Site icon Youth Ki Awaaz

जानिए पीरियड्स के दौरान मेंस्ट्रुअल कप को इस्तेमाल करने का सही तरीका

मेन्सट्रुअल कप

मेन्सट्रुअल कप

अगर आप तक किसी ने यह आर्टिकल पहुंचाया है, इसका मतलब उन्हें लगता है कि आप एक स्वतंत्र विचारों वाली महिला हैं जो परंपराओं को तोड़ने में यकीन रखती हैं। अगर इस आर्टिकल में आपकी दिलचस्पी बढ़ रही है तो इसका मतलब है कि आपके अंदर नई चीज़ों को सीखने की उत्सुकता है, खासकर मेंस्ट्रुअल कप को लेकर।

हम यहां मेंस्ट्रुअल कप के बारे में बात करने जा रहे हैं, जो पर्यावरण के दृष्टिकोण से टैम्पोन और सैनिटरी नैपकिन से बेहतर होते हैं। यह मेडिकल ग्रेड सिलिकॉन से बने होते हैं और एक कप के आकार में होते हैं।

इसे आपको अपनी योनि के अंदर डालना होता है और वहां 6-10 घंटे तक रखना होता है। इसमें घबराने की बिल्कुल ज़रूरत नहीं है। यह कुछ ही घंटों में आपके गर्भाशय से निकलने वाला सारा खून जमा कर लेता है। यह एक गलतफहमी है कि जब तक यह कप आपकी योनि के अंदर है तब तक आप टॉयलेट नहीं जा सकते।

मेन्सट्रुअल कप।

कुछ घंटों बाद आप कप को निकाल कर, उसे अच्छे से साफ कर, दोबारा इस्तेमाल कर सकते हैं। यह बहुत आसान है। मेंस्ट्रुअल कप को पूरी ज़िन्दगी इस्तेमाल कर सकते हैं। बस एक बार इस्तेमाल करने के बाद इसे अच्छे से साफ करना होता है।

मैंने अक्टूबर 2015 में मेंस्ट्रुअल कप इस्तेमाल करना शुरू किया। तब से मैं अपनी ज़िन्दगी में काफी बदलाव महसूस कर रही हूं। मैं 23 वर्ष की हूं और मुझे पॉलीसिस्टिक ओवरी डिजीज़ यानि पीसीओडी है।

कई बार इसकी वजह से खून का बहाव इतना बढ़ जाता है कि मुझे अस्पताल भी जाना पड़ता है, जहां मुझे केटरोल के इंजेक्शन दिए जाते हैं। वैसे मेंस्ट्रुअल कप इस्तेमाल करने के फायदे आपको इंटरनेट पर भी मिल जाएंगे लेकिन मैं अपने अनुभव से कुछ फायदे यहां बता रही हूं।

पर्यावरण के लिए बेहतर

दुनिया की आबादी में लगभग 50% हिस्सा महिलाओं का है। यह मान कर चलते हैं कि 3.5 अरब महिलाओं में से 2 अरब महिलाओं के साल में 12 बार पीरियड्स आते होंगे। इस हिसाब से अगर एक महिला हर महीने अपने चार दिनों के पीरियड्स के दौरान हर आठ घंटे पर सैनिटरी नैपकिन बदले तो वह एक साल में 144 सैनिटरी नैपकिन इस्तेमाल कर लेंगी। 144 को अगर हम 2 अरब से गुणा कर दें तो साल में उतना कचरा सिर्फ सैनिटरी नैपकिन से इकट्ठा हो रहा है।

कई महिलाओं के पीरियड्स चार दिनों से ज़्यादा भी चलते हैं और वे दिन में तीन सैनिटरी नैपकिन से ज़्यादा भी इस्तेमाल करती हैं। सोचिए, हम महिलाएं पृथ्वी पर कितना कचरा फैला रही हैं।  

यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि सैनिटरी नैपकिन को पैक करने में भारी मात्रा में प्लास्टिक इस्तेमाल होता है और उन्हें जगह-जगह पहुंचाने में पेट्रोल/डीज़ल भी खर्च होता है। इसलिए सैनिटरी नैपकिन का इस्तेमाल बंद करके हम अपने पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाली काफी चीज़ों का इस्तेमाल कम कर सकते हैं।

एक सैनिटरी नैपकिन को डिकंपोज होने में 700-800 साल लगते हैं। सैनिट्री नैपकिन बहुत महिलाओं की पहुंच से बाहर है। जिनकी पहुंच में है भी, उनसे भी पर्यावरण का नुकसान ही हो रहा है।

स्वास्थ्य और सुरक्षा

सैनिटरी नैपकिन के ऊपरी सतह पर जेली का इस्तेमाल होता है। जहां सैनिटरी नैपकिन खून सोखता है, वहीं इस जेली की वजह से हमारे शरीर में कई नुकसानदायक केमिकल भी प्रवेश कर जाते हैं। टैम्पोन के इस्तेमाल से आपकी योनि की दीवारें सूखने लगती हैं, जिसकी वजह से टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम का खतरा बना रहता है। इससे आपकी जान भी जा सकती है।

इनके बिल्कुल विपरीत, मेंस्ट्रुअल कप मेडिकल ग्रेड सिलिकॉन से बना होता है जो योनि की दीवारों पर कोई प्रभाव नहीं डालता। यह खून सोखता भी नहीं है, सिर्फ उसे जमा करता है। अगर मैं अपनी बात करूं तो मेंस्ट्रुअल कप के इस्तेमाल से इंफेक्शन और खुजली की संभावना काफी कम होती है। यह मैं अपने अनुभव से कह सकती हूं कि मेंस्ट्रुअल कप के इस्तेमाल से पीरियड्स के दौरान होने वाले क्रैंप से भी राहत मिलती है।

सुविधाजनक

एक बार मेंस्ट्रुअल कप आपकी योनि के निचले कैनाल में अपनी जगह ले लेगा, उसके बाद वह खुद बाहर नहीं आ सकता और ना ही आपको उसके होने का एहसास होगा। आप मेंस्ट्रुअल कप को अपनी योनि के अंदर डाल कर ही टॉयलेट भी जा सकती हैं। कप से खून कभी बाहर नहीं आएगा और ना ही आपको बार-बार अपने कपड़ों पर खून के निशान देखने पड़ेंगे।

जब तक आप खुद से कप को निकाल कर साफ नहीं करेंगी, आपको पीरियड्स महसूस ही नहीं होंगे। आपके छींकने पर आपकी पैंटी पर खून के धब्बे नहीं पड़ेंगे। सारा खून कप में जमा होता रहेगा और आपको पता भी नहीं चलेगा।

यह आपकी मुट्ठी से भी छोटा होता है और कहीं भी फिट हो जाता है। यह कॉटन की पैकिंग में आता है और लचीला होता है। इसमें से कभी खून बाहर नहीं आता। इससे शारीरिक कार्यों पर कोई फर्क नहीं पड़ता। मेंस्ट्रुअल कप इस्तेमाल करने के दौरान आप तैराकी, योगा, घुड़सवारी, दौड़, यह सब कर सकती हैं। इससे खुजली और बदबू की समस्या भी नहीं होती। यह सफर के लिए भी बहुत आरामदायक है।

कम दाम

मेंस्ट्रुअल कप में सिर्फ एक बार पैसे लगाने पड़ते हैं। कुछ वेबसाईट पर यह बताया गया है कि 10 साल बाद मेंस्ट्रुअल कप बदल लेना चाहिए लेकिन इसके लिए कोई तर्क नहीं दिए गए हैं। एक मेंस्ट्रुअल कप को आप पूरी ज़िन्दगी इस्तेमाल कर सकती हैं।

एक पैकेट सैनिटरी नैपकिन की कीमत 60-180 रुपए होती है। इसका मतलब एक साल में इस पर 720-2160 रुपए खर्च करने पड़ते हैं। इसके ठीक विपरीत मेंस्ट्रुअल कप की कीमत सिर्फ 400-2000 रुपए होती है।

कहां मिलेंगे मेंस्ट्रुअल कप?

मेंस्ट्रुअल कप आप इंटरनेट से ऑर्डर कर सकती हैं। मैं अपने अनुभव से बूंद कप को बेहतर मानती हूं। बूंद एक भारतीय कंपनी है और इसके कप की कीमत सिर्फ 400 रुपए होती है।

मेंस्ट्रुअल कप को लेकर मेरा अनुभव

शुरुआत में यह इस्तेमाल करना थोड़ा मुश्किल लग सकता है मगर धीरे-धीरे आदत हो जाती है। मुझे 1-2 बार में ही आदत हो गई। मेंस्ट्रुअल कप आते ही मैं इसे इस्तेमाल करने के लिए बहुत उत्साहित थी। यह गलती आप मत दोहराना। मेंस्ट्रुअल कप इस्तेमाल करने के लिए आपको अपने पीरियड्स आने का इंतज़ार करना चाहिए।

पीरियड्स के दौरान आपकी योनि में नमी होती है, जिस कारण मेंस्ट्रुअल कप अंदर डालने में आसानी होती है। अगर आपने कभी सेक्स नहीं किया है तो आप अपनी योनि में अपनी उंगली डालकर देख सकती हैं कि कप कहां डालना है।

आप टॉयलेट सीट पर बैठकर या किसी भी आरामदायक स्थिति में बैठकर मेंस्ट्रुअल कप अपनी योनि के अंदर डाल सकती हैं। कप को पकड़ें और आराम से अपनी योनि के अंदर डाल दें फिर आराम से अपनी उंगलियों को अपनी योनि से निकालें और कप के अंदर घुसने का इंतज़ार करें।

कुछ वेबसाईट पर आपको बताया जाएगा कि एक बार जब कप आपकी योनि के अंदर चला जाए तो उसे पलट दें लेकिन यह काफी मुश्किल काम है। मैं सिर्फ बॉब पर अपनी उंगलियां दौड़ाती हूं यह देखने के लिए कि कप अंदर खुला या नहीं।

कप के अंदर डालने के कुछ ही सेकंड बाद आपको यह महसूस होगा कि कप आपकी योनि की दीवारों से चिपक गए हैं। कई बार इसमें थोड़ा ज़्यादा समय लग सकता है। ऐसे में उठ कर थोड़ा चल लें और तभी बैठें जब आपको यह महसूस हो कि कप आपकी योनि की दीवारों से चिपक गए हैं।

2-3 बार में आप कप सही जगह पर डालने में सफल हो जाएंगी। इसमें घबराने की ज़रूरत नहीं है। यह बिल्कुल सामान्य बात है। अलग-अलग स्थितियों में कप को अंदर डालने का प्रयास करें। मेरी कुछ दोस्त एक टांग पर खड़े होकर दूसरी टांग किसी ऊंची जगह पर रखकर कप अंदर डालती हैं। इससे आसानी होती है।

शुरुआत के 10-20 मिनट में आपको यह अपने अंदर महसूस हो सकता है लेकिन उसके बाद बिल्कुल महसूस नहीं होगा। मैं बार-बार टॉयलेट जाकर देखा करती थी कि कप कहीं अंदर गायब तो नहीं हो गया। शुरुआत में ऐसा होना सामान्य बात है। धीरे-धीरे आपको इसकी आदत पड़ जाएगी।

कप को निकालते समय आराम से बैठें ताकि आपकी योनि ढीली पड़ जाए। ज़ोर लगाकर कप को बाहर निकालने का प्रयास करें। अपनी दो उंगलियों को योनि के अंदर डालें और कप के दो छोड़ पर रख कर उसे दबाएं। ऐसा करने से कप का एयर लॉक टूट जाता है।

कुछ सेकंड बाद कप को योनि के अंदर ही यू शेप में मोड़ने का प्रयास करें और बाहर निकाल दें। अगर आपको कप निकालने में परेशानी हो रही है, इसका मतलब कप अंदर पूरी तरह से खुल चुका है। इसलिए एयर लॉक का टूटना ज़रूरी है। एक बार वह टूट जाए फिर कप निकालने में आसानी होती है। मैं उसे अंदर ही यू शेप में मोड़ कर निकालती हूं।

मैं अपने कप को हर 6-12 घंटे पर निकाल कर खाली करती हूं। आपको यह जान कर हैरानी होगी कि जितना हमें सैनिटरी नैपकिन में महसूस होता है उतना खून तो बहता भी नहीं। जिस दिन मेरे खून का बहाव बहुत ज़्यादा होता है उस दिन मुझे हर चार घंटे पर कप को निकाल कर खाली करना पड़ता है। इस स्थिति में अगर मैं सैनिट्री नैपकिन इस्तेमाल करूं तो मुझे हर 1.5 घंटे में नैपकिन बदलना पड़ेगा। जिस दिन खून का बहाव सामान्य होता है उस दिन मैं कप को 14 घंटों के लिए भी छोड़ देती हूं।

जब आप पहली बार कप अपनी योनि के अंदर डालेंगी तो आप इसे तुरंत बाहर निकाल देना चाहेंगी। इसमें चिंता की कोई बात नहीं है। शुरुआत में ऐसा होता है। जैसे आप बाकी चीज़ें सीख लेती हैं वैसे ही यह भी सीख लेंगी।

अगर आपकी चिंता यह है कि मेंस्ट्रुअल कप बहुत बड़े होते हैं और वे आपकी योनि के अंदर नहीं जा पाएंगे तो आपको यह भूलना नहीं चाहिए कि इसी योनि से बच्चा भी बाहर आता है। मेंस्ट्रुअल कप के इस्तेमाल से आपकी योनि ढीली भी पड़ जाती है, जिससे सेक्स करने में आसानी होती है।

मेंस्ट्रुअल कप इस्तेमाल करने को लेकर मेरी सलाह यही रहेगी कि जल्दी हार मत मानिए। इसे इस्तेमाल करते रहिए। धीरे-धीरे सीख जाएंगी। मैं जितनी लड़कियों को जानती हूं उनमें से ज़्यादातर लड़कियां दूसरी या तीसरी बार में ही इसे इस्तेमाल करना सीख गई थी। जिन लड़कियों को इसे निकालने में मुश्किल होती थी, वे भी इसे इस्तेमाल करना चाहती थी क्योंकि यह आरामदायक है।

जिन लड़कियों को पॉलीसिस्टिक ओवरी डिजीज (पीसीओडी) है, उन्हें मैं विशेष रूप से आग्रह करना चाहती हूं कि एक बार मेंस्ट्रुअल कप इस्तेमाल करके देखें और खुद फर्क महसूस करें। इसके इस्तेमाल से आप यह हिसाब भी रख सकती हैं कि आपका कितना खून बहा है। इसके इस्तेमाल से आपको इंफेक्शन, खुजली और क्रैंप की समस्या नहीं होती और आपके किसी दैनिक काम में बाधा नहीं आती।

जिन लड़कियों को खून देख कर डर लगता है, मैं सिर्फ उनको सावधान कर देना चाहती हूं लेकिन अगर आप कॉटन पर खून के धब्बे बर्दाश्त कर सकती हैं तो यह भी आपके लिए मुश्किल नहीं होना चाहिए। आखिर यह खून भी आप ही का हिस्सा है।

मैं मेंस्ट्रुअल कप के साथ आपकी यात्रा को लेकर उत्साहित हूं। मैं आज भी मेंस्ट्रुअल कप उसी उत्साह के साथ इस्तेमाल करती हूं जिस उत्साह से पहली बार किया था।

Exit mobile version