पर्यावरण को बचाना तो सब चाहते हैं लेकिन आगे आकर कुछ लोग ही बखूबी अपनी ज़िम्मेदारी निभाते हैं। यह काबिल-ए-तारीफ है क्योंकि ऐसे लोग ही पर्यावरण को अभी तक ज़िंदा रखे हुए हैं।
ओज़ोन परत में छेद होने का असर अमेरिका भोग चुका है, जिससे वहां की सरकार ने एक हफ्ते में कम-से-कम एक दिन साइकिल का प्रयोग करने का सराहनीय कदम उठाया। इसका दूरगामी असर यह हुआ कि कुछ समय बाद ही ओज़ोन परत में छेद कम होता गया।
यह बात सही है कि सरकार की भी ज़िम्मेदारी बनती है लेकिन एक जागरूक नागरिक होने के नाते हमें भी अपना फर्ज़ बखूबी निभाना चाहिए। किसी एक व्यक्ति या संस्था के जागरूक होकर कदम उठाने से पर्यावरण की स्वच्छता पर कोई असर नहीं पड़ेगा। अगर वास्तव में पर्यावरण को अपनी आने वाली पीढ़ी के लिए बचाना है, तो सबको आगे आना होगा।
सरकार के लिए कुछ ज़रूरी सुझाव
- हर व्यक्ति को अपने जन्मदिन पर एक वृक्ष रोपित करना चाहिए और उसकी देख-रेख करनी चाहिए।
- जब किसी की शादी हो तो शादी के समय वृक्षारोपण ज़रूर हो। इससे पेड़ों की संख्या में वृद्धि होगी और हवा भी शुद्ध होती जाएगी।
- सामूहिक कार्यक्रम आयोजित किए जाएं, जिनका उद्देश्य असल में पर्यावरण को बचाना ही हो, ना कि पेड़ लगाने का दिखावा करना।
- जब बच्चे को पहली बार विद्यालय भेजे जा रहे हो तो उनके नाम का एक पेड़ ज़रूर लगा देना चाहिए। बच्चे को रोज़ पेड़ को पानी देने की आदत डलवानी चाहिए जिससे उनके अंदर प्रकृति के प्रति प्रेम उत्पन्न हो।
- बच्चे/बच्ची के जन्म के समय पेड़ लगाने का भी नियम होना चाहिए।
- दोपहिया वाहन की खरीद पर एक पेड़, चार पहिया वाहन की खरीद पर दो पेड़ और इससे अधिक पहिया वाले वाहनों के अनुपात के हिसाब से पेड़ लगाने की ज़िम्मेदारी निश्चित होनी चाहिए।
- जब किसी भी नागरिक को नौकरी मिले तो उसके पहले दिन ही वृक्ष रोपित करने का नियम हो।
- साल में कम-से-कम दो पेड़ लगाने की ज़िम्मेदारी ज़रूर तय होनी चाहिए। इससे पेड़ों की संख्या में वृद्धि होगी और कार्बन डाईऑक्साइड की मात्रा में कमी होना शुरू हो जाएगा, जिससे ग्लोबल वार्मिंग की समस्या कम होगी।
- पूरे जीवन में कम-से-कम पचास पेड़ों को लगाने का सख्त नियम होना चाहिए।
- औषधीय वृक्षों का रोपण बहुत ज़रूरी है, जिससे ऑक्सीजन की मात्रा में काफी वृद्धि होगी और कार्बन कणों की मात्रा में गिरावट होगी। यह हिमालय को पिघलने से और नदियों, तालाबों, झीलों, झरनों, कुओं को सूखने से बचाने में मददगार साबित हो सकते हैं।
ऊपर दिए गए सुझावों को अगर लागू किया जाए तो अधिकतम दस सालों के अंदर पर्यावरण सामान्य हो जाएगा और ऑक्सीजन एवं कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा संतुलित हो जाएगी।