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मुख्य निर्वाचन आयुक्त सुनील अरोड़ा जी को मेरा एक खुला पत्र

सुनील

सुनील

नमस्कार,

मेरा नाम ​प्रिया तायल है। मैं दक्षिणी दिल्ली की निवासी हूं। मेरा पोलिंग बूथ ग्रीन अरावली पब्लिक स्कूल और पोलिंग स्टेशन नंबर 101 था। मैंने इस बार पहली बार वोट दिया है। मैं कभी पोलिंग बूथ तक भी नहीं गई थी। 12 मई को जब पहली बार गई तो आयोग द्वारा किए गए इंतज़ाम देखकर थोड़ा अजीब लगा और मन में कई सवाल खड़े हो गए, तो सोचा आप से पूछ लूं।

मेरे पोलिंग स्टेशन में करीब 1345 वोटरों का नाम था। सुनील सर, आप ही एक बात बताएं एक पोलिंग स्टेशन में इतनी बड़ी संख्या में वोटर कैसे वोट दे सकते हैं? मेरी गणित कमज़ोर रही है फिर भी हिसाब लगाने की कोशिश कर रही हूं। अगर मैं कहीं गलत हूं तो बेटी समझकर ज़रूर बताइएगा।

चलिए अब हिसाब लगाते हैं। हर वोटर के लिए अगर आपके आयोग द्वारा 1 मिनट का समय रखा जाता है। यानि कोई वोटर कमरे में जाएगा, अपना नाम निकलवा कर, साइन करेगा, स्याही लगवा कर वोट देगा तो करीब 1 मिनट का समय तो लग ही जाएगा।

वहीं, अगर कोई बुज़ुर्ग है तो शायद अधिक समय भी लग जाए लेकिन मैं फिर भी 1 मिनट का समय ही लेती हूं। ऐसे में 1 घंटे में कुल 50 से 60 वोटर ही वोट दे सकते हैं। शायद आप अब तक मेरे हिसाब में सहमत होंगे।

वोटिंग का समय सुबह 7 बजे से शाम 6 बजे तक होता है। ऐसे में 500 से 600 वोटर ही वोट दे सकते हैं। महोदय सुनील अरोड़ा जी, आप ही बताएं आप एक पोलिंग स्टेशन में 1345 वोटर को कैसे वोट डलवा सकते हैं? आप भी एक बार हिसाब लगा सकते हैं और अगर आपको लगे कि मैं गलत हूं तो ज़रूर बताएं।

इस बार दिल्ली में कुल 60 फीसदी वोटिंग हुई है। माफ ​कीजिएगा, दिल्ली में इतनी कम वोटिंग होने की एक वजह मैं आपके आयोग के खराब इंतजामों को मनाती हूं क्योंकि मेरे पोलिंग बूथ पर तो पुख्ता इंतज़ाम नहीं होने की वजह से लंबी-लंबी लाइनें लगी हुई थीं और लाइनों की वजह से वोटर वापस चले गए।

अब आप ही बताएं जो वोटर वोट के लिए घर से निकलकर पोलिंग बूथ तक आया और ठीक व्यवस्था नहीं होने की वजह से वापस चला गया, उसका ज़िम्मेदार कौन है?

मेरे पोलिंग बूथ पर तो मशीन खराब होने की वजह से 7 बजे की वजह 8 बजे वोंटिग शुरू हुई, जिसके कारण कुछ वोटर्स वापस चले गए। चलिए मैं आपसे मशीन खराब होने पर सवाल नहीं पूछती क्योंकि यह तकनीकी चीज़ है लेकिन एक पोलिंग स्टेशन पर 1345 वोटरों का नाम अगर है, इसकी जनकारी तो आपको होगी ना?

क्या 101 पोलिंग स्टेशन को दो भागों में नहीं बांटा जा सकता था? इस समस्या का कोई और हल भी तो हो सकता है, जिससे लोगों को परेशानी ना हो।

सुनील सर उम्मीद है कि आप मेरी समस्या को समझ गए होंगे और इसका हल ज़रूर निकालेंगे।

धन्यवाद

प्रिया तायल, फास्ट टाईम वोटर

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