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बडगाम चॉपर क्रैश: क्या हमने अपने ही चॉपर को दुश्मन समझने की भूल कर दी?

Budgam chopper incident

ईवीएम और एग्ज़िट पोल की गहमागहमी के बीच एक खबर आयी थी, जो पत्रकारिता के स्टूडेंट्स के साथ-साथ आम हिन्दुस्तानियों को भी पढ़नी चाहिए। इसके नाम पर पिछले 2-3 महीने से लगातार वोट मांगे जा रहे थे। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महाराष्ट्र के लातूर ज़िले के औसा में फर्स्ट टाइम वोटर्स से यह अपील की थी कि वे बालाकोट स्ट्राइक और पुलवामा हमले के शहीदों के नाम पर वोट दें।

हर रैली, हर सभा और अनगिनत टीवी डिबेट्स में तथाकथित राष्ट्रवादी पार्टी ने इस मुद्दे को इतनी बखूबी भुनाया है कि चुनाव आयोग भी किंकर्तव्यविमूढ़ रहा कि आचार संहिता के किस गाइडलाइन के तहत उनपर कार्रवाई की जाए? नतीजतन, कोई कार्रवाई नहीं हुई।

फोटो सोर्स- Getty

21 मई के इकनॉमिक टाइम्स के डिजिटल एडिशन में मनु पब्बी ने ‘बडगाम चॉपर क्रैश’ को लेकर एक एक्सक्लूसिव स्टोरी की है। इसमें बताया गया है कि 27 फरवरी को श्रीनगर के बडगाम में जो Mi-17 V-5 चॉपर क्रैश हुआ था, उसकी जांच के बाद भारतीय वायु सेना के कुछ अधिकारियों के खिलाफ ‘कल्पेबल होमिसाइड’ यानी कि ‘सदोष मानवहत्या’ या ‘गैर-इरादतन हत्या’ के तहत कार्रवाई की जा सकती है।

क्या हुआ था मामला

दरअसल, इस पूरे मुद्दे को समझने के लिए आपको मनु पब्बी की 1 अप्रैल 2019 को इकनॉमिक टाइम्स में फाइल की गई एक रिपोर्ट पढ़नी चाहिए। इसमें लिखा है कि भारतीय वायु सेना के Mi-17 V-5 चॉपर क्रैश के जांच में यह पाया गया है कि क्रैश से ठीक पहले एक ‘इंडियन एयर डिफेंस मिसाइल’ फायर किया गया था, जो इस बात की ओर इशारा करता है कि उसी मिसाइल की वजह से बडगाम में Mi-17 चॉपर क्रैश हुआ था, जिसमें भारतीय वायु सेना के 6 जवान और ज़मीन पर एक आम नागरिक मारे गए थे।

तकनीकि तौर पर बात करें तो 1 अप्रैल की रिपोर्ट में यह लिखा गया है कि चॉपर क्रैश की जांच में इस बात का ध्यान रखा जा रहा है कि क्रैश से पहले Mi-17 चॉपर का ‘IFF’ यानी कि आईडेंटीआई फ्रेंड और फो (मित्र या दुश्मन) की पहचान या चिन्हित करने वाला सिस्टम ऑन था या नहीं। तब भारतीय वायु सेना के उच्च अधिकारियों ने यह कहा था कि अगर अधिकारी इसमें कोई दोषी पाए जाते हैं, तो उनका कोर्ट मार्शल करने से भी वह नहीं कतराएंगे।

बालाकोट एयर स्ट्राइक के बाद भारतीय वायु सेना के अफसरों के मुताबिक, 27 फरवरी 2019 को पाकिस्तान अपने लड़ाकू विमानों के साथ-साथ कुछ ‘मानवरहित आर्म्ड व्हीकल्स’ (UAV) भी भेज सकता था। आमतौर पर यह UAVs कम ऊंचाई पर उड़ते हैं, जो मिलिट्री ठिकानों को टारगेट करने के लिए इस्तेमाल किये जाते हैं। इस खतरे से निपटने के लिए एहतियातन कई प्रोटोकॉल फॉलो किये जाते हैं, जिससे दुश्मन-UAV को पहले ही मार गिराया जा सके।

हमने अपने ही चॉपर को दुश्मन समझकर अपनी ही मिसाइल से उसे गिराया

गौरतलब है कि रशियन Mi-17 चॉपर भी एक लो फ्लाइंग ऑब्जेक्ट है। रिपोर्ट्स यही इशारा करती हैं कि हमने अपने ही चॉपर को दुश्मन समझने की भूल कर दी और अपनी ही मिसाइल से उसे गिराया, जिसमें एक आम नागरिक समेत 6 अफसर शहीद हो गए। इस पूरे घटनाक्रम में चॉपर एयरबेस के विभिन्न अधिकारियों के रोल को जांच के दायरे में लाया जा रहा है। सबसे बड़ा सवालिया निशान ‘टर्मिनल वेपन्स डिरेक्टर’ (TWD) के निर्देश और कार्यशैली पर खड़ा होता है, जिसने मिसाइल फायर करने की अनुमति दी। उस दिन TWD ही सेकंड-इन-चार्ज और ‘चीफ ऑपरेशन्स ऑफिसर’ (COO) थे।

भारत की तरफ से बडगाम चॉपर हादसे को क्रैश बताया गया है लेकिन अपने आधिकारिक बयान में इसे शामिल नहीं किया है कि यह हादसा एक एक्सटर्नल फोर्स के कारण हुआ है। पाकिस्तान ने भी अपने आधिकारिक बयान में किसी भारतीय चॉपर को मार गिराने की बात नहीं की है। सबसे अहम बात यह है कि रशियन मेड Mi-17 V-5 चॉपर तकनीकि रूप से बहुत मज़बूत और एडवांस लेवल हेलिकॉप्टर माना जाता है। 2018 में मोदी सरकार ने रूस से 48 Mi-17 V-5 ख़रीदे थे।

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