“हमारा देश हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, जैनी और पारसी सभी का देश है। हमें आज़ादी के लिए बहुत कुर्बानियां देनी पड़ी। भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव फांसी पर चढ़े तो वहीं गाँधी जी ने कई आंदोलन किए। भगत सिंह और गाँधी जी में वैचारिक मतभेद थे लेकिन भगत सिंह और गरम दल यह मानते रहे कि गाँधी जी ने आज़ादी की लड़ाई के लिए सारे देशवासियों को एकजुट किया और उनको दिशा दिखाई।”
यह बातें हम सबको अपने-अपने स्कूलों में पढ़ाई जाती रही हैं। आपने भी पढ़ा ही होगा लेकिन अब कुछ लोगों का कहना है कि यह सब गलत है। तो आखिर सच क्या है? उनका कहना है कि जो वे कह रहे हैं, वही सही है और हमें मानना भी पड़ेगा। जिस संविधान का सहारा लेकर वे गाँधी जी और नेहरू जी के बारे में कुछ भी आधारहीन बातें बोल रहे हैं, वह हमारे नेताओं पर आप लागू नहीं कर सकते।
आपको उनकी बात माननी ही होगी क्योंकि वह विष्णु जी के अवतार हैं। वह सिर्फ चार घंटे सोते हैं और उन्होंने पांच साल के कार्यकाल में एक भी छुट्टी नहीं ली।
आज जिस संस्थान ने देश को इतने अफसर और नेता दिए हैं, वह संस्थान देशद्रोही बताया जा रहा है। पिछली सरकार की रक्षा मंत्री भी उसी संस्थान से थीं। आप अब सरकार से सवाल भी नहीं पूछ सकते।
उनका कहना है कि बेगूसराय के एक छोटे किसान का बेटा जिसकी माँ आंगनवाड़ी में काम करती हैं और जिसने देश के सबसे बढ़िया संस्थान से पीएचडी की है, वह देशद्रोही है। बिना किसी सबूत और न्यायालय के फैसले के उसे देश के लिए खतरा बताया जा रहा है।
सत्ता पक्ष के लोगों को लगता है कि वे चुनाव जीत गए हैं तो उन्हें खुली छूट है कि वे कुछ भी बोलें और उनसे सवाल नहीं पूछे जाएं। बस विपक्ष से सवाल पूछे जाएं, उन पर व्यक्तिगत आक्षेप लगाए जाएं, उनका मज़ाक बनाया जाए, उन्हें गालियां और धमकियां भी दी जाएं। हो सकता है आपके कार्यकलापों से खुश होकर हमारे सुप्रीम लीडर आपको सोशल मीडिया पर फॉलो करते हुए आपके साथ सेल्फी भी लेने लग जाएं।
आज की तारीख में लोग सत्ताधारी दल से सवाल पूछने में डरते हैं। उन्हें लगता है कि सरकारी योजनाओं से उनका नाम काट दिया जाएगा या प्रशासन स्तर पर उन्हें धमकाया जाएगा लेकिन ऐसी बात नहीं है। विपक्ष तो पहले से ही कमज़ोर है और कमज़ोर से प्रश्न करना आसान होता है। कभी उनसे भी तो सवाल करिए जिन्हें घमंड है दोबारा सत्ता में आने का और हिन्दुत्व की राजनीति करने का।