हम वर्ष में एक दिन पर्यावरण दिवस मनाकर अपने कर्तव्य की इति कर लेते हैं, जबकि प्रदूषण निरन्तर बढ़ रहा है। एसी, फ्रिज, वाहन, कल कारखाने रोज़ ही बढ़ते चले जा रहे हैं और इसी के साथ बढ़ रही है पेड़ों की कटाई। ऑक्सीजन का दोहन निरन्तर जारी है लेकिन पेड़ लगाने की फुर्सत किसी को नहीं है। यदि सरकार कुछ पेड़ लगवाती भी है तो उनमें से एक चौथाई भी पेड़ तैयार नहीं हो पाते हैं, क्योंकि इनकी सुरक्षा व सिंचाई की समुचित व्यवस्था का अभाव है।
गर्मी की हालत यह है कि पारा 50℃ तक पहुंच रहा है। घर से निकलकर पेड़ों की शरण लेनी पड़ रही है, फिर भी हम इनके प्रति गम्भीर नहीं हैं। सरकार आरा मशीन का लाइसेंस बन्द कर चुकी है, किन्तु जगह-जगह इनका संचालन बेधड़क हो रहा है।
यदि जीवन बचाना है, तो पेड़ों के प्रति हमें गंभीरता से सोचना होगा।
- जिनके पास जगह का अभाव है, वे भी गमलों का प्रयोग करके कई तरह के पौधे लगा सकते हैं या फिर सड़क के किनारे, नहर के किनारे, व खाली पड़ी सरकारी ज़मीन पर पेड़ लगाए जा सकते हैं।
- सरकार को पंचायत स्तर पर पेड़ निशुल्क उपलब्ध करवाना चाहिए व जागरूक लोगों के माध्यम से अन्य लोगों को भी प्रेरित करने के साथ-साथ पेड़ों को नष्ट करने या सरकारी ज़मीन पर कब्ज़ा जमाए लोगों के साथ सख्ती बरतनी चाहिए।
- समाज में भी लोगों को समिति बनाकर पेड़ों के प्रति जागरूकता अभियान चलाया जाना चाहिए। हर व्यक्ति को 25 से 30 पेड़ लगाने का संकल्प करना होगा।
- पीपल का पेड़ सर्वाधिक ऑक्सीजन देने वाला है। हर आदमी को कम-से-कम 5 पीपल के पेड़ लगाने चाहिए। घर के आसपास आम, अमरूद, नींबू, अनार आदि का पेड़ लगा सकते हैं।
- पेड़ काटने का परमीशन देने के पहले नए पेड़ लगाना सुनिश्चित करना होगा। पेड़ काटने या कटाने में लिप्त लोगों पर हत्या के तहत कार्रवाई करने का कानून लागू किया जाना चाहिए, तभी स्थिति संभल सकती है।
- पेड़ लगाने के इच्छुक लोगों से आवेदन प्रक्रिया व नष्ट करने या काटने वालों की शिकायत के लिए ऑनलाइन पोर्टल बनाया जा सकता है, जिसमें शिकायतकर्ता की पहचान गुप्त रखने की व्यवस्था हो।
निश्चित ही परिणाम उत्साहवर्धक आएंगे, वरना अगले साल फिर 5 जून को पसीने से तर लोग पर्यावरण दिवस मनाकर दूसरे दिन भूल जाएंगे।