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“क्यों कॉलेज कैंपस का वातावरण समाज के लिए घातक है”

प्रतीकात्मक तस्वीर

प्रतीकात्मक तस्वीर

क्या आप अपने हॉस्टल में रात को देर से सोते हैं और सुबह देर से उठते हैं? क्या आप शराब पीने और ध्रूमपान करने जैसी आदत रखते हैं? क्या आप गालियां देते हैं? अगर आपका जवाब ‘ना’ है तो क्षमा कीजिए लेकिन आप अपने कॉलेज के ड्यूड नहीं हैं। आप स्मार्ट और आधुनिक नहीं हैं।

आज किसी कॉलेज कैंपस या हॉस्टल में समाज की सारी बुरी आदतों का प्रचलन है, जैसे रात की बजाए दिन में सोना, शराब पीना, स्मोकिंग करना और हर पांच मिनट में गाली देना। यह सब एक मॉडर्न युवा होने की पहचान है। अगर कोई स्टूडेंट यह सब नहीं करता है, तो उसके सहपाठी उसका मज़ाक उड़ाते हैं।

कॉलेज के वातावरण में आते-आते अधिकांश स्टूडेंट्स को लगती हैं बुरी आदतें

स्कूल तक अधिकतर बच्चे अपने माता-पिता के साथ रहते हैं, जहां कोई भी बुरी आदत पालना मुश्किल होता है मगर स्टूडेंट जैसे ही कॉलेज हॉस्टल के वातावरण में आते हैं तो वे पूरी तरह बदल जाते हैं। इसकी शुरुआत तब होती है जब स्टूडेंट पूरी रात सोशल मीडिया या फिल्मों में लगे रहते हैं और क्लास बंक कर आधे दिन तक सोते हैं।

थोड़े दिन बाद पता चलता है कि सिगरेट और शराब यहां आम बात है। सीनियर्स के उकसाने पर और उन्हें यह सब करता देख हर नए स्टूडेंट को एक उत्सुकता होती है। जिन लोगों ने ज़िन्दगी में कभी गालियां नहीं दी होगी वे भी नए-नए अपशब्द सीख लेते हैं। एक दूसरे को सभी गालियों से ही बुलाते हैं।

सभी को यही बताया जाता है कि ये सब कूल और सामान्य बात है। बस फिर क्या, सभी ड्यूड बनने के लिए निकल पड़ते हैं। पूरी दिनचर्या ही उल्टी हो जाती है। स्टूडेंट रोज़ नहाना भूल जाते हैं। जो कभी स्कूल बंक नहीं करते थे, वे भी कॉलेज बंक करने लगते हैं।

पूरे दिन और रात सोना, खाना, फिल्में देखना, नशे की महफिल और बस यही सब एक स्टूडेंट का जीवन बन जाता है। कई लोग तो कमरे के एक कोने में लैपटॉप लिए पूरा दिन निकाल देते हैं। लोग बड़ी शान से बताते हैं कि वे चार दिनों से नहाए नहीं हैं।

अच्छे स्टूडेंट्स को विचित्र प्राणी का तमगा

जो लोग यह सब आदतें नहीं अपनाते हैं, उन्हें विचित्र प्राणी की तरह देखा जाता है। अगर कोई रोज़ाना नहाता है और समय से सोता और उठता है तो उसे एक बोरिंग और पुराने ज़माने का इंसान मान लिया जाता है। अगर कोई एक भी गाली नहीं सीखता है, तो उसे अजीब नज़रों से देखा जाता है।

बहुत स्टूडेंट तो इन्हीं आदतों से प्रसिद्ध हो जाते हैं कि वे रोज़ नहाते हैं या कभी गाली नहीं देते हैं। कई स्टूडेंट तो यह भी कहते हैं कि अगर कॉलेज लाईफ में बीयर नहीं पीया फिर कुछ नहीं किया। जो आदतें पहले अच्छी हुआ करती थीं, वे आज सबसे ज़्यादा विचित्र बन गई हैं।

मैंने इन चीज़ों को करीब से देखा है

मैं भी देश के एक कॉलेज कैंपस का स्टूडेंट रहा हूं और यह सारे अनुभव मैंने खुद महसूस किए हैं। किसी कॉलेज कैंपस में यह प्रचलन चिंताजनक है। यह वातावरण देश के शीर्ष विश्वविद्यालयों और आईआईटी जैसे संस्थानों में भी है।

यही से एक युवा के चरित्र का निर्माण शुरू होता है। इसी कॉलेज कैंपस से वे दिशाहीन होते हैं, जो पूरी ज़िन्दगी उनके साथ रहता है। स्टूडेंट उन सभी चीज़ों को मॉडर्न मानने लगे हैं जो किसी भी समाज के लिए असभ्य और अनैतिक है। वे समझते हैं कि ये आदतें आज के युवा वर्ग की निशानी है। उनकी बातों से लगता है कि यह सब आदतें उनका गर्व है।

अच्छे बुरे में फर्म नहीं समझ पाते स्टूडेंट्स

स्टूडेंट यह समझते हैं कि उनके माता-पिता अनपढ़ और पुराने ख्यालों के हैं, जो उन्हें यह सब करने से रोकते हैं मगर उन्हें यह नहीं पता है कि सबसे ज़्यादा अशिक्षित इंसानों जैसी आदतें उन्होंने ही अपना रखी है। स्टूडेंट इस हद तक अपने सोचने और समझने की शक्ति खो देते हैं कि वे अच्छे और बुरे में अंतर ही नहीं कर पाते हैं, जो कि एक पढ़े-लिखे इंसान की निशानी नहीं है।

जो गालियां वे अपने दोस्तों को आज मज़ाक में दे रहे हैं, वही अपशब्द वे भविष्य में अपने परिवार के लोगों को भी कह सकते हैं। आज की यही आदतें उनके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए अच्छी नहीं है।

सफाई, सभ्य बोली और सही दिनचर्या एक पढ़े-लिखे इंसान की निशानी है। आज के ड्यूड और स्मार्ट बनने की गलत परिभाषा स्टूडेंट्स की ज़िन्दगी और पूरे समाज के लिए सही नहीं है।

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