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“क्यों मैं मानता हूं कि अमित शाह को गृहमंत्री बनाना ठीक नहीं है”

अमित शाह

अमित शाह

30 मई को मोदी सरकार के सभी मंत्रियों ने शपथ ले ली। शपथ ग्रहण से पहले सबकी नज़र बस इस बात पर थी कि क्या अमित शाह, मोदी सरकार की कैबिनेट में शामिल होंगे? शपथ ग्रहण से 2 दिन पहले हुई मोदी-शाह की मीटिंग कई घंटों तक चली थी। अनुमान लगाया जा सकता है कि सिर्फ इन्हीं दोनों के निर्णय के अनुसार मंत्रालयों को सौंपा गया है। शपथ ग्रहण के बाद अनुमान यही लगाए जा रहे थे कि अमित शाह को गृह मंत्रालय सौंपा जाएगा और वैसा ही हुआ।

अमित शाह ने गृह मंत्रालय का कार्यभार संभाल लिया है। गौर करने वाली बात यह है कि केंद्र सरकार की लगभग सभी सुरक्षा एजेंसियां गृह मंत्रालय के अधीन रहते हुए काम करती हैं। आपको याद होगा कि दिसंबर 2018 में गृह मंत्रालय ने एक आदेश जारी किया था, जिसके मुताबिक गृह मंत्रालय के अधीन काम करने वाली 10 एजेंसियां किसी के भी पर्सनल कंप्यूटर पर नज़र रख सकती हैं। कि‍सी के भी कंप्यूटर का डाटा उसकी जानकारी के बिना निकाल सकती हैं।

कौन हैं वो 10 एजेंसियां जो रख सकती हैं आपके कंप्यूटर पर नज़र?

  1. इंटेलिजेंस ब्यूरो
  2. नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो
  3. प्रवर्तन निदेशालय (ईडी)
  4. केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी)
  5. डायरेक्टरेट ऑफ रेवेन्यू इंटेलिजेंस
  6. केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई),
  7. नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (एनआईए)
  8. मंत्रिमंडल सचिवालय (रॉ)
  9. सिग्नल एंटेलिजेंस निदेशालय (केवल जम्मू-कश्मीर, पूर्वोत्तर और असम सेवा क्षेत्रों के लिए)
  10. दिल्ली पुलिस आयुक्त

इसका अर्थ यह हुआ कि लोगों के कम्प्यूटर पर इन एजेंसियों द्वारा गृह मंत्रालय प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से नज़र रखेगा। यह शक्ति पिछले वर्ष ही दिसंबर में गृह मंत्रालय को दी गई थी। हो सकता है ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि भाजपा को अपनी जीत पर पहले से ही विश्वास था और भाजपा नेतृत्व गृह मंत्रालय अमित शाह को देने के लिए तैयार था। इसलिए गृह मंत्रालय की शक्ति ज़्यादा से ज़्यादा बढ़ाने की कोशिश की जा रही थी।

अमित शाह पहले भी करवा चुके हैं फोन टैपिंग

अहमदाबाद में एक आरटीआई से पता चला कि जब अमित शाह गुजरात के गृह मंत्री थे तब राज्य में 65000 से अधिक फोन नम्बरों को गैर कानूनी रूप से टैप किया गया था। जिन लोगों के फोन टैप किए गए थे, उनमें विपक्षी दल के नेता, अपनी ही पार्टी के वे लोग जो सत्ता के खिलाफ बोलते थे, पत्रकार और पुलिस अधिकारी शामिल थे। इनमें से मानसी सोनी की फोन टैपिंग का मामला बहुत प्रकाश में आया था।

फोटो साभार: गुजरात फाइल्स

भाजपा के सबसे शक्तिशाली और चहेते चेहरे के तौर पर तो नरेन्द्र मोदी ही हैं लेकिन उन्हें शक्ति अमित शाह से ही मिलती है। इसलिए अमित शाह को गृह मंत्रालय सौंपा गया जिससे विपक्षियों पर शिकंजा कसा जा सके। जिन एजेंसियों का इस्तेमाल विपक्षियों को दबाने के लिए किया जाता है, वे सब गृह मंत्रालय के अधीन ही काम करती हैं। वैसे भी भाजपा के अधिकतर वरिष्ठ नेता भाजपा में हाशिए पर ही हैं। यानि कि पार्टी में अमित शाह और नरेंद्र मोदी ही सबसे शक्तिशाली है।

दिसम्बर में जो आदेश जारी हुआ था उसको राष्ट्रवाद का नकाब पहनाया गया था। यह कहा गया था कि देश-विरोधियों पर शिकंजा कसने के लिए यह कदम उठाया गया है। यानि कि राष्ट्रवाद को मोहरा बनाकर किसी की निजता के हनन को जायज़ ठहराया गया था।

नरेन्द्र मोदी और अमित शाह। फोटो साभार: Getty Images

ज्ञात हो कि यह आदेश अभी भी प्रभावशाली है। इसे चुनाव से पहले जारी किया गया था तो इससे विपक्षियों पर तो नज़र रखी ही गई होगी। अब गृह मंत्रालय अमित शाह के पास है। अमित शाह ने फोन टैपिंग का जो काम गुजरात के गृह मंत्री के तौर पर गैर कानूनी रूप से करवाया था, वह काम अब वो देश के गृह मंत्री रहते हुए कानूनी रूप से कर सकते हैं।

अंतर बस इतना है कि गुजरात के गृह मंत्री रहते हुए अमित शाह ने बस फोन टैपिंग की थी लेकिन अब वह सरकारी तंत्र का कानूनी रूप से इस्तेमाल करते हुए लोगों के कंप्यूटर पर नज़र रख सकते हैं।

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