लोकतंत्र का त्यौहार निकल चुका है और अब से कुछ ही देर में नतीजे भी आ जाएंगे लेकिन इस बार जो मसले निकलकर आ रहे हैं, वे इवीएम टैंपरिंग, इवीएम हैकिंग या फिर लोकतंत्र की तरफ बढ़ रहे किसी खतरे की आहट से प्रतीत होते हैं।
अगर सोशल मीडिया की खिड़की से इसे देखने की कोशिश की जाए, तो फेसबुक, यूट्यूब और कई प्लैटफॉर्मस पर पत्रकारों ने तो ईवीएम को फुटबॉल बनाया हुआ है। जो राइट के हैं, वे अपने कुतर्कों से खुद को साबित कर रहे हैं और यही हाल लेफ्ट वालो का भी है।
वैसे मेरा पर्सनल मत्त यह है कि हिंदुस्तान में लेफ्ट की सही फिलॉसफी यहां के लेफ्ट लीडर्स में कभी रही ही नहीं, जबकि लेफ्ट अपने रूल्स अपने देश के मुताबिक रखने की सलाह और आज़ादी देता है मगर असल आत्मा लेफ्टिस्ट ही होनी चाहिए। हमारे देश में आप धार्मिक हो या अधर्मी! बस धर्म के खिलाफ लेफ्ट को एक सिंबल बना देना ही आज इसके पतन का कारण है।
ईवीएम के मसले को नज़रअंदाज़ किया जा रहा है
चलिए अब ईवीएम की बात करते हैं। मुझे लगता है कि बालाकोट सर्जिकल स्ट्राइक मामले में सरकार ने 200/300 के आंकड़ों में ना उलझकर अगर मीडिया में पाकिस्तान के अंदर जाने को हाई लाइट किया होता तो हमारी अंतराष्ट्र्रीय मीडिया में इतनी घिसाई नहीं हुई होती।
ईवीएम के मामले में भी विपक्ष का अंदाज़ कुछ ऐसा ही है। कई पत्रकार यह कह रहे हैं कि लोकतंत्र में इन सवालों को रिजेक्ट नहीं किया जा सकता है। लोग लगे हुए हैं यह बताने में कि क्या ईवीएम को हैक किया जा सकता है? क्या इसे ब्लूटूथ या वाई-फाई के ज़रिये हैक कर सकते हैं?
असल में भैया सवाल मशीन को हैक करने का नहीं है। विपक्षी पार्टी ‘आप’ के सौरभ भारद्वाज का सीधा इल्ज़ाम है कि सरकार ने चुनाव आयोग को हैक कर लिया है। उनके लोगो को हैक कर लिया है, जहां से मशीनें आती हैं, उन्हें हैक कर लिया है। मसलन, इल्ज़ाम यह है कि चुनाव आयोग भाजपा के साथ मिलकर इवीएम को पहले से ही (आधी मशीनों को) प्रोग्राम्ड कर रही है और मौका देख जहां भाजपा पिछड़ती है, वहां उनको बदल दिया जाता है।
मीडिया की अनदेखी
मुझे हैरानी इस बात की है कि इतना बड़ा इल्ज़ाम इन नेताओं की तरफ से लगाया जा रहा और मीडिया के साथ-साथ अन्य संस्थान भी इसकी अनदेखी कर रहे हैं। अगर दो मिनट के लिए यह मान लिया जाए तो चुनाव आयोग के हैकथॉन से लेकर सारे तर्क फेल हो जाते हैं।
असल में ये नेता कह रहे हैं कि ईवीएम की पहले से प्रोग्रामिंग करके किसी विशेष पार्टी को जिताया जा सकता है। ऐसी बातें पहले दबी जुबान से होती थी लेकिन अब खुले तौर पर बोल रहे हैं।
मेरी नज़र से यह आने वाले तूफान की आहट है, जिन्हें सरकार को भी सीरियसली टैकल करना चाहिए क्योंकि सरकार तो किसी की भी बन सकती है और आने वाले वक्त में कोई भी इन लूप होल्स का इस्तेमाल करते हुए डेमोक्रेसी को हाईजैक करने की कोशिश कर सकता है।