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क्या ऐसे तो हमारा लोकतंत्र भीड़ तंत्र नहीं बन जाएगा?

लोकतंत्र क्या है ?क्या नही है? आज वह समय है जब लोकतंत्र को समझने की जरुरत है। लोकतंत्र वह है जो लोगों के लिए हो।

लोकतंत्र वह है जो सभों को समानता का अधिकार प्रदान करता हो। हमारे देश में हाल में देखा जा रहा है कि भीड़ द्वारा एक से अधिक बार किसी विशेष समुदाय या धर्म के लोगों को सताया और मारा जा रहा है।

यह क्या लोकतंत्र है? किसी भी लोकतंत्र की आत्मा समानता और विभिन्नता का आदर करना है। हम ऐसे समय में आ चुके हैं जहाँ किसी समुदाय या धर्म विशेष व्यक्ति को देशद्रोही करार दिया जा रहा है। क्या  लोकतंत्र यही होता है? यह सोचना आवश्यक है।

भीड़ द्वारा उसी समय दंड सुना देना और उसी जगह मार डालना लोकतंत्र की नयी परिभाषा बन चुकी है। ऐसे समय न तो कोई कठोर कार्यवाही होती है और न ही इसे गलत माना जाता है।

क्या भीड़ ही अब सब कुछ न्याय कर देगी? फिर कानून व्यवस्था और पुलिस और कोर्ट कचहरी क्यों रखी गई है? क्यों न इन्हें बन्द ही कर दिया जाये? दंड के लिए कानून व्यवस्था हमारे देश में मौजूद है तो फिर ऐसा क्यों है कि किसी धर्म के जयकारों को ही देशभक्त या देशद्रोही होने का प्रमाण पत्र मान लिया जाता है? यह क्या गुंडागर्दी नही है? क्या अराजकता नही है?

लोकतंत्र सबका है। चाहे व्यक्ति किसी भी धर्म,जाति का हो। कानून का भय यदि नही बचेगा तो फिर लोकतंत्र क्या भीड़ तंत्र नही बन जाएगा? हम समान नही हैं। हम विभिन्न भी हैं।

हम सब एक ही धर्म के भी नहीं हैं। फिर भी हम इस देश के वासी हो सकते हैं। देश भक्त भी हो सकते हैं। यदि देश भक्त होने के लिए किसी धर्म विशेष को अपनाना जरुरी हो जाए तो फिर क्या लोकतंत्र रह पायेगा?

यदि हम लोकतंत्र को मानते हैं तो हमारा संविधान हमारा धर्म पुस्तक होना चाहिए। हमें अपनी विभिन्नता में एकता को ढूँढना होगा।

हम सभी विभिन्न होते हुए भी एक हैं। यही भारत पहले था,भारत है और भारत रहेगा।

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