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आखिर फेमिनिज़्म चुनावी मुद्दा क्यों नहीं?

फेमिनिज़्म

फेमिनिज़्म

इन दिनों भारत में चुनावी माहौल चल रहा है, जिसमें कई मुद्दे सुनने को मिल रहे हैं। सारी पार्टियां मैनिफेस्टो के ज़रिये हर सच्चे-झूठे जुमले को जनता के बीच असरदार साबित करना चाह रहे हैं फिर इनमें फेमिनिज़्मि क्यों नहीं?

हमारे देश के 70% ग्रामीण इलाकों में आज भी ग्रामीण महिलाओं की हालत खराब है। एक महिला सुबह 4 बजे से रात 10 बजे तक बिना थके काम करती है। अपने पति के साथ खेत में भी एक आदमी के बराबर काम करती है और शाम में फिर अपने घरवालों के लिए खाना बनाती है।

यही नहीं, मवेशियों की देखरेख भी करती हैं जबकि इतने सारे काम के बावजूद भी उसे अगर कुछ मिलता है‌ तो वह है शराबी पति की डांट और गंदी गालियां।

ग्रामीण महिलाओं के बीच शारीरिक हिंसा आम

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण की रिपोर्ट के अनुसार 27%  महिलाओं ने 15 साल की उम्र से शारीरिक हिंसा झेला है। शहरी क्षेत्रों की महिलाओं की तुलना में ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं के बीच शारीरिक हिंसा की यह घटना आम है।

महिलाओं के प्रति घरेलू हिंसा के मामले में ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में शारीरिक शोषण की रिपोर्ट क्रमशः 29% और 23% थे। हमारे देश की राजधानी दिल्ली में दिल्ली पुलिस के नवीनतम डेटा के मुताबिक, इस वर्ष रिपोर्ट किए गए बलात्कारों की संख्या में वृद्धि दर्शाता है जबकि इसी अवधि में सज़ा की दर में कमी आई है।

भारत में बलात्कार चौथा सबसे बड़ा अपराध

15 मई को बलात्कार के 780 मामले दर्ज़ किए गए। 15 मई तक 2017 में मामलों की संख्या की तुलना में देश की राजधानी में रिपोर्ट किए गए बलात्कारों की संख्या में 3.03% की वृद्धि हुई है।

यही नहीं, भारत में महिलाओं के खिलाफ बलात्कार चौथा सबसे बड़ा अपराध है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो 2013 की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार 2012 में पूरे भारत में 24,923 बलात्कार के मामले दर्ज़ किए गए थे।

मैनिफेस्टो में फेमिनिज्म को मिले मज़बूती

भारत सरकार ने एक अध्यादेश पारित किया जो 16 साल से कम उम्र की महिला के साथ बलात्कार के दोषी को मृत्युदंड दिया जाएगा लेकिन इतनी रिपोर्ट देखने और पढ़ने के बाद यह नियम भी कामयाब होता नहीं दिखाई पड़ रहा है। ऐसे में सारा दोष उनके माथे नहीं लगा सकते हैं क्योंकि बहुत सारी ऐसी चीज़ें हैं, जिससे हम खुद अपने लिए मुसीबत मोल लेते हैं।

ऐसे में इस बार आप से अनुरोध है कि हम फिर से किसी को निर्भया बनने का इंतज़ार ना करते हुए पॉलिटिकल पार्टी से मांग करें कि वे मैनिफेस्टो में फेमिनिज़्म को शक्ति प्रदान करने का वादा करें।  हम उसी को नेता चुनेंगे जो उक्त बातों को ध्यान में रखते हुए मैनिफेस्टो में फेमिनिज्म को शक्ति देंगे।

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