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“मुखर्जी नगर की घटना में हमें तलवार धारी शख्स की गलती क्यों नहीं दिखी?”

दिल्ली के मुखर्जी नगर की घटना

दिल्ली के मुखर्जी नगर की घटना

एक शख्स जब राजधानी की किकियाती सड़कों पर खुलेआम तलवार निकाल कर अपनी दबंगई दिखाए, तब पुलिस को क्या करना चाहिए आप ही बताइए? जी हां, अभी हाल ही में दिल्ली के मुखर्जी नगर में कुछ ऐसा ही माज़रा देखने को मिला। सोशल मीडिया पर एक सिख ग्रामीण सेवा चालक और पुलिस वालों के बीच की झड़प का वीडियो वायरल हो गया।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पुलिस की गाड़ी से कथित आरोपी ग्रामीण सेवा चालक की गाड़ी का हल्के से टच होने की वजह से शुरू हुआ पूरा विवाद। इस झगड़े में पुलिस के आठ लोग घायल हुए हैं।

वीडियो को ध्यान से देखने पर आप समझ पाएंगे कि किस प्रकार से एक वरिष्ठ पुलिस अफसर उस ग्रामीण सेवा चालक से जब बात करने जाते हैं, तब किस तरीके से हाथ में तलवार लिए वह कहता है, “जिसको बुलाना है बुला लाओ।”

पुलिस अफसर पुलिस स्टेशन की तरफ रुख करते हैं और यह शख्स पुलिस का पीछा करते हुए इशारे करता है, “ले आ जिसको लाना है मैं यहीं खड़ा हूं।”

यह शख्स तो पुलिस वालों से दो-दो हाथ करने को उतावला ही है, तभी उसका लड़का (शायद) कुछ समझा कर वापस ले जाने की कोशिश करता है फिर कुछ निहत्थे और लाठीधारी पुलिस वाले उस शख्स को ढूंढते हुए सड़कों पर आ जाते हैं। अब वह शख्स अचानक अपना रौद्र रूप धारण करता है और तलवार चलाते हुए चिल्लाता है, “कोई हाथ नहीं लगाएगा।”

एक वरिष्ठ पुलिस अफसर ने उस शख्स को थाने में चलने के लिए कहा लेकिन वह सुने किसकी? वह पुलिस वालों को और डराता है। तभी अचानक राह से गुज़र रहा एक आदमी (पुलिस वाला भी हो सकता है) उस शख्स को पीछे से पकड़ लेता है लेकिन नंगी तलवार वाले हाथ अभी भी खुले हैं।

वह शख्स उस आदमी पर तलवार से वार कर रहा है और पीछे वाला आदमी उसको पकड़े हुए खुद को बचा रहा है। इसके बाद एक पुलिस वाला उस आदमी का हाथ पकड़ कर तलवार छुड़ाने की कोशिश करता है लेकिन वह उसके काबू में नहीं आता। मौका देखकर दूसरा पुलिस वाला भी हाथ पर तीन चार डंडे फटकारता है ताकि तलवार छूट जाए लेकिन इस बीच वह शख्स सबकी गिरफ्त से भाग जाता है।

उस शख्स का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच चुका था, जिस वजह से वह थाने के सामने ही तमाम पुलिस वालों को तलवार के दम पर दौड़ाने लगा और जिस आदमी ने उसे पीछे से पकड़ा था, उसपर ज़ोर से तलवार चलाना शुरू कर दिया। इस बीच उसके बेटे ने भी इसमें उसकी मदद की।

अब दोनों एक निहत्थे आदमी पर बरसने लगे। वह आदमी किसी तरह तलवार को पकड़े रखता है क्योंकि तलवार छूट गई तो उसकी जान गई। तभी उस शख्स का लड़का पीछे कहीं चला जाता है और दूसरी ओर से डरते-सहमते 3-4 पुलिस वाले दोबारा पिक्चर में आते हैं। उस शख्स पर लाठियां बरसाते हैं लेकिन वह तलवार नहीं छोड़ता है।

आपको याद दिला दूं कि दिल्ली की सड़क पर यह घमासान चढ़े दिन में हो रहा था। ट्रैफिक में फंसे लोग चिल्ला रहे थे। उन्हें डर था कि कहीं उनके साथ भी कुछ गड़बड़ ना हो जाए। इसी बीच उस शख्स का लड़का जो थोड़ी देर पहले गायब हो गया था, एक चार पहिया गाड़ी लेकर आता है और पुलिस वालों पर चढ़ा देने की कोशिश करता है। किसी तरह सारे पुलिस वाले बच तो जाते हैं लेकिन आगे यह घमासान खूंखार रूप ले लेता है।

यहां यह देखना और समझना ज़रूरी है कि इतना कुछ होने के बाद भी डरे हुए पुलिस वाले ही थे। हालांकि कुछ पुलिस वाले उस लड़के और कुछ उस शख्स पर वार ज़रूर कर रहे थे लेकिन कई दफा वे दोनों ही पुलिस वालों पर हावी होते दिख रहे थे।

इसी बीच तीन-चार पुलिस वाले उस शख्स के लड़के को थाने की ओर ले जाने लगे। दूसरी तरफ इतना कुछ होते हुए भी वह शख्स दूसरे आदमी को छोड़ ही नहीं रहा था।

इन सबके बीच आज हम पुलिस वालों को ही दोषी बता रहे हैं क्योंकि किसी पुलिस वाले की जान नहीं गई है। वीडियो देख लीजिये आपको भी यकीन हो जाएगा कि नंगी तलवार के साथ वह शख्स कितना खूंखार लग रहा था। ऐसे में क्या पुलिस वालों को अपनी जान गवां देनी चाहिए थी?

हम बर्बरता का विरोध करते हैं लेकिन पुलिस को ही कोई डराने लगे तो उसको कैसे काबू में लें? लाठियां और घसीटना तो बाद में पिक्चर में आया। पहले तो तलवार आई ना? ऐसे ही कोई कैसे भरी सड़क पर तलवार निकाल कर दबंगई कर सकता है?

अभी मालूम हुआ कि कुछ सियासतदान उस शख्स के सपोर्ट में आ गए हैं और 3 पुलिस वाले ससपेंड हो चुके हैं। पिछले कुछ दिनों से डॉक्टरों की कौम अपने एक साथी डॉक्टर के साथ हुए दुर्व्यवहार को लेकर हड़ताल पर थी।

दिल्ली में जो हुआ, उसके बाद उस शख्स की कौम भी सड़कों पर है लेकिन पुलिस वालों के साथ जो कुछ हुआ उसके बावजूद पुलिस काम पर है। आमतौर पर सभी कहते हैं कि पुलिस ऐसी है-वैसी है लेकिन मेरा सवाल अभी भी वही है कि इस वाकये में पुलिस को क्या करना चाहिए था आप ही बताइए?

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