँखों का तारा तुम्हें बनाया है,

साढ़े तीन सौ सीटों से तुम्हारा ताज सजाया है,

यह विशाल सा बहुमत आपके साथ है,

लेकिन आपके सारे वादे भी जनता को याद हैं,

अब तुम दिखलाओ कि जनता ने तुम पर क्यों विश्वास किया?

और राहुल ममता-माया-बबुआ पर क्यों अविश्वास किया?

क्या भारत को आतंकवाद के ज़ख्म नहीं सताएंगे?

क्या दुनिया में ध्रुव तारे सा हम भारत को पाएंगे?

क्या बेरोज़गारी और गरीबी के रावण को मारोगे?

जो वादों पर नहीं चले तो जुमलेबाज़ कहलाओगे।

इतिहास के पन्नों में खुद को इंदिरा गांधी पाओगे।

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