भारत के लोकतंत्र के इतिहास में 48 वर्षों बाद देश ने पूर्ण बहुमत के साथ वापस उस सरकार को चुना है, जिसने 5 वर्ष तक शासन किया हो। ऐसा पहली बार हुआ है कि जनता में सरकार के प्रति आक्रोश से कहीं ज़्यादा विश्वास रहा हो। इसके पीछे कई कारण हैं लेकिन मुख्य रूप से नरेंद्र मोदी और उनकी टीम को इसके लिए ज़िम्मेदार माना जा रहा हैं।
देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को विकास का जो मॉडल दिया, उसके कारण सबकी उम्मीदें उनसे बढ़ गई हैं। यदि नरेंद्र मोदी के पक्ष और विपक्ष के मतों को देखें तो भी समझा जा सकता है कि 2019 का चुनाव पूरी तरह से एक व्यक्ति के आस-पास ही रहा जिसके आगे कई मुद्दे गायब हो गए।
2014 से लेकर 2019 तक ऐसी कई घटनाएं, योजनाएं और सरकार के फैसले आए हैं, जिन्हें जीत से जोड़ा जा सकता है। लोकसभा चुनाव से पूर्व भारतीय जनता पार्टी का घोषणापत्र और उनके नेताओं की चुनावी रैलियों के साथ भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की चुनावी रणनीति जैसे कारण भी जीत की वजह हैं।
क्या यह जीत बीजेपी की है या यह कहें कि यह जीत केवल मोदी की है? कई तरह के सवाल दिमाग में आते हैं कि क्यों उसी जोश के साथ मोदी इस बार फिर पूर्ण बहुमत प्राप्त कर सत्ता में आए हैं? मोदी को भारत की जनता क्यों पसंद करती है? मोदी को पसंद करने के कारण क्या है?
मोदी सरकार की जीत के कारणों को समझने के लिए इसे 4 मुख्य भागों में विभाजित किया जा सकता हैं।
- मोदी सरकार द्वारा प्रस्तावित बिल एवं लागू की गयी योजनाएं।
- मोदी सरकार द्वारा राष्ट्रीय सुरक्षा पर विशेष ध्यान देना और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत की छवि को सशक्त करना।
- देश में सशक्त विपक्ष की कमी और
- भारतीय जनता पार्टी की चुनावी रणनीति।
5 वर्षों में एक भी छुट्टी नहीं लेने वाले नरेंद्र मोदी ने सरकारी तंत्र में बेहद छोटे-छोटे ऐसे आवश्यक परिवर्तन किए जिसे जनता ने देखा, समझा, परखा और तौला, तब जाकर देश में ऐसा माहौल बना कि मोदी के पक्ष में एक स्वर में आवाज़ उठने लगी। वास्तव में ज़मीनी स्तर पर सरकार ने कुछ ऐसी योजनाएं लागू की जिसने आम वर्ग को ना केवल लाभ दिया बल्कि प्रेरित भी किया कि वे मोदी सरकार के प्रति आकर्षित हो सकें।
नरेन्द्र मोदी ने बहुत ही योजनाएं चलाईं, जिससे लोगों को बहुत फायदा मिला, किसानों को राहत मिली, गरीबों को घर मिला, महिलाओं को धुएं से छुटकारा मिला। पर क्या यह काम कांग्रेस के राज में नहीं होता था? क्या मोदी ने इन पांच सालों में बेरोज़गारी हटा दी, भ्रष्टाचार हटा दिया, गरीबी कम हुई? नहीं, ना तो ऐसा था कि कांग्रेस के समय में योजनाएं नहीं थी और ना ऐसा कि मोदी ने अच्छे दिन दिए, फिर क्यों मोदी इस बार?
इसका मुख्य कारण है कि योजनाओं के बारे में आम जनता तक जागरूकता। मोदी सरकार ने योजना का बहुत तेज़ी से बड़े स्तर में प्रचार-प्रसार किया, जिससे पूरे देश में लोगों तक इसकी जानकारी पहुंची। योग्य व्यक्ति ने इसकी जानकरी प्राप्तकर, इसका लाभ भी बहुतायत से उठाया। मोदी सरकार की योजनाएं इसलिए इतनी हाइलाइट हुई और आम जनता तक पहुंची। ये भी एक कारण है कि चारो ओर मोदी की लहर सी छा गई।
डिजिटल इंडिया
मोदी सरकार और कांग्रेस सरकार की तुलना की जाए तो दोनों के काम करने के तरीके में बहुत अंतर है। मोदी सरकार का काम आज के दौर के अनुसार चलता है, जिसका उदाहरण “डिजिटल इंडिया” है। पूरे देश को डिजिटल बनाने के लिए मोदी सरकार ने सरकारी दफ्तरों से लेकर कैशलेस ट्रांज़ैक्शन तक, सबकुछ डिजिटल किया। मोबाइल, इन्टरनेट के इस दौर में सरकार ने ऐसी योजनांए बनाईं, जिसमें बैंक के अकाउंट में सीधे पैसा जाने लगा।
विदेशी नीति
नरेन्द्र मोदी एक राष्ट्रवादी नेता हैं, जिन्होंने भारत की जनता को राष्ट्र से प्रेम करना सिखाया। अब तक लोगों ने भारत देश के लिए यही सुना था कि यह गरीब हैं पिछड़ा है, यहां तक कि भारतीय भी यही सोचते थे। लेकिन मोदी ने भारतीयों को अपने देश से प्यार करने और उसे ऊंचा उठाना सिखाया। मोदी की विदेश नीति भी बहुत खूब है, हमेशा विदेश यात्रा के लिए निशाने पर रहे मोदी ने भारत की अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर छवि काफी मज़बूत की है।
विदेशों में जा-जाकर अपने देश का परचम फैलाना मोदी जी को बहुत अच्छे से आता है. यही वजह है कि आज विदेशों में भारत का दर्जा ऊंचा हुआ है। विदेशों में अब भारत को गरीब, लाचार नहीं, बल्कि शक्तिशाली, विकासशील देश के रूप में देखा जा रहा है। उन्होंने चाइना, मालदीव और श्रीलंका के साथ रिश्ते सुधारे, वहीं ईस्ट एशिया और वेस्ट एशिया के साथ भी भौगोलिक और आर्थिक रिश्ते बनाए एवं यूएस के साथ भी भारत की दोस्ती को एक नई दिशा दी
युवाओं को जागृत किया
मोदी सरकार का काम युवाओं को बहुत आकर्षित करता है क्योंकि मोदी एक युवा सोच के साथ काम करने में विश्वास करते हैं। मोदी ने भारत देश के नौजवानों को जगाने का काम किया है। आज का युवा अपनी ताकत समझता है, कई माध्यमों से वो अपनी आवाज़ उठाना जानता है। सरकार के साथ कन्धा से कन्धा मिलाकर चलता है। इसी के साथ युवाओं को वोट देकर अपनी ताकत दिखाने के लिए भी प्रेरित किया।
स्वच्छ भारत अभियान
मोदी ने 2014 में सत्ता संभालते ही गांधीजी के पद-चिन्हों पर चलते हुए भारत में स्वच्छता की शुरुआत की थी जिसे देशवासियों न केवल पसंद किया बल्कि इसके लिए आवश्यक योगदान भी दिया। मोदी जी ने भारतीयों को स्वछता के प्रति बहुत जागरूक किया है। स्वच्छ भारत अभियान इतनी तेज़ी से किसी भी सरकार द्वारा नहीं चलाया गया था. बच्चों से लेकर बुज़ुर्गों तक, मोदी जी ने स्वच्छता की बात पहुंचाई है।
सर्जिकल स्ट्राइक
भारत के इतिहास में मोदी जी की ही सरकार ऐसी है, जिन्होंने 2 बार पाकिस्तान में सर्जिकल स्ट्राइक की। पाकिस्तान के हमले का बदला, आतंकवादियों को मारकर लिया। मोदी सरकार ने हमारे देश की आर्मी पूरी छूट दी कि वो जो चाहे कर सकती है और अपने नौजवान भाई के शहादत का बदला ले सकते हैं। मोदी सरकार के दबाव के चलते ही पाकिस्तान को भारत देश के सैनिक पायलट अभिनंदन वर्धमान को सही सलामत वापस लौटाना पड़ा था।
गरीब सवर्णों को आरक्षण बिल
केंद्र सरकार ने भारत में आरक्षण की परम्परा को तोड़ते हुए सवर्णों के हितों के लिए जो आरक्षण बिल प्रस्ताव दिया, उसने हर उस गरीब सवर्ण को सांत्वना दी जो कई वर्षों से आरक्षण के कारण दबा हुआ एवं आक्रोशित था। इस बिल के अनुसार सरकारी नौकरियों में आर्थिक रूप से पिछड़े हुए सवर्ण को दस प्रतिशत आरक्षण दिया जाएगा। इसमें आठ लाख रुपए से कम वार्षिक आय, एक हज़ार वर्गफुट से कम आकार का मकान और पांच एकड़ से कम ज़मीन जैसे कुछ सामान्य नियम रखे गए।
यह एक बहुत ही प्रशंसनीय निर्णय था क्योंकि कई वर्षों से आरक्षण के कारण आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग को एक अन्याय का सामना करना पड़ रहा था और आरक्षण के कारण ना केवल कई जातियां संघर्ष कर रही थी बल्कि रह-रहकर कोई न राज्य आरक्षण के कारण हिंसा की चपेट में आ रहा था। ऐसी विकट स्थिति जिसमें ना आरक्षण हटाया जा सकता था, ना ही सबको दिया जा सकता था, उसमें जो बीच का रास्ता मोदी सरकार ने बनाया, उसे देश की जनता ने बेहद पसंद किया।
आयुष्मान भारत योजना (प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना)
मोदी केयर के नाम से विख्यात हुई आयुष्मान भारत योजना अथवा प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना जब से लागू हुई, लोगों का सरकार में विश्वास बढ़ गया क्योंकि इस योजना के तहत गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले परिवार को पांच लाख रुपए तक का स्वास्थ बीमा उपलब्ध करवाया जाना था।
उज्ज्वला योजना
देश को उज्ज्वला योजना में तब नई उम्मीद नज़र आई, जब मोदी ने अपील की कि सम्पन्न परिवार गैस सिलिंडरों पर मिलने वाली सब्सिडी को स्वेच्छा से छोड़ दें और सच में करोड़ों लोगों ने सब्सिडी छोड़ दी।
इस वजह से लगभग पांच करोड़ गरीब महिलाओं के रसोई तक गैस पहुंच सकी। इस तरह की आधारभूत आवश्यकता को पूरा करने के लिए देश के एक वर्ग को योगदान देने के लिए जिस तरह से प्रेरित किया गया। वो स्वाभाविक था कि मोदी सरकार को प्रशंसा मिले और वापस उनकी सरकार बनाने के लिए माहौल बने।
जन–धन बैंक खाते
देश की स्वतंत्रता के बाद 7 दशक बीत जाने के बाद भी करोड़ों के पास बैंक का खाता नहीं था, ऐसे में नरेंद्र मोदी द्वारा बनाई गई एक योजना से देश के ऐसे हर व्यक्ति का बैंक खाता खोला गया, जिसके पास इससे पहले एकाउंट नहीं था। मतलब सरकार द्वारा ज़ीरो बैलेंस बचत बैंक खातों के साथ भी खातों के खुलने से गरीबों में आत्मविश्वास के साथ सरकार के प्रति भी विश्वास जगा।
जन सुरक्षा योजना
भारत सरकार ने जीवन बीमा करवाने के लिए प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना की घोषणा की, जिसमें दो लाख तक का बीमा दिया गया और इस नीति ने आमजन को काफी आकर्षित किया। जीएसटी बिल के कारण जहां देश आर्थिक रूप से मज़बूत हुआ, वहीं नोटबंदी के कारण भी लोगों का विशवास मोदी में बढ़ा। इसके अलावा भारत को अंतरिक्ष में लगातार मिलती उपलब्धियों ने भी आमजन को प्रभावित किया।
भारतीय जनता पार्टी और एनडीए की सरकार के प्रति जनता को पहले से श्रद्धा का भाव था क्योंकि अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने जिस तरह से करगिल युद्ध और पाकिस्तान के साथ रिश्तों को संभाला, वो प्रभावित करने वाला था। हालांकि, तब एनडीए इस मुद्दे को केंद्र में रखकर वापस सरकार नहीं बना पाई। लेकिन मोदी सरकार ने 2019 के चुनावों में इस मुद्दे को काफी भुनाया।
यूपीए की सरकार में 10 वर्षों तक जहां लगातार बम धमाकों की खबरें आती रही, वहीं मोदी सरकार में सर्जिकल स्ट्राइक की बातें न्यूज़ में छाई रही इसलिए इसमें कोई दो राय नहीं कि देश की सुरक्षा के मुद्दे को आमजन ने ना केवल महत्वपूर्ण माना बल्कि इसे अन्य मुद्दों के समक्ष प्राथमिकता भी दी।
इन सबमें जो सबसे महत्वपूर्ण बात रही वो थी नरेंद्र मोदी द्वारा समस्त जानकारी को जनता के सामने प्रस्तुत करना। इसलिए तत्कालीन प्रधानमंत्री पर लोगों का विश्वास बढ़ गया। इसके अतिरिक्त मसूद अज़हर को आतंकी घोषित करना हो या आतंकवाद के मुद्दे पर दुनिया के सामने पाकिस्तान का असली चेहरा दिखाना, मोदी इन पांच वर्षों में जनता की अपेक्षाओं पर खरे उतरे और उन्होंने राष्ट्रवाद की भावना को विस्तार दिया।
गठबंधन के पास कोई ठोस मुद्दा नहीं था
मोदी सरकार की जीत का जो सबसे बड़ा कारण माना जाता है, वो है विपक्ष में कोई सशक्त नेतृत्व नहीं था, ना ही विपक्ष किसी भी मुद्दे को लेकर सरकार पर हावी हो सकी थी। उसके अलावा राष्ट्रवाद के मुद्दे पर मोदी सरकार का जो आक्रामक रुख था, उसपर भी विपक्ष के कई ऐसे बयान आए जिसने जनता को विपक्ष के खिलाफ कर दिया।
हालांकि मोदी सरकार के खिलाफ सभी क्षेत्रीय दल एक हो गए और एक मंच पर आकर सरकार के सामने चुनावी मैदान में आए। लेकिन इनके पास भी वही बात थी, ऐसा कोई ठोस मुद्दा नहीं था जिसके कारण जनता गठबंधन की तरफ आकर्षित हो सके।
2014 में पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनाने वाली मोदी सरकार को पांच वर्षों तक विपक्ष की आलोचनाओं का सामना ज़रूर करना पड़ा। लेकिन ये बात भी रही कि विपक्ष कभी कोई ऐसा मुद्दा नहीं उठा पाया जिसके कारण मोदी सरकार बैकफुट पर जा सकती थी। उस पर सुरक्षा और सर्जिकल स्ट्राइक जैसे सेंसिटिव मुद्दों पर विपक्ष के नेताओं के बयानों ने जनता के बीच सरकार की छवि को और मज़बूत किया।
जैसा कि प्रधानमंत्री मोदी ने कई बार कहा कि इन पांच वर्षों में किसी तरह का घोटाला नहीं सामने आया, ना ही कोई ऐसी घटना हुई जिसके कारण विपक्ष हावी हो सके। उसके बाद चुनाव के नज़दीक आने पर क्षेत्रीय दलों ने एकजुट होकर जिस तरह से मोदी सरकार को हराकर एक गठबंधन सरकार बनाने की मंशा ज़ाहिर की, जो निश्चित रूप से मोदी सरकार के पक्ष में रहा।
जब विपक्ष की प्रमुख पार्टी भी कोई बड़ा एजेंडा सामने नहीं ला सकी, तो विभिन्न राजनैतिक दलों द्वारा की गई कोशिशों और इसके स्तर को जनता ने ना केवल समझा, बल्कि इसे नकारा भी और इसके पीछे बीजेपी की रणनीति महत्वपूर्ण रही।
जब भी किसी नेता या क्षेत्रीय राजनीति की कोई बात उठी तो स्वयं मोदी के साथ उनके सहयोगी नेताओं ने आंकड़ों और प्रामाणिकता के साथ उन बातों को खारिज किया, जिसका काफी प्रभाव पड़ा। मोदी ने देश में जातिवाद और वंशवाद की राजनीति को पूरी तरह से खत्म किया। इसकी शुरुआत उन्होंने गुजरात में अपने मुख्यमंत्री कार्यकाल से ही कर दी थी और राष्ट्रीय स्तर पर इस बात को जिस तरह से स्वीकार से किया गया, वो अनपेक्षित था।
मोदी ने देश में अगड़ी-पिछड़ी जाति के पारम्परिक समीकरण को बदलकर रख दिया। उन्होंने ना केवल जातिगत सीटों को दरकिनार किया बल्कि बार-बार अपने भाषणों में भी बताया कि किस तरह से वो जातिगत ध्रुवीकरण और धार्मिक तुष्टिकरण को हटाकर देश को केंद्र में रखकर देश को आगे ले जाना चाहते हैं।
भाजपा ने सोशल मीडिया का पूरा उपयोग किया और इसके पीछे मोदी की रणनीति ये रही कि उन्होंने ना केवल मन की बात जैसे कार्यक्रम से पारम्परिक रेडियो से अपनी बात जनता तक पहुंचाई बल्कि समय-समय पर डिजिटल तकनीकों को अपनाते हुए वो जनता के बीच में भी आए।
इस तरह डिजिटल इंडिया का मॉडल पेश करने वाले मोदी, डिजिटली ही नहीं बल्कि ईवीएम में भी पसंद किए गए और रिकॉर्ड जीत के साथ अब सरकार बनाने के लिए अपनी विनम्रता और सशक्त विज़न के साथ फिर से प्रस्तुत हैं।
वास्तव में देश में जो परिवारवाद की राजनीति दशकों से चल रही थी उसे 2014 में भारतीय जनता पार्टी ने चुनौती दी थी क्योंकि लगातार एक ही वंश से बेरोज़गारी, गरीबी जैसे मुद्दे पर बरगलाने के बाद भी कुछ परिवर्तन ना दिखने पर जनता ने उस दल को मौका दिया, जिसमें देश में वंशवाद और जातिवाद का वर्चस्व उस हद तक नहीं था, जितना अन्य पार्टियों में देखा जा रहा था।
पांच वर्षों के कार्यकाल में जनता को समझ आया कि उनका ये निर्णय बेहद ही सकारातमक रहा। इस कारण ही 2019 में भी जनता को प्रेरित किया कि वो मोदी सरकार को ही फिर से चुने। पिछले 5 सालों में देश में कुछ ऐसे काम भी हुए हैं जिसे देश की जनता ने पहले भारत देश में होते कभी नहीं देखा था। इसका उदहारण बालाकोट एयरस्ट्राइक, सर्जिकल स्ट्राइक, नोटबंदी है। देश की जनता ऐसे नेता को फिर से मौका देना चाहती है जो देश को सर्वप्रथम रखता है।