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स्कूलों में सेक्स एजुकेशन से संभव है महिलाओं के लिए सुरक्षित समाज

आज मेरे लिए कंसेंट का मतलब है कि अगर हम किसी के साथ रिलेशनशिप में हैं, तो उसमें कंसेंट, यानि मंज़ूरी, के साथ ही कोई भी संबंध बनाना चाहिए और अगर कोई एक बार मना करता है या करती है, तो उसके कंसेंट की इज्ज़त की जानी चाहिए। यहां ज़बरदस्ती बिलकुल भी नहीं होनी चाहिए।

कंसेंट, यानि मंजूरी की पहचान मुझे सुपर स्कूल इंडिया (NGO) के ज़रिए हुई। यहां मुझे प्रॉपर सेक्स एजुकेशन की ट्रेंनिग दी गई। यह संस्था अंडरप्रिविलेज़्ड बच्चों को पढ़ाती है, उन्हें इंग्लिश सिखाती है और इन सबके साथ सेक्स एजुकेशन की बेसिक नॉलेज भी देती है। यहां छोटे बच्चों को भी सेक्स एजुकेशन दी जाती है, जिसमें उन्हें बताया जाता है कि किसी लड़की का पीछा नहीं करना चाहिए।

कंसेंट एक बेहद महत्वपूर्ण चीज़ है, जिसके बारे में हर बच्चे को पता होना चाहिए। अगर कंसेंट नहीं होगा, तो ना लड़का खुश होगा और ना ही लड़की। अगर लड़का-लड़की को किस करना चाहता है लेकिन इसमें लड़की की मंज़ूरी नहीं है, तो इस स्थिति में लड़की को किस करने में हिचकिचाहट होगी। अगर यही दोनों की मंज़ूरी से होगा, तो कोई प्रॉब्लेम ही नहीं होगी।

कैसे समझे कंसेंट का मतलब

आपके घर में कोई मेहमान आता है और आप उसको चाय देते हैं, आपका मेहमान उस चाय को पी भी लेता है। अब वह दूसरे दिन भी आपके घर आता है लेकिन आज उसे चाय पीने की इच्छा नहीं है। आप ज़बरदस्ती उसे कहेंं कि “ले चाय पी“, तो यह कोई बात नहीं हुई। उसकी मंज़ूर नहीं है तो वह चाय नहीं पिएगा। ठीक इसी तरह, हमारे रिलेशनशिप में भी कुछ ऐसा ही होता है, अगर कोई लड़की कंसेंट नहीं दे रही है, तो हम उसकी मर्ज़ी के खिलाफ कुछ नहीं कर सकते हैं| यह एक अपराध है।

एक सुरक्षित माहौल का समाज बनाने के लिए ज़रूरी है स्कूलों में सेक्स एजुकेशन

हमारे स्कूलो में सेक्स एजुकेशन नहीं दी जाती है। स्कूलों का यह मानना होता है कि अगर ये सब बच्चों को पढ़ाया जाएगा तो वे बिगड़ जाएंगे। मेरे स्कूल में होम साइंस की क्लास के दौरान कभी-कभी टीचर्स एक-दो प्वाइंट्स बता देते हैं कंसेंट के बारे में।

बॉलीवुड मूवीज़ और उनके गानों का सेक्स एजुकेशन पर असर

जिन बच्चों को सेक्स एजुकेशन नहीं मिलती, उनपर बॉलीवुड मूवीज़ और उनके गाने बहुत बुरा प्रभाव डालते हैं। बच्चे भी बॉलीवुड के एक्टर्स को फॉलो करना चाहते हैं। जब बॉलीवुड में कोई एक्टर लड़की का पीछा करता है, तो बच्चे भी सोचते हैं कि यह सही है और कि उन्हें भी ऐसा करना चाहिए।

‘सुपर स्कूल इंडिया’ में सेक्स एजुकेशन की क्लास के दौरान हमारे लिए बॉलीवुड से संबंधित क्लास भी होती है। जैसे हम कुछ गाने उठाते हैं और फिर एक-एक लाइन को एक्सप्लेन करते हैं। इस तरह से हम बच्चों को बता सकते हैं कि जो लाइन हम बोल रहे हैं, वह एक लड़की के ऊपर क्या प्रभाव डाल रही है। आप तो देख लेते हो, सुन लेते हो लेकिन जब वही शब्द आप किसी लड़की के ऊपर बोलते हो, तो वह बेहद बुरा प्रभाव डालती है।

R… Rajkumar फिल्म का एक गाना है, “A-B-C-D पढ़ ली बहुत, अच्छी बातें कर ली बहुत, अब करूंगा तेरे साथ गंदी बात!” मतलब कि आपने A-B-C-D पढ़कर भी गंदी बाते ही सीखी हैं क्या? आप इतने पढ़े-लिखे होने के बाद भी ऐसी ही बातें करते हैं?

जिन बच्चों को सेक्स एजुकेशन मिलेगा, वे बच्चे इन गानों को समझ सकते हैं और दूसरों को भी समझा सकते हैं कि ये हमारे लिए अच्छी चीज़ें नहीं हैं। बॉलीवुड को भी समझना चाहिए और बच्चों को ध्यान में रखते हुए गाने बनाने चाहिए।

स्कूल में बच्चों को सेक्स एजुकेशन देना चाहिए। उदाहरण के लिए, अगर हम बच्चों को बोलते हैं कि कोई बड़ा आता है तो उसे ‘जी’ करके बात करो, तो बड़े होने पर बच्चे के अंदर यह आदत पड़ती है कि वह ‘जी’ करके बात करे। वैसे ही अगर हम बच्चे को सेक्स एजुकेशन देंगे, तो बड़े होकर भी उन्हें समझ आएगा कि क्या गलत है और क्या सही।

सेक्स एजुकेशन में बहुत चीज़ें आती हैं, जैसे मंज़ूरी, लड़कियों का पीछा ना करना, सिटी ना मारना। अगर हम बचपन से बच्चों को यह सिखाएंगे, तो लड़के-लड़कियों के साथ ऐसा नहीं करेंगे और लड़कियों के लिए एक सुरक्षित माहौल बनेगा। सेक्स एजुकेशन से हमारा देश लड़कियों के लिए सुरक्षित हो सकता है।

मेरा आर्टिकल पढ़ने वालों ने गुज़ारिश है कि आप स्कूलों में सेक्स एजुकेशन की पहल करें।

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राइटर के बार में: 16 साल की मीरा (बदला हुआ नाम) सुपर स्कूल इंडिया में ट्रेनिंग ले रही हैं।

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