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“रवीश जी, आप इतने ज़्यादा मोदी और भाजपा विरोधी क्यों हैं?”

रवीश कुमार

रवीश कुमार

2014 के आम चुनाव से ही मैं राजनीति में रूचि लेने लगा था क्योंकि उस समय एक बहुत आश्चर्यजनक और बेहतरीन कार्य अन्ना हज़ारे द्वारा किया जा रहा था जो लोकपाल नियुक्त करने से संबंधित था।

उसके बाद जब चुनाव हुए और बीजेपी जीत गई तब रवीश अपनी पत्रकारिता का परिचय देते हुए हर वक्त इन चीज़ो पर केंद्रित थे। जिसमें मोदी और गुजरात में उनका कार्यकाल कैसा रहा?

खास करके गुजरात के दंगो में उनका कितना हाथ था? उस बारे में विशेष जानकारी जुटा रहे थे और दे भी रहे थे। उस वक्त एक नयी पार्टी का गठन हुआ था। जिसका नाम था आम आदमी पार्टी। उन्होंने इसके काम का भी अच्छा लेखा-जोखा दिया।

रवीश डोपिंग से अछूते नहीं

मुझे लगने लगा कि जो है बस एनडीटीवी है और उसके इकलौते रिपोर्टर और पत्रकार रवीश हैं। मैं तो उनसे इतना प्रभावित था कि उनकी लिखी किताबें भी पढ़ता था और लोगों को रेकमेंड भी करता था परन्तु चीज़ें हमेशा एक जैसी कहां रहती हैं?

रवीश कुमार। फोटो साभार: Getty Images

धीरे-धीरे मुझे पत्रकारिता और राजनीति समझ आने लगी तब मुझे लगा कि रवीश भी डोपिंग से अछूते नहीं हैं। उनमें किसी पार्टी का मिश्रण ज़रूर है। चाहे वह कुछ परसेंट ही क्यों ना हो और मैंने उन्हें जितना ज्यादा फॉलो किया, उतना मुझे समझ आने लगा कि वह भाजपा और मोदी के कितने विरोधी हैं। किसी के समर्थक हैं या नहीं हैं मैं उसकी चर्चा नहीं करूंगा।

मैं क्यों मानता हूं कि रवीश भाजपा विरोधी हैं?

साक्ष्य के तौर पर मैं राहुल गाँधी के साथ रवीश कुमार का वह इंटरव्यू डिकोड करते हुए बताना चाहूंगा कि क्यों मुझे लगता है, रवीश भाजपा विरोधी हैं।

रवीश ने राहुल से प्रश्न किया, “राहुल आप कौन-सी विचारधारा से लड़ रहे हैं?” विचारधारा का यह प्रश्न ही कौतूहल पैदा करने वाला है। मुझे लगा यह प्रश्न कन्हैया कुमार जैसे लोगों के लिए ही बना है।

खैर, राहुल का जवाब आया आरएसएस से। उन्होंने कहा कि आरएसएस की विचारधारा से किसान, माताएं, आम जनता और लोग सब परेशान हैं। उन्होंने कहा कि कोई ऐसी शक्ति है, जो हिंदुस्तान और इसकी आवाम को कंट्रोल करना चाहती है और उसके लिए प्रयत्न भी कर रही है।

इंदिरा गाँधी नहीं जो सबको कंट्रोल करेंगी

अरे भैया, वह आरएसएस है। इंदिरा गाँधी नहीं हैं कि सबको कंट्रोल करेंगी। आरएसएस के पास इतनी ताकत कैसे है यह तो आप ही बता सकते हैं। मेरे समझ में यह नहीं आया कि रवीश ने इस पर क्रॉस क्वेश्चन क्यों नहीं किया? मेरे समझ में यह नहीं आ रहा है कि भारत का एक संगठन जो आज़ादी और राहुल गाँधी दोनों के पहले से मौजूद है, वह भारत जैसे विशाल और विविधताओं से भरे देश को कैसे कंट्रोल कर रही है?

इंदिरा गाँधी। फोटो साभार: Getty Images

आज़ादी के बाद कांग्रेस ही सर्वाधिक समय सत्ता में रही तब आरएसएस की शक्तियों को श्राप लग गया था क्या? या कांग्रेस के डर से आरएसएस ने अपनी विचारधारा बदल ली थी? आरएसएस तो तब भी अपना कार्य कर रही थी और उसकी विचारधारा उस समय भी वही रही होगी जो आज है?

रवीश के मन यह प्रश्न क्यों नहीं आए?

खैर, यह प्रश्न मेरे मन में आया लेकिन रवीश के मन में क्यों नहीं आया मुझे नहीं पता लेकिन मेरे हिसाब से आना ज़रूर चाहिए था। रवीश ने राहुल से पूछा, “मेडिकल से लेकर प्रत्येक सरकारी सेवाओं चाहे वह सरकारी नौकरियां देने की बात हो या स्कूल बनाने का ज़िक्र। सभी में एक बूस्ट लाने की बात कर रहे हैं।”

राहुल ने उनसे कहा, “हां, हम लाएंगे और यह टॉपिक यहीं बंद हो गया।” मैं यह पूछना चाहता हूं कि 2014 से पहले आपने क्या किया? उस समय सरकारी कार्यालय, सरकारी अस्पताल या स्कूल नहीं थे? उनकी हालत सुधारने के लिए उस समय की सरकार ने क्या काम किया था?

मोदी सरकार हर जगह रिफाॅर्म पेश कर रही है। चाहे वह उज्ज्वला योजना हो, मेक इन इण्डिया हो, स्वच्छ भारत अभियान हो या आयुष्मान भारत हो।

आपका यह स्टेटमेंट मुझे ज्यादा कुछ नहीं बल्कि एक चुनावी एजेंडा लगता है जिसे आप मोदी सरकार के कार्यकाल से एक कम्पटीशन की तरह लेकर बोल रहे हैं। यह सवाल जो मेरे मैं में आया क्या वह रवीश के मन में नहीं आना चाहिए था?

कुछ ऐसे प्रश्न जो राहुल और काँग्रेस के लिए गले की हड्डी बन सकते थे। जैसे- नेशनल हेराल्ड केस, पित्रौदा का 1984 सिख दंगो पर दिया बयान और सुप्रीम कोर्ट का मांगा हुआ माफीनामा इत्यादि।

क्यों इस पर केवल कुछ सेकंड का ही डिस्कशन होता है? इस बारे में पूछने के लिए रवीश के पास क्यों कुछ नहीं था? काँग्रेस की सच्चाई उजागर करने वाले प्रश्नों को रवीश ने डिब्बा बंद क्यों कर दिया?

जिन मुद्दों पर काँग्रेस से सवाल पूछा जाना चाहिए था वह क्यों नहीं पूछा रवीश ने? 1984 सिख दंगों के लिए जबकि यह साबित हो गया है कि इसमें काँग्रेस का ही हाथ था‌।

राहुल का इंटरव्यू या मोदी का फीडबैक प्रोग्राम

खैर यह इंटरव्यू देखकर मुझे ऐसा लग रहा था जैसे रवीश और राहुल एक साथ बैठ कर मोदी सरकार के पांच साल के कार्यकाल का लेखा जोखा कर रहे थे। ना कोई ढंग का विश्लेषण और ना कोई फैक्चुअल डाटा। अरे भैया मुझे कोई यह बता दे कि यह राहुल का इंटरव्यू था या मोदी का फीडबैक प्रोग्राम?

रवीश को समझने के लिए और भी तथ्य

रवीश को समझने के लिए और भी तथ्य हैं। मैं उनपर भी बात करूंगा। एक दिन बॉलीवुड के अभिनेता अक्षय कुमार ने मोदी का नॉन-पोलिटिकल इंटरव्यू लिया। उस पर इतना बवाल मचा कि हफ्ते भर तक यही चर्चा में रहा।

रवीश को इतना बुरा लगा कि उन्होंने अपना एक दिन का प्राइम टाइम ही नॉन-पोलिटिकल कर दिया और बस आम के फल पर चर्चा करते रहे। इस हद तक मुझे लगता है किसी भी मीडिया के चैनल ने मोदी और अक्षय को क्रिटिसाइज़ करने के लिए कार्य नहीं किया होगा।

मोदी और अक्षय को लेकर बवाल क्यों?

मैं रवीश से यह पूछना चाहता हूं कि अगर ध्रुव राठी और स्वरा भास्कर जैसे नॉन-पॉलिटिकल लोग आपके और आपके जैसे विख्यात मीडिया चैनल पर आकर पॉलिटिकल इंटरव्यू दे सकते हैं तो नरेंद्र मोदी का अक्षय कुमार ने एक नॉन-पॉलिटिकल इंटरव्यू लेकर क्या गलत कर दिया?

पश्चिम बंगाल में लोकतंत्र की धज्जियां

रवीश अगर आपको भारतीय लोकतंत्र और भारत की इतनी ही चिंता है तो आप पश्चिम बंगाल क्यों नहीं जाते? वहां के हालात का जायजा क्यों नहीं लेते?  जहां आय दिन बीजेपी कार्यकर्ताओं को जान से मार दिया जाया है। उन्हें रैलियां नहीं करने दी जाती और जय श्री राम कहने पर लोगों को जेल में डालने की धमकी दी जाती है। वहां का लोकतंत्र और कानून एकदम फर्स्ट क्लास है क्या?

फोटो साभार: Twitter

चुनाव के दौरान वहां हिन्दुओं को वोट डालने से रोका जाता है और जो वोट डाल रहे हैं, उन पर निगरानी की जा रही है। वोटिंग बूथ पर बम फेंके जा रहे हैं। यहां लोकतंत्र और कानून की धज्जियां नहीं उड़ रही हैं? मानवाधिकार का हनन नहीं हो रहा है?

रवीश, इस पर अपने प्राइम टाइम में टिप्पणी कब करेंगे? कब ममता बनर्जी को अपने सवालों के कटघरे में खड़ा करेंगे? क्या आप ममता से भी वैसे ही प्रश्न करेंगे जैसे राहुल से किया आपने?

रवीश भी मिश्रण का हिस्सा

खैर अब मुझे समझ आ गया है कि आप भी उसी पत्रकारिता का हिस्सा हैं। जिन्हें आपने गोदी मीडिया का नाम खुद दिया था। आप भी मिश्रण में ही हैं। अब यह गोदी मीडिया मुझे या मुझ जैसे युवक को बेवकूफ नहीं बना पाएगी क्योंकि हम यह जानने में अब सक्षम हैं कि क्या सही और गलत है। अब हम ऐसी मीडिया और ऐसे मीडिया के चैनलों से बचकर रहेंगे।

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