हम सभी को बचपन से सिखाया गया है कि परिवर्तन प्रकृति का एक नियम है। यह हमारे जीवन में बहुत महत्व रखता है। फिर चाहे वह परिवर्तन हमारे व्यक्तिगत जीवन में हो या फिर हमारे समाज से संबंधित हो, सबका अपना एक महत्व है। ये सभी परिवर्तन प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से हमें प्रभावित ज़रूर करते हैं।
यदि इतिहास से वर्तमान तक देखा जाए तो समाज और हमारे व्यक्तिगत जीवन में बहुत सारे बदलाव आए हैं। इनमें से कुछ हमारे लिए अच्छे हैं तो कुछ चुनौतियां बनकर भी हमारे सामने खड़े हैं। यदि वर्तमान में हमारे देश की बात करें तो बहुत कुछ बदल रहा है, जिसके परिणाम हम अपने आसपास देख रहे हैं। कुछ बदलाव देखकर खुशी होती है, तो वहीं कुछ बदलाव दुःखद भी हैं।
कुछ उदाहरणों से समझते हैं।
- हमारे नए समाज में भगवान और अल्लाह को इस प्रकार बांट दिया गया है, जैसे वह ईश्वर नहीं, बल्कि दुश्मन हैं। इसका परिणाम हम अपने दैनिक जीवन में देख रहे हैं, जहां मानवता का सरेआम कत्ल किया जा रहा है। हम सबको बताया जाता है कि बच्चे भगवान का रूप होते हैं। मानवता का कत्ल तब हुआ जब उन्हीं भगवान स्वरूप बच्चों को धर्म के नाम पर अलग-अलग कर दिया गया।
- बात वर्ष 2018 की है जब दिल्ली के वजीराबाद इलाके में स्थित नगर निगम स्कूल में प्रिंसिपल द्वारा नन्हें बच्चों को धर्म के आधार पर बांट दिया गया। धर्म को आधार मानकर उनके सेक्शन बांट दिए गए। इससे आप अंदाज़ा लगा सकते हैं कि देश कहां जा रहा है।
- नए समाज में महिला जाति को सिर्फ एक वस्तु बनाने की तैयारियां कुछ यूं चल रही हैं, जैसे पुरुष जाति ने अपने लिए महिला नामक कोई खिलौना तैयार किया हो।
- प्रकृति में हो रहे बदलावों से सबसे ज़्यादा क्षति अगर किसी को पहुंची है तो शायद वह मानवता ही है। उसको कुछ इस प्रकार नष्ट किया जा रहा है, जैसे वर्षों से वही हमारे विकास के रास्ते में बाधा पहुंचा रहा था।
- अगर जातिवाद की बात की जाए तो “नया समाज” शब्द जोड़ना गलत होगा क्योंकि यह तो वर्षों से चला आ रहा है। शायद यही वह विषय होना चाहिए था जिसे बदलाव की सबसे ज़्यादा आवश्यकता थी और आज भी है।
- यदि इंसानियत की बात की जाए तो मृत्यु के मामले में वह भी अच्छी खासी रैंक पर होगी। आजकल अक्सर हम देखते हैं कि सड़क पर अगर कोई इंसान मदद के लिए कराह रहा होता है तो लोग उसकी मदद करने की बजाए उसका वीडियो बनाकर मनोरंजन के साधन के रूप में इस्तेमाल करते हैं।
ऐसे कई बदलाव हैं, जिन्हें देखकर दुख होता है। ये समाज में एक ऐसी सुरंग का निर्माण कर रहे हैं जिसके अंदर हमारी आने वाली पीढ़ी के लिए सिर्फ हिंसा और बर्बादी है।