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मेरे द्वारा लिखी गई बस्तर की स्टोरी जिसे अखबार ने छापने से मना कर दिया

तुहीन देब

तुहीन देब

दंतेवाड़ा व बस्तर क्षेत्र में कॉरपोरेट ताकतें लंबे समय से जल, जंगल और ज़मीन को लूट रही है। प्राकृतिक संसाधनों से लबरेज़ बस्तर के लोहांडीगुड़ा क्षेत्र पर टाटा की नज़र है, जो प्रशासन की मदद से झूठे ग्रामसभा का आयोजन कर स्टील प्लांट लगाने का उपक्रम कर रहा है।

पानी, बिजली और ज़मीन के मामले में कॉरपोरेट ताकत टाटा को राज्य सरकार द्वारा सहूलियत दी गई हैं, जिसे जनता के बीच सार्वजनिक नहीं किया गया है। साथ ही स्टील प्लांट के नाम पर आदिवासियों से जबरन भूमि अधिग्रहण किया जा रहा है। इस संदर्भ में कई दफा मैंने खबर लिखी लेकिन कॉरपोरेट मीडिया ने नहीं छापा।

ज़मींदारी आज भी कायम

दूसरी तरफ दंतेवाड़ा में कॉरपोरेट ताकत एस्सार का दबदबा है। दक्षिण छतीसगढ़ में अगर टाटा और एस्सार का बोलबाला है तो उत्तर छतीसगढ़ के सरगुजा में अडानी समूह का और रामगढ़-जशपुर क्षेत्र में जिंदल की ज़मींदारी कायम है।

प्राकृतिक संसाधनों की लूट और आदिवासियों का दमन और उन्हें आपस में लड़ाने का खेल ‘सलक जुड़ूम’ राज्य सरकार के प्रत्यक्ष निर्देशन तथा काँग्रेस पार्टी के प्रमुख नेता महेंद्र कर्मा के सहयोग से शुरू हुआ है। इसके साथ ही आदिवासी क्षेत्र में कॉरपोरेट लूट को सुगम बनाने के लिए सैनिक दमन ऑपरेशन ‘ग्रीन हंट’ झारखंड, छातीसगढ़, ओडिशा और पश्चिम बंगाल में चलाया जा रहा है।

मुनाफे में षड़यंत्र के तार

सुकमा से कोंटा तक मात्र 78 कि.मी लंबे राष्ट्रीय राजमार्ग के निर्माण में सरकार को 20 साल लग गए लेकिन एस्सार ने चंद महीनों में ही इस पाइप लाइन का निर्माण कर लिया। इस पाइप लाइन में शबरी नदी के पानी से आयरन और फाइंस (ब्लू डस्ट) का परिवहन किया जाता है।रोज़ाना करीब 40 हज़ार टन लौह अयस्क के इस परिवहन के मुनाफे में कई बड़े षड़यंत्र के तार जुड़े हैं।

प्रोटेक्शन मनी के रूप में करोड़ों राशी

छत्तीसगढ़, ओडिशा और झारखंड में मुनाफा कमाने में लगे कॉरपोरेट घराने भाकपा (माओवादी) को हर साल करोड़ों रुपये की राशी प्रोटेक्शन मनी के रूप में उपलब्ध कराई जा रही है। यह बात विकीलीक्स द्वारा उजागर किया गया है कि बस्तर क्षेत्र में एस्सार द्वारा माओवादियों को आर्थिक मदद दी जा रही है।

फोटो साभार: फेसबुक

दंतेवाड़ा में पुलिस ने कुआंकोंडा के पालनार बाज़ार में माओवादी कमांडर रघु और विनोद को 15 लाख रुपए देने पहुंचे एस्सार के ठेकेदार बी.के लाला को रंगे हाथों पकड़ लिया। देश के इतिहास में पहली बार हुआ जब किसी कंपनी के ठेकेदार और एस्सार के महाप्रबंधक डी.बी.सी. एस वर्मा को माओवादियों को प्रोटेक्शन मनी देने के आरोप में गिरफ्तार किया गया।

एस्सार अधिकारी माओवादियों को दे रहे पैसे

पुलिस द्वारा गिरफ्तार लोगों ने स्वीकार किया कि एस्सार के अधिकारी घने जंगलों से गुज़रने वाली अपनी पाइप लाइन को सुरक्षित रखने के लिए लाखों रुपए माओवादियों को देते आ रहे हैं।

एस्सार के घुस कांड में आदिवासी शिक्षिका सोनी सोरी को दंतेवाड़ा में यातनाएं दी गई। जिले के पुलिस अधीक्षक अंकित गर्ग के नेतृत्व में सोरी के गर्भाशय में पत्थर डाले गए। यह कोलकाता के नील रत्न सरकार मेडिकल कॉलेज के जांच में पता चली।

एस.आई.टी का गठन मामले को दबाने के लिए

एस्सार जैसे बड़े कॉरपोरेट घराने को संकट से बचाने के लिए भाजपा सरकार ने एस.आई.टी का गठन किया और मामले को दफना दिया गया। अब ठेकेदार बी.के लाला और एस्सार के महाप्रबंधक को जमानत मिल गई मगर सोरी अब भी जेल में बंद है।

खुद को आदिवासियों का रक्षक और कॉरपोरेट ताकतों के विरोध का दिखावा करने वाले माओवादी भी क्रांतिकारी वामपंथ से भटककर अराजकता की ओर बढ़ रहे हैं और कॉरपोरेट ताकतों से गठबंधन कर रहे हैं।

काँग्रेस भाजपा के विरोध का दिखावा कर रही है मगर प्राकृतिक संसाधनों को लूट से बचाने के लिए काँग्रेस गृहमंत्री चितंबरम बस्तर में अर्ध सैनिक बलों को तैनाती कर तथा भरपूर संसाधन मुहैया कर भाजपा राज्य सरकार की पूरी मदद कर रही है।

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