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“पूजा कराने के नाम पर जगन्नाथ मंदिर के पुजारियों ने हमें ठग लिया”

जगन्नाथ मंदिर

जगन्नाथ मंदिर

कुछ समय पहले ओडिशा में आए तूफान ‘फैनी’ से हुए नुकसान से उबरने के लिए कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद द्वारा राहत कार्य के लिए अभियान चलया गया था, जिसके अंतर्गत मुझे भी पुरी (ओडिशा) जाने का अवसर प्राप्त हुआ।

दो दिनों तक मलबा हटाने और अन्य सहायता कार्यों में सेवा देने के बाद मेरे साथ गए हुए मित्रों को जगन्नाथ मंदिर जाने का मन हुआ। मंदिर में प्रवेश करने से पहले सभी साथ लाए गए वस्तुओं को बाहर ही छोड़ना पड़ता है जिसके लिए मंदिर परिसर से बाहर स्थान बने हुए हैं। वहां मोबाईल को छोड़कर सभी सामानों पर शुल्क या निशुल्क दोनों की व्यवस्था होती है।

इस स्थान पर हमें एक पुजारी मिला जो खुद ही टूरिस्ट गाइड बन कर बिना हमारे कुछ बोले आगे-आगे चलने लगा। शायद उसने सोचा होगा कि हमारी संख्या अधिक है तो धन भी अधिक मिल सकता है मगर हम तो ठहरे विद्यार्थी। हमारे पास कहां उतना धन था। खैर, यह सब उसे पता नहीं था, इसलिए वह हमारे आगे-आगे पूरे प्रवाह से चल रहा था। वहां मौजूद तमाम पुजारियों ने पूजा कराने के नाम पर हमें ठग लिया।

जगन्नाथ मंदिर। फोटो साभार: Getty Images

जैसे ही हम मंदिर के अंदर घुसे, पुजारियों की लूट और उनके व्यवहार को देखकर हमें मंदिर दर्शन करने के विचार पर गुस्सा आने लगा। हमारे आराध्य भगवानों के घरों को इन लोगों ने लूट का ऐसा साधन बना दिया है कि गरीबों को बड़े मंदिरों में जाने के लिए भी सोचना पड़ जाता है।

टिका लगाने के लिए धन की मांग, घुमाने के लिए धन की मांग, यहां तक कि वे प्रसाद भी अलग-अलग कीमतों पर बेच रहे थे। यदि कोई बाहर का व्यक्ति बिना अधिक धन दिए मंदिर में पूजा करने की इच्छा लेकर आएगा तो वह पूजा नहीं, बल्कि केवल दर्शन ही कर पाएगा। हमारे देव स्थलों को इस प्रकार धन कमाने का साधन बनाना क्या सही है?

भगवान के दर्शन करने के लिए लोग मंदिरों में बड़ी श्रद्धा से आते हैं लेकिन वहां मौजूद पुजारियों ने तो धर्म को व्यापार बना दिया है। आज के दौर में एक गरीब व्यक्ति के लिए काफी मुश्किल हो गया है बड़े मंदिरों में जाकर भगवान के समक्ष पूजा-अर्चना करना। ऐसे में बेहद ज़रूरी हो जाता है धर्म के अंदर की बुराईयों के खिलाफ अपनी आवाज़ बुलंद करना।

यदि हम आज मुखरता से इन चीज़ों के खिलाफ आवाज़ नहीं उठाएंगे, तब वह दिन दूर नहीं जब धर्म के यही ठेकेदार आने वाली नस्लों को गलत दिशा में ले जाएंगे। ऐसे पुजारियों के लिए धर्म तो बस बहाना है, धर्म के नाम पर ये लोग व्यापार कर रहे हैं।

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