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“आरक्षण से हो, फीस भी नहीं लगी होगी और नौकरी भी आसानी से मिल गई”

आरक्षण आज के समय में अनुसूचित जाति-जनजातियों के लिए एक चिंता का विषय बन चुका है। जहां देखो वहां बस यह बात होती है,

कोटा मिला होगा, तुम्हारी तो फीस भी नहीं लगी और नौकरी भी आसानी से मिल गई।

मैं बात करूंगा यहां डॉक्टर पायल की, जिनके बारे में कहा जा रहा है कि वह मुस्लिम मां-बाप की संतान हैं और उसने अनुसूचित जाति का लाभ लिया है। क्या मानसिकता है लोगों की कि एक लड़की जो डॉक्टर बनकर अपने समाज और देश के विकास में योगदान दे सकती थी उसकी मौत पर इस तरह के कमेंट्स किये जा रहे हैं।

फोटो सोर्स- Getty

यहां मैं उन लोगों को बताना चाहता हूं कि पायल एक भील समुदाय की बच्ची थी और मुस्लिम थी। हमारे देश भारत में भील सबसे बड़ी आदिवासी जनजाति है, जो हिन्दू, मुस्लिम और ईसाई धर्म को मानते हैं और उन्हें आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, कर्नाटक और मध्य प्रदेश में माननीय उच्चतम न्यायालय के आदेश के तहत अनुसूचित जनजाति मैं शामिल किया गया है।

इन सभी तथ्यों को पीछे रखकर अब बात करते हैं आरक्षण की। तो आपको बता दूं कि हमारे देश में लगभग भील समुदाय की जनसंख्या 2 करोड़ है और पायल इस समुदाय की पहली डॉक्टर थी। अब बताइए कि कितनों को आरक्षण का लाभ मिल गया? क्या इन 2 करोड़ लोगों में से कोई पढ़ा लिखा नहीं होगा या उन्होंने कभी कोशिश नहीं की होगी।

माना कि उसे आरक्षण का फायदा मिला है लेकिन इस बात से यह तो नहीं हुआ ना कि वह काबिल नहीं थी। आपको क्या पता क्या होता है अनुसूचित जाति या जनतजाति में पैदा होने का मतलब। हर जगह, हर वक्त कोई भी आपका मज़ाक उड़ा सकता है और आप सब खुद ही जानते हैं कि कितनी ही गालियां इन जातीयों के ऊपर बनी हैं।

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