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“क्या हुआ जब लिव-इन रिलेशनशिप में रहकर पहली बार मैंने सेक्स किया”

प्यार

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मैं मुंबई में रहती हूं और यहीं काम करती हूं। मुझे यहीं रहना है क्योंकि यह मेरे होम टाउन से दूर है, जहां मेरे माता-पिता रहते हैं। मैं एक छोटे टियर-2 शहर में पली-बढ़ी हूं, जो अब भी मुझे उन दिनों अपने ऊपर लगी पाबंदियों की याद दिलाता है। जैसे की किसी सार्वजनिक जगह पर किसी लड़के के साथ देखे जाने का डर, नाम खराब होने का डर।

जब मेरी बाई से तहकीकात करने पर मेरी माँ को पता चला कि मैं अपने बॉयफ्रेंड के साथ रहने लगी हूं तब मुझे पता था कि अब मुझे लंबा भाषण सुनाया जाएगा। मैं अभी तक यह बात अपनी माँ को बताना नहीं चाहती थी क्योंकि मैं इस लड़के के साथ अपनी रिलेशनशिप को लेकर पूरी तरह से निश्चित नहीं थी और चीज़ें बहुत तेज़ी से आगे बढ़ रही थी। हम बस 3 महीने पहले मिले थे और बस कुछ हफ्तों से डेट कर रहे थे लेकिन मेरी माँ ने मेरे झूठ को बहुत जल्दी पकड़ लिया।

माता-पिता को समझाने में हुई दिक्कत

पता चलने के बाद जब माँ और मेरी इस बारे में गंभीर बातचीत हो रही थी तब उन्होंने मुझसे पूछा कि मेरा इरादा क्या है। मैंने कहा कि यह तो मैं नहीं जानती लेकिन मुझे उस लड़के का साथ पसंद है। माँ ने उस लड़के की तस्वीर मांगी। मैंने कहा कि मेरे पास तस्वीर नहीं है।

दरअसल, वह लड़का मुझसे उम्र में 25 साल बड़ा था, वह गंजा था, उसका बड़ा सा पेट था, और वह अमीर था। जिस सपनों के राजकुमार की आस मेरी माँ ने मेरे लिए लगा रखी थी, यह लड़का वह शहज़ादा नहीं था। उनकी अपेक्षाओं में से वह सिर्फ एक पर ही खड़ा उतर सकता था, वह था अमीर होने का।

प्रतीकात्मक तस्वीर

बदनसीबी से मेरे माता-पिता बहुत ही आलोचनात्मक हैं और सामाजिक ढांचे में फिट होने की बहुत कोशिश करते हैं। उनके लिए एक लिव-इन रिलेशनशिप तिरस्कार योग्य है। मुझे उनकी आलोचनाएं अपने रिश्ते के इतने शुरुआती पड़ाव में नहीं सुननी थी। भगवान का शुक्र है कि वह लड़का सोशल मीडिया पर नहीं था, नहीं तो मेरी माँ उसका वहीं पर पीछा करने लगती।

मेरा लिव इन बॉयफ्रेंड ऑफिस में मेरा बॉस था

जब मैं अपने नए बॉयफ्रेंड से मिली, मैंने बस तभी नौकरी बदली थी और बहुत संघर्ष करने के बाद एक-दो साल लंबे रिश्ते से बाहर आई थी। इस दो साल लंबे रिश्ते में ही मैंने पहली बार किसी के साथ सेक्स किया था। पहली बार किसी के साथ शारीरिक रूप से जुड़ना और उसके लिए वह बेतहाशा प्यार जो मेरे दिल में था।

इन दोनों बातों ने मिलकर मेरे अंदर ऐसी गहरी भावनाएं पैदा कर दी कि उनको पीछे छोड़ना मेरे लिए आसान नहीं था। दरअसल वह एक प्लेबॉय टाइप का लड़का था और मेरे साथ एक दूसरी औरत को भी डेट कर रहा था। मैं इस बात से पहले से वाकिफ थी लेकिन उसके साथ रहने के एहसास ने मुझे आसक्त कर दिया था।

उस समय के बारे में सोचते हुए अब मुझे लगता है कि वह उन आत्मकामी लड़कों में से एक था जो बस अपने आप से मुहब्बत करते हैं। मुझे उससे भाव मिलना बेहद पसंद था। हमारे रिश्ते के आखिरी साल में मैंने इससे बाहर निकलने की कोशिश की। आखिरकार जब मेरी एक दोस्त ने मुझे खूब प्रोत्साहन दिया तब मैं उस रिश्ते से बाहर निकल पाई।

फोटो साभार: एजेन्ट्स ऑफ इश्क

मेरा नया लिव-इन बॉयफ्रेंड मेरे नए जॉब में मेरा बॉस था। वह देख सकता था कि इतने मुश्किल ब्रेकअप के बाद मुझे प्यार और ध्यान की ज़रूरत है और उसने मुझ पर ये खुल कर बरसाया। पहले तो उसने मुझे एक 5 स्टार होटल में बुलाया, जहां उसकी जान-पहचान थी। फिर वह मुझे वहां के किचन में ले गया और उसने मेरे लिए खुद एक लाजवाब डिश बनाई। यानी उसने मेरे सामने चारा डाला और मैंने चुग लिया।

मैंने एक बार उसे अपने किसी दोस्त को सलाह देते हुए सुना, “तुम्हें अपनी चाल तब चल देनी चाहिए जब लड़की इम्प्रेस हो जाए और जब उसे रोने के लिए कंधा चाहिए हो।” वह मुझे भी नसीहत देता था, “किसी को भूलने के लिए किसी नए के साथ सोना पड़ता है।” खाने के बाद उसने मुझे चूमा और अपने रूम में आने का न्यौता दिया। मैंने उसका न्यौता स्वीकार कर लिया।

मेरे लिव इन रिलेशनशिप में आई मुश्किलें

ऐसे बहुत से कारण हैं जिनकी वजह से मैं उससे शादी नहीं करना चाहती थी। उनमें से पहला है हमारे बीच ओहदे, हैसियत और ताकत का फर्क। हमारा रिश्ता मुझे बराबरी का नहीं लगता था। रिश्ते में एक अनकहा प्राधिकरण था और मैं ऐसी बहुत सी चीज़ें करने पर मजबूर हो जाती थी ताकि उसे बुरा ना लगे। जैसे कि मैं घरेलू कामों के लिए मना नहीं कर पाती थी, या अगर मुझे अपने दोस्तों के साथ बाहर जाना होता था तो मुझे एक कहानी रचनी पड़ती थी।

हमारे बीच लैंगिक अनुकूलता का भी मुद्दा था। दो साल के बाद भी हम ऐसे पड़ाव पर नहीं पहुंचे थे जहां हम सेक्स का और एक दूसरे का लुत्फ उठा पाते। मुझे इस बात की भी चिंता रहती थी कि मेरे दोस्त और मेरा परिवार हमारे बीच उम्र के फासले का मज़ाक उड़ाएंगे और सोचेंगे कि मैंने पैसों के लिए यह समझौता किया है।

मैं यह भी जानती हूं कि चुप रह कर और उसके घर को ना छोड़ कर मैं अपने मसले को और उलझा रही थी लेकिन रिश्ते को खत्म करने से मुझे डर लगता था क्योंकि 32 की उम्र में कुंवारी होने से आप पर दबाव पड़ता है। हालांकि अकेले रहना बढ़िया होता है क्योंकि आप अपने मन की कर सकते हैं लेकिन अकेले रहने का ख्याल मुझे चिंतित कर देता है। कभी-कभी मैं परेशान हो जाती हूं यह सोचकर कि मैं शादी और बच्चे जैसे सामाजिक उद्देश्य को पूरा नहीं कर पा रही हूं। अगर आगे चलकर मुझे ऐसा ना करने का अफसोस हुआ तो?

जब से मैं उसके साथ थी मुझे दूसरे लोगों से मिलने का मौका नहीं मिला था क्योंकि मेरे समय का 95% उस पर और उसके दोस्तों पर खर्च हो जाता था। इसलिए मैं यह सोचने लगी थी कि मुझे उससे बेहतर शायद कोई नहीं मिल सकता था।

जब माँ को मैंने दिया जवाब

हाल ही में मेरी माँ ने मेरे साथ फिर से गंभीर बातचीत की। उन्होंने मुझसे पूछा कि मुझे क्या करना है। मैंने फिर से कहा कि मुझे ये सब नहीं पता और मुझे उसका साथ पसंद है। उन्होंने कहा, “तुम अपनी ज़िंदगी बर्बाद कर रही हो। या तो उससे शादी कर लो या फिर उसे छोड़ दो। हम इस लिव-इन रिश्ते को स्वीकार नहीं कर सकते”।

मैं चुपचाप सोच रही थी और फिर अचानक से मुझे कुछ हुआ और मैंने निश्चयात्मक रूप से उनसे कहा, “चाहे मैं किसी के साथ रहूं, या अकेले रहूं, शादी करूं या ना करूं, बहुत से मर्दों के साथ सेक्स करूं या सिर्फ एक के साथ, ये मेरी मर्ज़ी है।” मैं जानती थी कि मैं किसी के साथ रह कर कुछ गलत नहीं कर रही थी और गलतियां करने का और अपने अनुभवों से सीख लेने का हक मेरे पास भी था।

आखिरकार मैंने रिश्ता खत्म करने का लिया फैसला

हमने एक दूसरे के साथ रहना जारी रखा। मैं अपने आप पर फैसला करने के लिए दबाव भी डाल रही थी लेकिन इसका कोई आसान हल नहीं था। जब हम सेक्स कर लेते तो मुझ पर दोष की भावना हावी हो जाती थी, जैसे कि मेरे माता-पिता वहीं थे और मुझे देख कर निराश हो रहे थे। मैं इस परिस्थिति को आंक रही थी और सोच रही थी कि मैं कैसे इसमें उलझ गई। मैं हर पल झूठ बोलने के लिए खुद को कोसती रहती थी। फिर चाहे वह झूठ मैं दुनिया से कह रही थी, या अपने बॉयफ्रेंड से कि क्या मैं उसके साथ खुश थी, और शायद खुद से कि मुझे उसके साथ क्यों रहना चाहिए।

मैं लोगों को अपने रिश्ते के बारे में बताने से कतराती थी क्योंकि मुझे डर था कि वे क्या सोचेंगे। मैं उसे छोड़ना भी नहीं चाहती थी क्योंकि आखिर मुझे एक अकेली औरत होते हुए और भी आलोचना का सामना करना पड़ता। मैं नहीं जानती थी कि मैं किसे खुश रखूं और अपने फैसलों पर निरंतर शक करती थी। शायद इसलिए परिस्थिति काफी समय तक वैसी की वैसी ही रही।

मैंने अपना पहला रिश्ता एक दोस्त के कहने पर खत्म किया था। इस बार मैंने खुद आगे बढ़ने का फैसला लिया। जब मैंने आखिर उसे छोड़ने का फैसला कर लिया तब मैंने अपने दिल की सारी बात अपने दो दोस्तों को बताई जो ज़रूरत पड़ने पर मेरे साथ थे। करीब एक महीने पहले, मेरे जन्मदिन के एक हफ्ते बाद जब वह घर पर नहीं था तब मैंने उसके घर से अपना सामान उठाया और अपने दोस्त के घर जाकर रहने लगी। अगले दस दिनों में मैंने अपने लिए एक घर ढूंढ लिया और अब मैं अकेली रहती हूं।

फोटो साभार: एजेन्ट्स ऑफ इश्क

अपने दोस्त के घर जाने के एक दिन बाद मैं अपने बॉयफ्रेंड से कॉफी के लिए मिली। तब मैंने उसे बताया कि मैं उसे छोड़ना चाहती थी। हमने काफी देर तक बात की। हम दोनों ही भावुक थे। उसने मुझसे कहा कि कहीं ना कहीं उसे लग रहा था कि ऐसा होने वाला है। उसने मुझे मनाने की बहुत कोशिश की ताकि मैं उसकी ज़िंदगी में रह जाऊं लेकिन मैंने मन बना लिया था। मैं उसके बिना रहने से डरती थी मगर उसके साथ रह कर खुश भी नहीं थी।

पीछे मुड़कर देखते हुए मुझे यह एहसास होता है कि मैं लोगों और उनके जजमेंट के बारे में सोच कर इतनी उलझी थी कि मैंने अपनी चाहतों का गला घोंट दिया था। मैं अब भी सीख रही हूं कि मैं सचमुच क्या चाहती हूं और उस तक कैसे पहुंच सकती हूं।

प्यार और सेक्स को आज़माना ठीक है, तब भी जब दूर-दूर तक कोई सही अंत ना दिखे। ज़िंदगी की तरह प्यार भी उलझा हुआ है और इसे समझने में वक्त लग जाता है। ज़रूरी यह है कि हम उसे समझने की कोशिश करते रहें और अपनी समझ के साथ आगे बढ़ते रहें।  

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