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आधुनिक युग में कितना प्रासंगिक है गुरू-शिष्य सम्बन्ध

कॉन्फ्रेंस

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आधुनिक युग में गुरू शिष्य संबंध शक के दायरे में है क्योंकि जब शिष्य अपने गुरू से मिलते हैं, तो उन्हें उसमें अपने परिवार के सदस्य दिखते हैं। यही बात गुरू पर भी लागू होती है। हम अगर भारत के इतिहास में गुरू शिष्य के संबंध को देखें तो ‘वैदिक काल’ में गुरू शिष्य के बीच अत्यंत ही मधुर संबंध होते थे।

इसके कई उदाहरण हैं, जैसे गुरू द्रोणाचार्य और एकलव्य के बीच, गुरू द्रोणाचार्य और अर्जुन के बीच, गुरू विश्वामित्र के शिष्य मर्यादा पुरुषोत्तम राम और उनके अनुज के बीच। इस कड़ी में कई और भी नाम हैं।

बौद्ध काल में ‘बुद्ध’ और उनके शिष्य के बीच भी एक बेहतरीन संबंध था। जैन काल में भी गुरू का अधिक सम्मान था। उसके बाद मध्यकालीन भारत में इस्लाम दर्शन के हिसाब से शिक्षा व्यवस्था थी। उसमें गुरू शिष्य (उस्ताद-शागिर्द) संबंध बेहद मधुर थे। दोनों के संबंध पिता पुत्र जैसे थे।

पाश्चात्य देशों में गुरू का इतिहास

पाश्चात्य देशों में गुरू के इतिहास को देखें तो उनका संबंध भी बेहद मधुर था, जिसमें अरस्तु, प्लेटो और सुकरात इत्यादि का इतिहास समृद्ध है। अब हम आधुनिक युग की बात करते हैं । इस पर विचार करने से पहले मैं एक हिंदी फिल्म ‘चॉक एंड डस्टर’ का ज़िक्र करना चाहूंगा, जिसमें गुरू की मर्यादा को ठेस पहुंचाया गया तो उनके सभी शिष्यों ने अपना समर्थन दिया और बताया कि मैम हम आपके साथ खड़े हैं।

कुछ इस तरह की घटना हाल में ही मैंने अपने आसपास देखी, जिसमें एक गुरू की मर्यादा को तार-तार कर दिया गया। जिसके बाद गुरू ने संस्था से इस्तीफा दे दिया लेकिन इन सभी प्रक्रिया में मेरा हृदय अत्यधिक विचलित हुआ।

आधुनिक भारत में गुरू-शिष्य संबंध

कैसे गुरू एक संस्था से इस तरह जा सकते हैं? गुरू संस्था छोड़ भी रहे हैं तो उनके शिष्य कहां हैं? उन्हें उस गुरू की याद क्यों नहीं आती है? अपने गुरू के लिए प्रबंधन से संघर्ष क्यों नहीं करते हैं? यह सभी प्रश्न मेरे मन को विचलित कर रहे हैं। क्या यही आधुनिक भारत का गुरू-शिष्य संबंध है? क्या यही गुरू के प्रति शिष्य का कर्म-धर्म है?

गुरू को अगर न्याय नहीं मिलता है तो मैं मानता हूं कि पूरे आधुनिक भारत की शिक्षा व्यवस्था तथा वर्तमान समय में गुरू-शिष्य संबंध नाश हो चुका है और उन्हें तिलांजलि देने का सही समय आ गया है। इस वृत्ति (शिक्षक) को पूर्णतया समाप्त कर मूर्खों और स्वार्थी युग का उदय करना होगा जो कलयुग के इतिहास को संवर्धित करेगा और हम सभी इसके साक्षी रहेंगे।

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