मै ज़िला महराजगंज उत्तर प्रदेश का निवासी हूं। आज मैं सभी का ध्यान अपने ज़िले की तरफ खींचना चाहूंगा कि कैसे मीडिया और सत्ता पक्ष के लोगों ने एक बहुत बड़ी समस्या को सबकी नज़रों से ओझल कर दिया, जिसका खामियाज़ा आम किसानों को बहुत ही बुरी तरह से उठाना पड़ रहा है।
मई और जून के महीने में मेरे शहर का तापमान लगभ 40-45 डिग्री हमेशा रहता है। इसी तपती गर्मी में अभी हाल ही में किसानों के गन्ने खेत में खड़ा था। सरकार की अर्ली/सामान्य पर्ची की योजना किसानों को मौत के मुंह में धकेल रही है। खेत में पड़ा गन्ना उत्तर प्रदेश की विकासवादी सरकार के मुंह पर तमाचा है।
दोस्तों आपको जानकर हैरानी होगी कि योगी सरकार आंकड़ों के लिहाज़ से बोलते हैं कि हमने गन्ना भुगतान कर दिया जबकि सच्चाई यह है मेरे ज़िले में आए दिन गन्ना भुगतान को लेकर किसान धरना प्रदर्शन करते हैं।
इस दौरान किसानों को पुलिस की लाठियां भी खानी पड़ती है। गड़ौरा चीनी मिल किसानों का पैसा लेकर फरार है, मिल बंद है और स्थानीय प्रतिनिधि कानों में तेल डाले हैं। सरकार झूठे आंकड़ों के सहारे किसानों के साथ छल कर रही है, जिसमें इनका साथ मीडिया भी नहीं दे रही है। सच्चाई खुलकर बाहर नहीं आती, जिसकी वजह से देश के बौद्धिक और चिंतनशील लोगों तक यह बातें नहीं पहुंच पाती हैं।
खेतों में पड़े गन्ने से बढ़ रही हैं किसानों की मुश्किलें
जो गन्ना अधिक से अधिक फरवरी माह तक मिल में पहुंच जाना चाहिए था, वह अभी भी खेतों में पड़ा है। सरकार से मेरा यह प्रश्न है कि इस वक्त जो गन्ना मिल में गिर रहा है, उसका भुगतान दोगुने रेट पर होना चाहिए। उसका कारण यह है कि मान लीजिए जो गन्ना फरवरी माह में एक किलो का होगा, वह इस समय 600 से लेकर 700 ग्राम पर सिमट जाएगा।
यह किसानों के लिए पहला नुकसान होगा। दूसरा, इस माह में मज़दूर गन्ना को छीलने के लिए पैसा लेते हैं जबकि जनवरी-फरवरी माह में सिर्फ चारा पर गन्ना छिलाई-ढुलाई का काम हो जाता है। तीसरा, समय से भुगतान नहीं किया जाता है जिसकी वजह से किसान ब्याज़ पर पैसे लेकर किसानी करता है, इसका भी नुकसान किसानों को उठाना पड़ता है।
आज बड़ा सवाल यह है कि किसानों के नाम पर हर कोई राजनीति करता है मगर जब बात उनके लिए कल्याणकारी याजनाओं पर काम करने की आती है, तब सभी खामोश हो जाते हैं। किसानों की परिशानियां किसी से छिपी नहीं हैं। हर कोई जानता है कि कितनी मेहनत से किसान अपने खेतों में फसल उगाते हैं लेकिन जब बात उन्हें उचित पैसे देने की आती है तब उनके साथ ठगी हो जाती है।
मैं उत्तर प्रदेश सरकार से अनुरोध करता हूं कि मेरे ज़िले के गन्ना किसानों की समस्याओं पर राजनीति ना करके उनके हित के लिए कुछ ज़रूरी कदम उठाएं क्योंकि ना तो उनके पास इसके अलावा कोई काम है और ना ही बच्चों को अच्छी शिक्षा देने के लिए पैसे। अब निर्णय तो आप ही ले सकते हैं योगी जी, क्योंकि आपसे सभी को काफी उम्मीदें हैं।