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कूड़े का ढेर बनता प्रयागराज

प्रयागराज

प्रयागराज

उत्तर प्रदेश सरकार ने साल की शुरुआत में ही प्रयागराज को पूरी दुनिया में सबसे बड़े जमावड़े का रिकॉर्ड बनाया, जहां पूरी दुनिया के श्रद्धालु जुटे थे। सरकार ने अपनी मेज़बानी में कोई कसर नहीं छोड़ी और प्रयागराज कुंभ के समय तमाम रिकॉर्ड्स बनाने के दावे हुए।

सरकार ने भी स्वच्छता को लेकर बड़े दावे किए। सुविधाओं को बेहिसाब तरीके से बढ़ाया गया। संगम तट पर अनगिनत टेंट लगाए गए और हज़ारों स्वयंसेवकों को तैनात कर स्वच्छता का संदेश दिया गया।

प्रयागराज कुंभ के दौरान स्वच्छता?

स्वच्छ भारत अभियान के तहत बड़े-बड़े होर्डिंग्स लगाए गए और यह दावा किया गया कि सरकार की तरफ से प्रयागराज कुंभ के दौरान स्वच्छता में कोई कसर नहीं छोड़ी गई। कुंभ दो तीन माह पहले पूरा हो चुका है लेकिन हकीकत क्या है?

हकीकत हम बताते हैं। दरअसल, संगम में बेहिसाब काम हुए। तमाम टेंट बनाए गए और शौचालयों का निर्माण हुआ, जिससे सरकार ने पूरी दुनिया से तारीफें बटोरी। चूंकि उस समय सबकुछ चकाचक नज़र आ रहा था इसलिए किसी मीडिया वाले का संगम तट पर क्या काम?

कुंभ ने बनाया गंदगी फैलाने का रिकॉर्ड

स्वच्छ भारत मिशन को किसी कार्यक्रम से जोड़ दें और उसकी विफलता को देखें तो कुंभ के बाद प्रयागराज ने एक बहुत बड़ा अनचाहा रिकॉर्ड बना लिया है। वह रिकॉर्ड है गंदगी फैलाने, गंगा को  अधिक प्रदूषित करने और बेहिसाब कचरे को गंगा में समाहित करने का।

उस रिकॉर्ड का अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि वर्षों से गंगा सफाई पर नज़र रख रही वाराणसी की एक संस्था ने कुंभ के बाद अपने आंकड़े जारी किए जो बेहद चौंकाने वाले रहे।

इन आंकड़ों के मुताबिक गंगा नदी पिछले कई सालों की तुलना में कहीं अधिक गंदी हो चुकी है। वाराणसी में गंगा के प्रदूषण पर नज़र रख रही संस्था संकट मोचन फाउंडेशन (एसएमएफ) के मुताबिक पीने योग्य पानी में कॉलीफॉर्म बैक्टीरिया 50 एमपीएन /100 मिलीलीटर और नहाने के पानी में 500 एमपीएन/100 मिलीलीटर होना चाहिए।

एक लीटर पानी में बीओडी की मात्रा 3 मिलीग्राम से कम होनी चाहिए लेकिन ताज़े आंकड़ों में फेकल कॉलीफॉर्म की संख्या 4.5 लाख (2016) से बढ़कर फरवरी 2019 में 3.8 करोड़ हो गई।

उमा भारती की समाधि वाली बात

केंद्र सरकार ने गंगा नदी की सफाई को युद्ध स्तर पर लिया है। एक नया मंत्रालय बनाकर पांच सालों में गंगा को प्रदूषण मुक्त बनाने के तमाम दावे कर चुकी है। यहां तक कि गंगा सफाई का काम जिन उमा भारती की देखरेख में होना था। उन्होंने भी दावा किया था कि अगर मैं साल 2018 तक गंगा को स्वच्छ और निर्मल ना बना पाई तो उसी गंगा में समाधि ले लूंगी लेकिन अब साल 2019 का आधा समय बीत चुका है।

गंदगी छिपाने का हुआ प्रयास

बीच के समय में गंगा सफाई की कमान केंद्र सरकार ने नितिन गड़करी‌ को सौंपी। उन्होंने आते ही गंगा सफाई की तारीख बढ़ाकर 2020 कर दिया। खैर, इन तारीखों से ज्यादा फर्क नहीं पड़ता जबतक गंगा को पवित्र बनाने की दिशा में कोई ठोस कदम ना उठाए जाएं।

मौजूदा समय की बात करें तो कुंभ परिक्षेत्र के इलाके में सरकार ने गंदगी हटाने और साफ-सफाई की जगह गंदगी को छिपाने में समय और धन बर्बाद किया है।

बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक कुंभ परिक्षेत्र में जगह-जगह गंदगी फैली हुई है। कूड़े को जलाकर हवा को प्रदूषित बनाया गया है या फिर गंगा तट पर बड़े-बड़े गड्ढे खोदकर उसमें कूड़े को दबा दिया गया है। कुछ जगहों पर जो शौचालय बनाए गए उसके अपशिष्ट तक का निपटारा नहीं किया गया। प्रशासन का दावा है कि गंगा किनारे से कूड़ा हटा दिया गया है लेकिन बीबीसी की यह पड़ताल सरकार और प्रशासन के दावों की पोल खोल रही है।

फोटो साभार: फेसबुक

यहां सवाल यह भी है कि कुंभ परिक्षेत्र से जो कूड़ा निकला और वह अगर उठाया भी गया तो क्या प्रशासन के पास उस तरह की मशीनरी है कि वह इस कूड़े का परिशोधन कर सके? जवाब है नहीं, यही वजह है कि प्रयागराज कुंभ के पूरे इलाके में ना सिर्फ गंदगी और कचरे का ढेर है बल्कि वह सरकार के उन दावों पर तमाचे की तरह भी है जो दावे स्वच्छता अभियान को लेकर सरकार और प्रशासन करती रही हैं।

नोट: लेखक करीब एक दशक से सक्रिय पत्रकार हैं। मौजूदा समय में एक राष्ट्रीय न्यूज़ चैनल में बतौर सीनियर प्रोड्यूसर कार्यरत हैं।

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