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चंद्रयान 2: कौन हैं वे महिलाएं जिन्होंने इस मिशन का किया है नेतृत्व?

Women behind tha Chandrayaan 2 project

अंतरिक्ष क्षेत्र में शुरुआत से ही पुरुषों का प्रभुत्व रहा है लेकिन इस बार के मिशन में ऐसा बिलकुल भी नहीं है। यह पहली बार है, जब किसी इंटर-प्लैनेटरी या अंतरग्रहीय मिशन का नेतृत्व महिलाओं को मिला है और चंद्रयान-2 की मिशन डायरेक्टर और प्रोजेक्ट डायरेक्टर महिलाएं ही हैं।

इससे पहले, कम्युनिकेशन या अन्य सैटेलाइट लॉन्च प्रोग्राम को महिला वैज्ञानिक लीड कर चुकी हैं। डेटा हैंडलिंग की विशेषज्ञ मानी जाने वाली मुथैया वनिता इस मिशन की प्रोजेक्ट डायरेक्टर हैं, जबकि रितु करिधाल को इसका मिशन डायरेक्टर बनाया गया है। साथ ही, इस मिशन के वैज्ञानिकों में महिलाओं की संख्या 30% है।

कौन हैं मुथैया वनिता और क्या होती है प्रोजेक्ट डायरेक्टर की ज़िम्मेदारी?

मुथैया वनिता। फोटो सोर्स- सोशल मीडिया

भारतीय स्पेस एजेंसी इसरो के इतिहास में पहली बार किसी महिला को प्रोजेक्ट डायरेक्टर का दायित्व सौंपा गया है। इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम इंजीनियर वनिता ने 1992 में इसरो ज्वॉइन किया था और इंटरनैशनल जर्नल ऑफ साइंस ‘नेचर’ ने उन्हें इस साल के दुनिया के शीर्ष वैज्ञानिकों की सूची में शामिल किया है।

मूलत: केरल की रहने वालीं वनिता चंद्रयान-1 मिशन में एसोसिएट डायरेक्टर भी रह चुकी हैं और 2006 में एस्ट्रोनॉटिकल सोसायटी ऑफ इंडिया ने उन्हें बेस्ट वुमेन साइंटिस्ट का अवॉर्ड दिया था।

चंद्रयान-1 के प्रोजेक्ट डायरेक्टर डॉक्टर एम.अन्नादुरई ने न्यूज़ 18 नेटवर्क को बताया,

वनिता डेटा हैंडलिंग में एक्सपर्ट हैं। वह डिजिटल और हार्डवेयर सेक्शन को हैंडल करने में सहज़ हैं और शुरुआत में प्रोेजेक्ट डायरेक्टर का पद लेने से हिचकिचा रही थीं। इस पोस्ट में एक दिन में 18-18 घंटे काम करना होता है, जिसका मतलब है कि इसके लिए काफी बलिदान करने पड़ते हैं।

उन्होंने वनिता के लिए यह भी कहा,

उन्हें समस्याओं का समाधान ढूंढने में महारत हासिल है और यह उत्साह टीम को आगे बढ़ने में काफी मदद करता है। वनिता टीम को मैनेज करने में भी माहिर हैं और ऐसे प्रोजेक्ट में टीम वर्क काम आता है।

प्रोजेक्ट डायरेक्टर की ज़िम्मेदारी की बात की जाए तो वह इस प्रोजेक्ट के शुरुआत से लेकर अंत तक सभी चीज़ों के लिए ज़िम्मेदार हैं। प्रोजेक्ट डायरेक्टर एकदम शुरुआत से प्रोजेक्ट का हिस्सा बनता है और वह पूरे मिशन की अथॉरिटी होता है जबकि मिशन डायरेक्टर एक Temporary Functional Leader है, जो मिशन की निगरानी करता है और प्रोजेक्ट के लिए सभी एजेंसियों से कोऑर्डिनेट करता है। इसरो चेयरमैन के. सिवन के मुताबिक, इस मिशन में 620 कंपनी, यूनिवर्सिटीज़ और लैबोरेटरीज़ महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रही हैं।

कौन हैं रितु करिधाल जिन्हें रॉकेट वुमेन भी कहा जाता है?

रितु करिधाल। फोटो सोर्स- सोशल मीडिया

1997 से इसरो में काम कर रहीं वैज्ञानिक रितु करिधाल ने अभिनेता शाहरुख खान के शो ‘टेड टॉक्स इंडिया’ में साल 2018 में कहा था,

सितारे मुझे बचपन से ही अपनी ओर खींचते थे। मैं सोचती थी कि अंधेरे अंतरिक्ष के उस पार क्या है? विज्ञान मेरे लिए सिर्फ एक विषय नहीं बल्कि एक जुनून था, जो मुझे अपने लक्ष्य की ओर खींच रहा था। आज मुझे लगता है लड़का-लड़की का अंतर ज़्यादा नहीं रह गया है लेकिन हां, अंदरूनी इलाकों में, गॉंव-कस्बों में अभी ये भावना नहीं आई है। लड़की बड़े शहर की हो या गॉंव-कस्बे की, पेरेंट्स का सपोर्ट हो तो वह बहुत आगे बढ़ सकती है। मेरे माता-पिता ने मुझे यही कॉन्फिडेंस दिया था।

मूलत: लखनऊ की रहने वाली रितु ने इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस से एरोस्पेस इंजीनियरिंग में मास्टर्स किया है। रितु मंगलयान मिशन में डिप्टी ऑपरेशन डायरेक्टर थीं और अब चन्द्रयान-2 में मिशन डायरेक्टर हैं। इसके अलावा, उन्होंने इसरो के कई प्रोजेक्ट्स पर काम किया। रितु को 2007 में यंग साइंटिस्ट अवॉर्ड, 2015 में मंगल मिशन के लिए इसरो टीम अवॉर्ड और 2017 में विमेन अचीवर्स इन एरोस्पेस मिला था।

हालांकि, इन दोनों महिलाओं के पीछे इनकी पूरी टीम दिन-रात काम पर लगी हुई है। अगर यह मिशन सफल होता है तो भारत पहला ऐसा देश बन जाएगा जो चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचेगा।

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सोर्स- DW.com,  financialexpress.com,  news18.com, thehindu.com, news18.com

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