गैंग्स ऑफ वासेपुर का पहला सीन और बैकग्राउंड में चलता उस दौर का सबसे चहेता डेली सोप “क्योंकि सास भी कभी बहू थी” और उसकी तुलसी। एक अदाकारा, जो कभी जानी जाती थी संस्कारी बहू के किरदार के लिए लेकिन 2003 में वह आ जाती है राजनीति में। हां जी, बिल्कुल मैं बात कर रहा हूं ‘स्मृति जुबिन ईरानी’ की।
वही स्मृति ईरानी जो 2004 में नई दिल्ली सीट से कपिल सिब्बल से हारी थीं और 2014 में राहुल गॉंधी से। वही स्मृति जो मोदी की बहन है और यह वही स्मृति हैं, जिन्होंने मोदी के खिलाफ ही आमरण अनशन की घोषणा कर दी थी। तत्कालीन मुख्यमंत्री मोदी पर उनका आरोप उन्हें चुनाव हराने का था।
मोदी जी से विवाद को ज़्यादा सीरियसली मत लीजिए, क्योंकि “रिश्तों के भी रूप बदलते हैं”। स्मृति ईरानी 2014 में उन मंत्रियों में शुमार थीं, जो हारकर भी कैबिनेट की शोभा बढ़ा रही थीं। वैसे “मानव संसाधन विकास मंत्री” रहते हुए, उनके काम से ज़्यादा डिग्री की चर्चा रही थी और संसद में एक्टिंग (कुछ लोग ऐसा कहते हैं) या कहें जज़्बाती भाषण की। उदाहरण भी ले लीजिए, “अगर आप मेरे जवाब से आज संतुष्ट ना हो तो कसम खाकर कहती हूं, मायावती जी मैं अपना सर कलम करके आपके चरणों में रख दूंगी”। याद रखिए यह सब इतिहास था।
एक नेता के रूप में अव्वल साबित हुई हैं स्मृति ईरानी
आज हम उस स्मृति ईरानी की बात कर रहे हैं, जो मंत्री के तौर पर भले ही विवादित रही हो लेकिन एक नेता के तौर पर अव्वल साबित हुईं। 2014 की हार की राख से भविष्य के विजय तिलक की तैयारी का अगर कोई उदाहरण है, तो वह स्मृति ईरानी हैं। अक्सर लोग वहां जाने से कतराते हैं, जहां से रुसवाई मिली हो लेकिन स्मृति ईरानी का अमेठी के प्रति प्यार या राजनीतिक योजना (आप जिसके समर्थक हैं, उस हिसाब से कह लें) एक बेहतरीन उदाहरण हैं।
स्मृति ईरानी के 5 साल तक अथक प्रयास, लोगों से सीधा जुड़ाव और कार्यकर्ताओं से संवाद से उन्हें यह जीत दिलाई है। उन्होंने अमेठी में राहुल गॉंधी को उनके गढ़ में जाकर हराकर बताया कि प्रबल इच्छाशक्ति से सबकुछ मुमकिन है। यहां जो यह चिपकाना चाह रहे होंगे, “मोदी है तो मुमकिन है” तो यह उनके लिए झटका है, क्योंकि स्मृति ईरानी की अमेठी की जीत सिर्फ उनकी मेहनत की जीत है और अमेठी की जनता की जीत है। वह कसौटियों पर कितनी खरी उतरती हैं, वह आगे आने वाला वक्त बताएगा लेकिन 17वीं लोकसभा के चुनाव में आपकी जीत की नायक आप खुद हैं स्मृति ईरानी जी। सही ही ट्वीट किया था आपने
“कौन कहता है कि आसमान में सुराख हो नहीं सकता,
एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारों”
कौन कहता है आसमां में सुराख नहीं हो सकता …
— Smriti Z Irani (@smritiirani) May 23, 2019
वेलडन स्मृति जुबिन ईरानी।