Site icon Youth Ki Awaaz

कविता: मिट्टी में पालित हिमा दास

Hima Das

क्या खाया क्या पचाया

इस धूसर काया में यह बल

अरे बाबा, कहां से आया

बताना लड़की हिमा दास

जादू की छड़ी है क्या तेरे पास?

 

गॉंव में खेत में खटकर बड़ी हुई

कभी धरे नहीं ब्रांडेड जूते में पैर

बस, अपने ही बूते उड़न परी हुई!

 

दुनिया ने देखी अजब जादूगरी

तूने चीता सी जब कुलांचे भरीं

स्वर्ण पदकों की लग गयी ढेर

तो गॉंव की खड़ी फसलें भी

हुलस कर हो गयीं और हरी!

 

क्या यह उस मिट्टी का कमाल है

या मॉं के हाथों पके भात का

कि दौड़ तो तूने जमीं पर लगायी

और आह्लादित है हिया हिमाल का?

 

तुम्हारी जीत दर जीत का

लिखा जायेगा जब इतिहास

तो स्वर्णांकित तेरी छवियां भी

इतरा इतरा चिल्लायेगीं-

‘मिट्टी में पालित हिमा दास’!

Exit mobile version