जब किसी वस्तु विशेष, नाम विशेष या फिर किसी भी चीज़ का वर्चस्व बाज़ार में बनाए रखना हो तो उसका भौकाल बना दो। यह व्यापार का साधारण नियम है और हर कोई इसी नियम पर व्यापार करता भी है।
सीबीएसई और आईसीएसई भी इसी नियम पर काम कर रही है। आज शिक्षा कोई सेवा का काम तो रहा नहीं। यह लगभग पूरी तरह से व्यापार बन गया है तो व्यापारी अपने व्यापार को चलाने के लिए हर नियम का बखूबी इस्तेमाल कर रहा है।
नंबर्स का मायाजाल
आज जब सीबीएसई और आईसीएसई के दसवीं व 12वीं के रिजल्ट को देखता हूं तो यह आभास होता है कि सीबीएसई और आईसीएसई खुद के वर्चस्व को बनाए रखने के लिए नंबर्स के मायाजाल को बिछा रही है। नंबर्स का मायाजाल बिछाकर ही सीबीएसई और आईसीएसई अपना भौकाल बना रही।
यह देखकर हैरत होती है कि किसी बच्चे के 500 में से 499 अंक आ रहे हैं। आईसीएसई में तो हद ही हो गई। 500 में से 500 अंक लाकर दो बच्चों ने इतिहास रच दिया है। नि:संदेह यह सभी बच्चे बहुत ही ज़्यादा प्रतिभावान हैं। इनकी प्रतिभा पर किसी प्रकार का कोई शक भी नहीं है लेकिन 500 में से 500 अंक लाना असंभव सा काम लगता है।
नंबर केवल वैल्यू बढ़ाने के लिए
सवाल उठते हैं कि क्या बच्चों ने एक भी गलती नहीं की होगी? क्या बच्चों ने इतना सही लिख दिया जो सुधार की कोई गुंजा़ईश नहीं है? जब इन सब बातों के बारे में सोचता हूं तो मन में एक सवाल आता है। सवाल यह कि कहीं यह वर्चस्व की लड़ाई तो नहीं?
आज इन नंबर्स का शोर चारों तरफ है। इसके आधार पर ही सीबीएसई और आईसीएसई का भौकाल बना हुआ है। इन स्कूलों के अधिकतर बच्चे 90% से ऊपर अंक ला रहे हैं। ऐसे में स्टेट बोर्ड की वैल्यू कम होती जा रही है। वैल्यू कम कैसे हो रही है इसको एक उदाहरण से समझिए।
एडमिशन कहां कराना है?
मान लीजिए, आप एक बच्चे के अभिभावक हैं और आप अपने बच्चे का एडमिशन कराना चाहते हैं। इसके लिए आपके पास तीन ऑप्शन है। पहला स्टेट बोर्ड, दूसरा सीबीएसई और तीसरा आईसीएसई वाला स्कूल और अभी-अभी सीबीएसई, आईसीएसई और स्टेट बोर्ड का रिजल्ट भी निकला है।
रिजल्ट में स्टेट बोर्ड के 100 बच्चों में से 65 से 70 बच्चे पास हुए हैं और 10% बच्चे ही 90% से अधिक अंक ला पाए हैं। स्टेट बोर्ड टॉपर भी 96 से 97% पर जाकर अटक गया है। अब दूसरी तरफ सीबीएसई और आईसीएसई का रिजल्ट है।
जिसमें 100 में से 99 बच्चे पास हुए हैं, 30 से 35% बच्चे 90% से अधिक अंक लाए हैं और टॉपर बच्चों के 499 या फिर 500 नंबर आए हैं। अब आप ही फैसला कीजिए कि आप अपने बच्चे का एडमिशन कहां कराएंगे?
नंबर्स के आधार पर भौकाल
स्वाभाविक बात है कि आप स्टेट बोर्ड को छोड़कर सीबीएसई या फिर आईसीएसई को ही चुनेंगे क्योंकि बाज़ार में इसका भौकाल है। मुझे ऐसा लगता है कि यह सीबीएसई और आईसीएसई की सोची समझी साज़िश है। साज़िश नंबर्स के आधार पर मार्केट में अपना ऐसा भौकाल बना दो कि अभिभावक का ध्यान दूसरी ओर जाए ही नहीं।
यह इसमें काफी हद तक कामयाब भी हो रहे हैं। आज बाज़ार पर पूरी तरह से इनका कब्ज़ा हो रहा है। भारी भरकम फीस और बदले में नंबर्स का मायाजाल। जिसमें आज का अभिभावक फंसता ही चला जा रहा है।