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“क्या हुआ जब माँ से पहली बार पीरियड्स पर खुलकर चर्चा किया”

महिला

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मैं जब छोटी थी तब माँ ने मुझसे कहा कि एक बात है जो तुम्हारे लिए जानना बेहद ज़रूरी है। मेरे द्वारा पूछे जाने पर उन्होंने कहा, “पीरियड्स।” यह शब्द मेरे लिए बिल्कुल अंजान था और मैं समझ ही नहीं पा रही थी कि माँ किस बारे में बात कर रही है।

मैं जानने के लिए काफी उत्तेजित थी तब उन्होंने मुझे बताया कि जब एक लड़की पैदा होती है तब वह गुड़िया होती है बस लेकिन जब वह धीरे-धीरे बड़ी होती है तब उसको अपनी उम्र में आगे बढ़ने के लिए ज़रूरत पड़ती है पीरियड्स की। गुड़िया की ज़िन्दगी में जब यह मोड़ आता है, तब वह बड़ी हो जाती है, लड़की बन जाती है।

खैर, तब भी मेरे मन में काफी सवाल थे। मैं समझ ही नहीं पा रही थी कि अब माँ से क्या पूछना है। तब माँ ने मेरे सवालों पर विराम लगाते हुए बताया कि पीरियड्स होता क्या है और इसके होने से लड़की, माँ और औरत बनने तक का सफर कैसे पूरा करती है।

माँ ने बताया कि पीरियड्स एक लड़की के जीवन का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसके होने से एक लड़की आने वाले जीवन में एक बेहतर माँ और पत्नी की भूमिका निभा पाती हैं। मैंने माँ से पूछा, “क्या इसका होना ज़रूरी है?” तब उन्होंने कहा कि हां, यह ज़रूरी है।

माँ बताती हैं कि पीरियड्स के ज़रिये आपका शरीर भी साफ होता है। पीरियड्स की सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि वो आपके शरीर से गंदा खून निकाल कर आपको स्वस्थ बनाता है। इसके साथ ही आपके गर्भाशय को ठीक रखता है, जिसके चलते आपको आने वाले जीवन में माँ बनने में किसी भी तरह की परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता।

माँ ने इस संदर्भ में बहुत सारी बातें बताईं। उन्होंने कहा, “पहले इस अवस्था में महिलाएं कपड़े का इतेमाल किया करती थीं क्योंकि उनमें जानकारी की कमी होने के साथ-साथ आर्थिक दिक्कतें भी थीं, जिसके चलते महिलाओं को उन दिनों में काफी कुछ झेलना पड़ जाता था। जैसे- जलन और इंफेक्शन इत्यादी।”

फोटो साभार: Twitter

माँ से बात करने के बाद वाकई में मेरी जिज्ञासा शांत हुई क्योंकि माँ ही होती है जिसके सामने एक बेटी सहज होकर कुछ भी पूछ सकती है। उन्होंने आगे बताया, “पीरियड्स को लेकर अब पूरे विश्व में जागरूकता फैल रही है। इसके साथ ही सैनिटरी पैड्स का चलन इन दिनों काफी  अधिक हो गया है। आज की तारीख में पीरियड्स के संदर्भ में तमाम स्टीरियोटाइप्स खत्म हो रहे हैं और महिलाएं झिझक तोड़ते हुए इस बारे में किसी से भी जानकारी प्राप्त कर रही हैं।”

आज की तारीख में बेहद ज़रूरी है कि पीरियड्स के संदर्भ में महिलाएं ना सिर्फ जागरूकता की ओर एक कदम बढ़ाएं, बल्कि तमाम लड़कियां जिन्हें इस विषय में कम ज्ञान है, उन्हें भी अवगत कराएं। ऐसा करने से ज़ाहिर तौर पर आने वाले वक्त में हम एक बेहतर समाज बना पाएंगे जहां पीरियड्स को स्टीरियोटाइप नहीं समझा जाएगा, घृणा नहीं की जाएगी और इस पर बात करने से पहले सोचना भी नहीं पड़ेगा।

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