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“क्यों पत्रकार प्रशांत कनौजिया की गिरफ्तारी कानूनी रूप से अवैध है”

प्रशांत कनौजिया

प्रशांत कनौजिया

क्या आपको पता है कि उत्तर प्रदेश में अब कानून का राज स्थापित हो चुका है? अब वहां किसी की हत्या नहीं होती, बलात्कार नहीं होते, चोरी और डकैती नहीं होती। उत्तर प्रदेश पुलिस के पास अब इतना कम काम बचा है कि वह योगी आदित्यनाथ से जुड़े सिर्फ एक ट्वीट के लिए दिल्ली आकर एक पत्रकार को उठा कर ले जाती है।

‘द वायर’ के पूर्व पत्रकार और वर्तमान में स्वतंत्र पत्रकार प्रशांत कनौजिया के साथ कुछ ऐसा ही हुआ। द वायर से बात करते हुए प्रशांत कनौजिया की पत्नी जागीशा अरोड़ा ने बताया, “शनिवार को मंडावली में हमारे घर से पुलिस ने प्रशांत को गिरफ्तार किया है। पुलिसवालों ने मुझे ना प्राथमिकी की कॉपी दी, ना ही कोई वॉरंट या आधिकारिक दस्तावेज़ दिया। हमारे घर का पता पुलिस ने हमारे एक दोस्त से लिया था।”

एक साधारण ट्वीट के लिए पुलिस ने किया गिरफ्तार

सोचिए सिर्फ एक ट्वीट के लिए पुलिस गिरफ्तार करने उत्तर प्रदेश से दिल्ली आ गई और वह भी बिना किसी दस्तावेज़ के। प्रशांत कनौजिया को गिरफ्तार करने पुलिस लखनऊ के हज़रतगंज थाने से आई थी। गिरफ्तारी के तुरंत बाद विभिन्न मीडिया वालों ने हज़रतगंज थाने से संपर्क किया लेकिन पुलिस ने कुछ भी बताने से इनकार कर दिया। यह गिरफ्तारी अगर वैध थी, तो पुलिस इस बारे में तथ्यों को छुपा क्यों रही थी?

जिस ट्वीट के लिए प्रशांत कनौजिया को गिरफ्तार किया गया है, उस ट्वीट में कुछ भी आपत्तिजनक नहीं था। एक महिला ने दावा किया था कि योगी आदित्यनाथ उनसे प्रेम करते हैं और वह उन्हें लव लेटर देना चाहती है।

प्रशांत कनौजिया ने सिर्फ वह वीडियो ट्वीट किया। उस वीडियो के ऊपर “यूपी न्यूज़” का लोगो लगा हुआ है और महिला के सामने विभिन्न मीडिया वालों के माइक लगे हैं। प्रशांत कनौजिया ने यह वीडियो ट्वीट करते हुए अपने कैप्शन में लिखा, “इश्क छुपाए से नहीं छुपता, योगी जी।” यह कैप्शन कहीं से भी आपत्तिजनक नहीं है।

सवाल यह उठता है कि क्या योगी आदित्यनाथ से जुड़ी कोई खबर शेयर करना अपराध है? प्रशांत कनौजिया ने वह खबर खुद से तो नहीं बनाई थी। विभिन्न न्यूज़ चैनलों पर उस महिला को दिखाया गया। अगर उस महिला का दावा गलत है तो कार्रवाई उस महिला पर होनी चाहिए। उस महिला की न्यूज़ शेयर करने वाले पत्रकारों को गिरफ्तार करना योगी सरकार की मनमानी है।

पुलिस इंस्पेक्टर का खुद एफआईआर दर्ज करना लोकतंत्र के लिए खतरनाक

इस पूरे मामले में सबसे खतरनाक बात यह है कि प्रशांत कनौजिया पर एफआईआर करने वाले विकास कुमार खुद हज़रतगंज थाने में पुलिस इंस्पेक्टर हैं। उन्होंने दावा किया कि प्रशांत ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की छवि धूमिल करने की कोशिश की। क्या इंस्पेक्टर विकास कुमार को उत्तर प्रदेश में बढ़ते अपराधों से उनके राज्य, उनकी पुलिस और उनके मुख्यमंत्री की छवि धूमिल होती नहीं दिखाई देती है?

क्या एक न्यूज़ क्लिप शेयर करने से मुख्यमंत्री की छवि धूमिल होती है? मतलब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से जुड़ी कोई भी न्यूज़ शेयर नहीं करनी चाहिए? क्या भारत के संविधान के आर्टिकल 19 में दिए गए बोलने के अधिकार से ऊपर हैं योगी आदित्यनाथ?

जो पुलिस महकमा एक मुख्यमंत्री से जुड़ी न्यूज़ शेयर करने पर हरकत में आ गया, वह उसी मुख्यमंत्री पर दर्ज गंभीर आपराधिक मुकदमों की निष्पक्ष जांच कैसे करेगा?

प्रशांत कनौजिया की गिरफ्तारी पूरी तरह से गैर कानूनी

प्रशांत की गिरफ्तारी गैर कानूनी क्यों है, यह समझने के लिए आपको उन पर लगी धाराओं को समझना होगा। सबसे पहले जो एफआईआर की कॉपी सामने आई, उसमें प्रशांत पर दो धाराओं के लगने का ज़िक्र था। पहली, सेक्शन 500 यानि योगी आदित्यनाथ की छवि धूमिल करने की कोशिश। दूसरी, सेक्शन 66 आईटी एक्ट।

प्रशांत कनौजिया। फोटो साभार: फेसबुक

इन दो धाराओं के आधार पर प्रशांत को गिरफ्तार करना गैर कानूनी है। सेक्शन 500 ‘नॉन कॉग्निजेबल ऑफेंस’ और निजी शिकायत के आधार पर दर्ज होती है। यानि इस मामले में बिना किसी कोर्ट के आदेश के गिरफ्तारी नहीं हो सकती है और ना ही कोई पुलिस वाला खुद शिकायत दर्ज कर सकता है। यह बेलेबल ऑफेंस भी है।

पहले दर्ज की गई एफआईआर की कॉपी

सेक्शन 66 आईटी एक्ट इस मामले में लागू ही नहीं होता। यह सेक्शन तब लागू होता है जब आप गलत तरीके से किसी दूसरे के कंप्यूटर से डाटा या जानकारी चुराए। प्रशांत कनौजिया पर यह धारा लगाना कानून की धज्जियां उड़ाने के बराबर है। उन्होंने किसके कंप्यूटर से जानकारी चुराई है?

शायद उत्तर प्रदेश पुलिस को यह एहसास हो गया था कि प्रशांत पर लगी दोनों धाराएं उनको गिरफ्तार करने के लिए काफी नहीं हैं, इसलिए देर रात पुलिस ने एक स्टेटमेंट जारी किया। इसमें पुलिस ने धाराओं को बदल दिया। पुलिस ने स्टेटमेंट में बताया कि प्रशांत पर सेक्शन 500, सेक्शन 67 आईटी एक्ट और सेक्शन 505 लगा है।

पुलिस द्वारा जारी की गई स्टेटमेंट की कॉपी।

अगर प्रशांत की गिरफ्तारी पहली बार में ही सही थी तो उत्तर प्रदेश पुलिस ने धाराएं क्यों बदली? नई धाराएं भी इस केस में बिल्कुल लागू नहीं होती।

सेक्शन 500 के बारे में हम बात कर चुके हैं। आईटी एक्ट का सेक्शन 67 तब लागू होता है जब सोशल मीडिया पर कोई अश्लील पोस्ट करे। प्रशांत कनौजिया का ट्वीट कहां से अश्लील था? क्या न्यूज़ शेयर करना अश्लील होता है?

सेक्शन 505 तब लागू होता है जब आप किसी अफसर या सेना के जवान के काम में बाधा पहुंचाने की कोशिश करें। इनमें से योगी आदित्यनाथ क्या हैं? अफसर हैं या सेना के जवान? सेक्शन 505 तब भी लागू होता है जब आप लोगों को धर्म के नाम पर हिंसा करने के लिए भड़काएं। प्रशांत कनौजिया के ट्वीट के किस हिस्से से हिंसा भड़क रही थी? उनके ट्वीट में हिंसा को बढ़ावा कहां दिया गया था?

अघोषित आपातकाल के संकेत

जिस देश में पत्रकार 2000 के नोट में चिप लगे होने की फेक न्यूज़ फैलाते हैं, छात्रों को देशद्रोही घोषित कर देते हैं, नफरत फैलाते हैं, वहां एक पत्रकार को साधारण ट्वीट के लिए गिरफ्तार कर लिया जाता है। बिना किसी वारंट के गिरफ्तार करना और सारी धाराओं का इस केस में मान्य ही नहीं होना इस बात का सबूत है कि उत्तर प्रदेश सरकार बोलने की आज़ादी पर हमला कर रही है।

प्रधानमंत्री मोदी ने शपथ लेने के बाद भारत के संविधान के आगे अपना सर झुकाआ। काश यह इतना आसान होता कि प्रशांत कनौजिया उन्हें गिरफ्तार करने आई पुलिस को संविधान दिखाते और पुलिस सर झुका कर वापस चली जाती लेकिन अघोषित आपातकाल के इस दौर में यह उम्मीद करना भी बेईमानी है।

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