5 जून को हम पर्यावरण दिवस मनाते हैं मगर दूसरे ही दिन हम भूल जाते हैं कि इस दिवस को मनाने की आखिर सार्थकता क्या है। मानव सभ्यता के विकास के साथ ही उसके विनाश की ओर भी हम निरन्तर बढ़ते जा रहे हैं क्योंकि हममें कूट-कूटकर सिर्फ महत्वाकांछा ही भरी है, जिससे कर्तव्य बोध नष्ट होता जा रहा है।
एक तरफ फ्रिज और एसी जैसे भौतिक साधन वायुमण्डल की नमी कम कर रहे हैं, तो वहीं विशेष प्रयोजनों के कारण ऑक्सीजन का दोहन भी अनवरत जारी है। जबकि इसकी उपलब्धता सुनिश्चित करने वाले पेड़ निरन्तर काटे जा रहे हैं। हमारे देश के अलग-अलग इलाकों में लगातार घर, खेत, सड़क और कारखाने बन रहे हैं लेकिन इसके पीछे किस तरीके से पर्यावरण का दोहन हो रहा है, इसकी चिंता किसी को नहीं है।
आज भी अवैध तरीके से कई जगहों पर लकड़ी मिल चलाए जा रहे हैं, जहां ना सिर्फ फर्नीचर बनाने के लिए पेड़ों को धड़ल्ले से काटे जा रहे हैं, बल्कि बड़े पैमाने पर प्रकृति के साथ खिलावाड़ भी किया जा रहा है।
आज यदि भारत का हर नागरिक पेड़ लगाने की शुरुआत करे तो पर्यावरण संतुलन बनाए रखने के लिए प्रति व्यक्ति 25 से 30 पेड़ों की ज़रूरत है मगर मौजूदा हालातों को देखते हुए ऐसा लग नहीं रहा है। आज की तारीख में पेड़ लगाए कम और काटे अधिक जा रहे हैं।
गाँवों में पेड़ों की कटाई रोकने की ज़रूरत
गर्मी का पारा 50 डिग्री तक पहुंचने वाला है और ऐसे में जीवन कैसे संभव होगा? इसका एक ही उत्तर है और वो यह कि हम अपने गाँवों में पेड़ कटने ना दें, अवैध आरा मशीनों का संचालन बंद कराएं, हर आदमी को कम-से-कम 50 पेड़ लगाने के लिए प्रेरित करें व खुद भी लगाए।
यदि जगह का अभाव है, तो आंगन में तुलसी छत व बरामदे में गमले रखें, बाहर जगह है तो नीम, आम, नींबू, अमरूद और अनार आदि के पेड़ लगाएं। थोड़ी दूर या सड़क व नहर के किनारों पीपल, बरगद, अशोक, सीसम और अर्जुन आदि के पेड़ लगाने से भी काफी हद तक प्रदूषण के दुष्परिणामों से हम बच पाएंगे।
पेड़ लगाने के लिए सभी को करनी होगी पहल
अब भी देर नहीं हुई है। यदि हम सब मिलकर पेड़ लगाने के लिए संकल्प लेंगे तो ज़ाहिर तौर पर अपनी आंखों के सामने परिवर्तन देख सकते हैं। खाली जगहों व घर के आस-पास खेतों की मेड़ पर हम सुविधानुसार पेड़ लगा सकते हैं। कर्मकांड कराने वाले ब्राह्मण भी इस दिशा में महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं। यजमान को संकल्प के समय विश्वकल्याण हेतु पेड़ लगाने के लिए भी प्रेरित करें।
सनातनी संस्कृति में हम सदियों से विश्वकल्याण के लिए यज्ञ करते आ रहे हैं और हमें यह समझना होगा कि आज विश्वकल्याण पेड़ों से ही सम्भव है। इसी क्रम में सरकार को भी पेड़ काटने वालों पर और कठोर होना होगा।
पेड़ काटने की इजाज़त तभी देनी होगी जब एक के बदले पांच पेड़ लगाए जाएंगे। इसके अलावा कड़े कानूनों के ज़रिये भी सकारात्मक पहल की जा सकती है। अपनी सुविधा के लिए पेड़ काटने वालों पर हत्या के तहत मुकदमा चलाने की ज़रूरत है। यदि हम ऐसा करने में सक्षम होते हैं तब कुछ सकारात्मक परिणाम की आशा की जा सकती है, अन्यथा सिर्फ ऑफिस में बैठकर योजनाएं बनाने व एक दिन पर्यावरण दिवस मनाने से कुछ नहीं होने वाला है।
सरकार से निवेदन है कि पंचायत स्तर पर पेड़ लगाने के लिए उत्सुक लोगों को मुफ्त में पेड़ उपलब्ध कराया जाए व सरकारी ज़मीन, सड़क और नहर आदि पर पेड़ लगाने में बाधा उत्पन्न करने या पेड़ नष्ट करने वालों पर सख्त कार्रवाई सुनिश्चित करने की व्यवस्था की जाए।