7 अक्टूबर सन् 2000 को नंबर 12 की जर्सी पहनकर एक खिलाड़ी इंटरनैशनल क्रिकेट में पहली बार भारत के लिए बल्लेबाज़ी करने उतरा था। युवराज सिंह, हां यही नाम था और इस नाम के साथ एक कारनामा यह जुड़ा था कि लगभग 8 महीने पहले हुए अंडर-19 वर्ल्ड कप में यह नाम मैन ऑफ द टूर्नामेंट का अवॉर्ड जीत चुका था। इस मैच में युवराज ने उस समय की सबसे खतरनाक बॉलिंग लाइन-अप को बच्चों की तरह पीटा और अपनी पहली ही अंतरराष्ट्रीय पारी में 84 रन बनाए और उसी मैच में युवराज ने 1 शानदार कैच और 1 रन आउट भी किया।
ICC नॉकऑउट ट्रॉफी के उस मैच में सिर्फ भारत की जीत नहीं हुई थी, बल्कि एक घोषणा हुई थी कि अब भारत ऐसा क्रिकेट खेलेगा। एक कहानी का आगाज़ हुआ था उस दिन, जो आज मुक्कमल हुई।
युवराज सिंह को आज सारी दुनिया 2007 के T-20 वर्ल्ड कप, 6 बॉल में मारे गए 6 छक्के और 2011 वर्ल्ड कप के लिए याद कर रही है। 2011 वर्ल्ड कप के बाद क्रिकेट देखना शुरू करने वाले कुछ नए बच्चे शायद युवराज का करियर रिकॉर्ड भी गूगल कर रहे होंगे, क्योंकि उन्होंने युवराज सिंह को खेलते नहीं देखा है।
सिर्फ रिकॉर्ड देखकर युवराज के कद का अंदाज़ा नहीं लगाया जा सकता है
फेसबुक और यूट्यूब पर युवराज द्वारा खेली गईं कुछ पारियों के वीडियो भी ट्रेंडिंग में हैं लेकिन युवराज सिंह के रिकॉर्ड और उनकी यादगार पारियों की हाइलाइट्स देखकर उनके कद का अंदाज़ा नहीं लगाया जा सकता है। यह खिलाड़ी भारतीय क्रिकेट के कुछ उन लड़ाकों में से एक है, जिन्होंने भारत को जीतना सिखाया, लड़ना सिखाया।
भारतीय क्रिकेट टीम की फील्डिंग को आज दुनिया में सबसे अच्छा माना जाता है। उस फील्डिंग अटैक के पहले ब्रांड एम्बेसडर युवराज सिंह ही थे। 2002 चैंपियंस ट्रॉफी में युवराज द्वारा लिए गए जोंटी रोड्स के कैच को एक बार देखने के बाद भुलाया नहीं जा सकता है। ऐसा हमने युवराज सिंह के आने से पहले भारतीय टीम को कभी करते नहीं देखा था।
IPL के आने से पहले क्रिकेट देखने वाले फैन्स के लिए युवराज की बैटिंग के मायने
सबके अपने-अपने क्रिकेट हीरो हैं। कोई सचिन के लिए क्रिकेट देखता था तो कोई धोनी और विराट कोहली के लिए टीवी खोलता है। क्रिकेट देखने वालों की वह जमात जो 2000 के आसपास क्रिकेट की समझ रखती थी, जो लोग IPL के आने से पहले भी क्रिकेट देखते थे उनके लिए युवराज की बैटिंग देखना जीवन के सबसे बड़ों सुखों में से एक था।
क्रिकेट फील्ड की कई यादें देकर जा रहे हैं युवराज
जैसा कि दुनिया बनाने वाले ने नियम बनाया है कि हर चीज़ एक दिन अपने आखिरी दिन पर आती है, उसी तरह युवराज सिंह का क्रिकेट करियर भी अपने आखिरी दिन पर आ गया था। युवराज क्रिकेट छोड़कर जा रहा है और सारी दुनिया को देकर जा रहा है, वे यादें जो दुनिया के अलग-अलग मुल्कों और अलग अलग शहरों के क्रिकेट मैदानों पर एक दिन घटित हुईं थी।
युवराज अब सिर्फ यूट्यूब और स्पोर्ट्स चैनलों के बेस्ट ऑफ द बेस्ट के वीडियो में ही बल्ला भांजते नज़र आएंगे। क्रिकेट से मोहब्बत करने वाले दुनिया के तमाम लोग, जिन्होंने युवराज को लाइव खेलते देखा था, वे युवराज शब्द सुनते ही उस जज़्बात को हमेशा महसूस करेंगे, जो उन्होंने नैरोबी की पारी देखते हुए महसूस किया था, जो उन्होंने नेटवेस्ट सीरीज़ के फाइनल को देखते हुए महसूस किया था, जो उन्होंने लाहौर टेस्ट में महसूस किया था, जो उन्होंने ब्रॉड को 6 छक्के लगते समय महसूस किया था, जो उन्होंने 2007 वर्ल्ड T-20 के सेमीफाइनल में महसूस किया था, जो उन्होंने वर्ल्ड कप 2011 में महसूस किया था, जो उन्होंने 2013 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ युवराज की कमबैक इनिंग को देखते हुए महसूस किया था और जो पिछले 19 साल से देखा और महसूस किया था जिसे शब्दों में समेट पाना नामुमकिन है।
जब तक क्रिकेट है तब तक युवराज हैं।