वहाँ पहाड़ के पार एक गुफा है ,
वहाँ से बहोत आवाजे आती है ,
एक दिन मेने झाँक के देखा ,
तो
वहाँ कोई नहीं था ,
पत्थर पड़े हुए थे ,
जिनमे आवाजे थी ,
शोर था ,
बेशर्मी थी ,
मैं बाहर आ गया ,
तो देखा वहाँ
टूटे फर्श पर ,
संसद लिखा हुआ था ।
आवाजे अब भी आती है
वहाँ पहाड़ के पार एक गुफा है ,
वहाँ से बहोत आवाजे आती है ,
एक दिन मेने झाँक के देखा ,
तो
वहाँ कोई नहीं था ,
पत्थर पड़े हुए थे ,
जिनमे आवाजे थी ,
शोर था ,
बेशर्मी थी ,
मैं बाहर आ गया ,
तो देखा वहाँ
टूटे फर्श पर ,
संसद लिखा हुआ था ।
आवाजे अब भी आती है