पहले उन्होंने कहा, “ईवीएम हैक हुई वरना जनता तो हमारे साथ थी।” फिर उन्होंने कहा, “ईवीएम स्वैप हो रही है, जनता हमारे साथ है, कार्यकर्ताओं डटे रहो।” कभी लिखते हैं कि आज महात्मा गाँधी हार गए, फिर लिखते हैं कि इस देश का कुछ नहीं हो सकता क्योंकि यहांं की जनता मूर्ख है।
भाई! पूरे देश में तुम लोग, जो गिनती के बचे हुए हो, क्या सबसे ज़्यादा विद्वान हो? अति बौद्धिकता व्यक्ति को ज़मीन से काट देती है। मुझे पक्का यकीन है कि आने वाले 15 दिन लगातार ‘द हिंदू’ में तुम लोग सिर्फ और सिर्फ केरल का एनालिसिस करोगे।
लोकतंत्र में जनता सर्वोपरि होती है। अनर्गल प्रलाप छोड़कर जनमत का सम्मान करना सीखो। इस देश में जाति की दीवारें टूट चुकी हैं। आने वाले समय में धर्म की दीवारें भी टूटने वाली हैं। इसके पहले सभी चुनाव गरीबी और बेरोज़गारी जैसे मुद्दों पर ही लड़े और जीते गए थे लेकिन ना गरीबी दूर हुई ना बेरोज़गारी।
यह पहला चुनाव है जो राष्ट्रवाद के नाम पर लड़ा और जीता गया क्योंकि जनता तुम्हारे गरीबी हटाओ, बेरोज़गारी हटाओ जैसे छलावों से तंग आ चुकी है।
दरअसल, देश के लोग अब बदल रहे हैं। दलित, जिसे तुम लोग दलित बनाए रखना चाहते थे, वह दलित बनकर नहीं रहना चाहता है। इतनी छोटी सी बात को तुम लोग क्यों नहीं समझना चाहते हो? इस देश का पिछड़ा वर्ग पिछड़ापन को दूर कर समाज के मुख्यधारा में गर्व के साथ शामिल हो चुका है लेकिन यह बात तुम लोग मानने को तैयार नहीं हो, अभी भी उसे ‘असली पिछड़ा’ बनाने में लगे हुए हो।
तुम्हारा सो कॉल्ड सेक्युलरिज़्म अब दम तोड़ चुका है। लोग अपने धार्मिक प्रतीकों को तुम्हारे राजनीतिक कीचड़ से दूर रखना चाहते हैं।
बात-बात पर टोपी पहनने, जनेऊ पहनने, मंदिर-मस्जिद घूमने का नाटक करना छोड़ दो। यहां की जनता जान चुकी है कि यह राष्ट्र उनके धार्मिक विश्वास में आड़े कभी नहीं आएगा।
तुम लोग बस हिंदू-मुसलमान करके अपनी रोज़ी-रोटी चलाते हो और तुम्हारे इस प्रपंच को जनता जान चुकी है। इस देश के लोग समान अधिकारों के साथ इस देश के नागरिक हैं और तुष्टीकरण अब यहांं पर नहीं चलने वाला है। जनादेश इस बात का संकेत है कि जन-गण-मन तुष्टीकरण की राजनीति से ऊपर उठते हुए समान नागरिक संहिता स्वीकार करने के लिए पूरी तरह तैयार हैं।