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“49 हस्तियों का मोदी जी को खत लिखना एक ज़रूरी कदम है, इन्हें ट्रोल ना करें”

देशभर में दलितों और मुस्लिमों के साथ हो रही मॉब लिंचिंग के खिलाफ 49 चर्चित हस्तियों ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को खुला खत लिखा है। इस खुले खत में विभिन्न फील्ड के सेलिब्रिटी जैसे शास्त्रीय गायिका शुभा मुद्गल, अभिनेत्री कोंकणा सेन शर्मा, फिल्म निर्माता श्याम बेनेगल, अनुराग कश्यप, मणि रत्नम और अपर्णा सेन शामिल हैं।

अपर्णा सेन ने इस मामले में मीडिया से बातचीत में करते हुए कहा,

आज देश के जैसे हालात हैं उससे मैं चिंतित हूं। आज पूरे देश में जिस तरह से लिंचिंग की घटनाएं हो रही हैं, जिस तरह से लोगों को जय श्री राम बोलने पर मजबूर किया जा रहा है और उन्हें मारा जा रहा है, उसके लिए सरकार को कठोर से कठोर कदम उठाने चाहिये।

NCRB के आंकड़े के अनुसार, साल 2009 से अक्टूबर 2018 के बीच देश में लगभग 254 धर्म के नाम पर नफरत पैदा करने वाली घटनाएं हुई हैं।

प्रधानमंत्री के नाम इस चिट्ठी में इन हस्तियों ने लिखा है,

सिर्फ पार्लियामेंट में मॉब लिंचिंग की निंदा करने से काम नहीं चलेगा, इसके खिलाफ क्या एक्शन लिया जा रहा है वह भी बताइए। हमें लगता है कि ऐसे किसी भी क्राइम की बेल नहीं होनी चाहिए और ऐसे लोगों को कड़ी-से-कड़ी सज़ा का प्रावधान होना चाहिए। ऐसी हत्या करने वालों को बिना पेरोल के आजीवन करावास की सज़ा सुनाई जानी चाहिए।

चिट्ठी जैसे ही सामने आई, मानो एक राजनीतिक भूचाल आ गया। बीजेपी और उनके समर्थक इन्हें गैंग, गिरोह इत्यादि कहकर ट्रोल करने लगे। मानो इन्होंने ना जाने कितना बड़ा गुनाह कर दिया हो, इन्हें ना जाने कितने अशब्द और अमर्यादित बाते सुनने को मिलने लगी।

अनुराग कश्यप, श्याम बेनेगल, कोंकणा सेन। फोटो सोर्स- Getty

मीडिया का एक धड़ा भी इन्हें अवॉर्ड वापसी गैंग, पश्चिम बंगाल का गिरोह, ममता के कनेक्शन के लोग इत्यादि कहने लगा और अपना एजेंडा शुरू कर दिया, जिसमें इन सभी लोगों को गलत साबित करने और मोदी सरकार और भारत कि स्थिति को एकदम अच्छी दिखाने की होड़ में लग गया।

कुछ लोग तो इन्हें देशद्रोही ही घोषित करने पर तुले हैं। इनकी बातों को निराधार बताया जा रहा है, जबकि ऐसी घटनाओं के बहुत से वीडियो सोशल मीडिया पर आते रहते हैं, जिससे देश में अमानवीय कृत्य को देखा जा सकता है और NCRB के आंकड़े से भी ऐसी बातों का अंदाज़ा लगाया जा सकता है।

अगर 49 हस्तियों ने इस अपराध पर आवाज़ उठाई है, तो उन्हें ट्रोल और अपमानित क्यों किया जा रहा है? उन्होंने अपनी बात तथ्य के साथ आपको बताई है और उसके ऊपर कार्रवाई एवं समाधान करने की बात कही है, तो उन्हें बुरा कहने की होड़ क्यों शुरू कर दी गई है?

ये हमारे देश के बुद्धिजीवी और ज़िम्मेदार नागरिक हैं, जो देश में एक समस्या की शुरुआत से ही देश को आगाह करने और उसपर कार्रवाई करने की मांग कर रहे हैं, इन्हें उचित सम्मान नहीं दे सकते, तो इन्हें अपमानित करने का हक आपको किसने दिया?

हमें सोचना होगा, हमें मनन करना होगा इनकी बातों पर और सोचना होगा जो बातें जो ये कह रहे हैं, वह सही ही तो है, फिर इन्हें विलन क्यों बनाया जा रहा है? वे कौन लोग हैं, जो इन्हें विलन बनाने में भूमिका निभा रहे हैं।

मॉब लिचिंग और धर्म के नाम पर भीड़ द्वारा जो घटनाएं हो रही हैं, उन्हें अभी नहीं रोका गया, तो आगे चलकर हम सभी इसके शिकार होंगे। जब मुहल्ले में आग लगती है, तो वह सबका घर जलाती है, वह नहीं देखती किसका घर है।  यही प्रकृति भीड़ की भी होती है, इसलिए हमें इस समस्या पर आवाज़ बुलंद करना चाहिए।

इन सबको जिस प्रकार ट्रोल किया जा रहा है, मुझे बचपन में पढ़ी एक कहानी याद आ गई है,

एक बच्चा स्कूल में चोरी करता था, तो कुछ लोग (स्कूली बच्चे) उसकी शिकायत उसकी माँ से करते थे, पर माँ ने कभी उसे रोका नहीं। ना ही समझाया, ना ही ध्यान दिया और ना ही उसे बताया कि यह गलत काम है इसे बंद कर दो। बच्चा बड़ा होकर चोर बन जाता है और एक दिन पुलिस जेल में बंद कर देती है, तो चोर माँ को मिलने के लिए बुलाता है।

माँ जब मिलने के लिए आती है, तो वह माँ को कान में कुछ कहने के बहाने उनका कान काट लेता है। माँ चीखने लगती है, तब वहां पर खड़े लोग और पुलिस वाले चोर से पूछते हैं, ऐसा क्यों किया तो चोर कहता है कि अगर मॉं ने मुझे बचपन में चोरी करने से रोका होता तो आज मैं बड़े होकर ऐसा काम नहीं करता।

अभी मॉब लिचिंग और धर्म के नाम पर भीड़ द्वारा की जाने वाली घटनाओं को भी ऐसे ही देखिए। अभी इसकी शुरुआत है, इसे रोक सकते हैं, ये 49 लोग आपसे शुरुआत में रोकने की बात कर रहे हैं। अगर मोदी जी इनकी बात नहीं मानते हैं, तो आगे और भी भयावह स्थिति हो सकती है।

समय रहते हुए इन घटनाओं को रोकने के लिए कदम उठाना चाहिए। ये 49 लोग इसलिए बुरे बताये जा रहे हैं, क्योंकि ये सरकार को सचेत होने के लिए कह रहे हैं और जवाब मांग रहे हैं। आपकी कमियों को बताने वाला आपका दुश्मन नहीं होता है, वह आपका सबसे अच्छा सुभचिन्तक होता है। उसका सम्मान करना चाहिए और कमियों पर ध्यान देकर उन्हें दूर करने की कोशिश करनी चाहिए ना कि उन्हें बुरा भला कहना चाहिए।

कबीर दास जी कहते हैं

निंदक नियरे राखिए, ऑंगन कुटी छवाय, बिन पानी, साबुन बिना, निर्मल करे सुभाय।

व्यक्ति को सदा चापलूसों से दूरी और अपनी निंदा करने वालों को अपने पास ही रखना चाहिए, क्योंकि निंदा सुनकर ही हमारे अन्दर स्वयं को निर्मल करने का विचार आ सकता है और यह निर्मलता पाने के लिए साबुन और पानी की कोई आवश्यकता नहीं होती है।

आज के युग में शायद ही ऐसा होता है, क्योंकि जो हमारी बुराई करते हैं, अक्सर हम उनसे दूर ही भागते हैं। ठीक यही हो रहा है, इन 49 हस्तियों के साथ। ये सरकार की निंदा और सवाल कर रहे हैं, इसलिए सबलोग इनसे दूर भाग रहे हैं और इन्हें गलत कह रहे हैं, जबकि ये लोग भारत को सशक्त और मज़बूत बनाने के लिए आवाज़ उठा रहे हैं, इनका इसमें कोई निजी लाभ नहीं है।

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