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हिमा दास: फुटबॉल प्लेयर से कुछ इस तरह बनीं विश्वस्तरीय एथलीट

हिमा दास जैसा शायद ही कोई भारतीय होगा, जिसने अपने देशवासियों को एक ही माह में पांच बार गौरवान्वित किया हो। भारत की नई उड़नपरी, जिसे अब लोग ढिंग एक्सप्रेस बुला रहे हैं। हिमा दास का जन्म 9 जनवरी 2000 को असम के ढिंग ज़िले में हुआ था। आपको बता दें कि उनके पिता रंजीत दास एक किसान हैं और जब भी हिमा को मौका मिलता है, तो वह भी अपने पिता के साथ खेती-बाड़ी में मदद करती हैं।

फोटो क्रेडिट – हिमा दास फेसबुक पेज

पुरुष फुटबॉल टीम से एथलिट बनने का सफर

हिमा जब इंटरमीडिएट में थी, तो वह अपने कॉलेज के पुरुष फुटबॉल टीम की खिलाड़ी थी। एक मैच के दौरान उनके स्कूल (जवाहर नवोदय विद्यालय) के पीटी टीचर, शमशुल शेख ने हिमा के टैलेंट को पहचाना और फिर हिमा से अपने खेल की रुचि को बदलने को कहा यानी कि फुटबॉल छोड़कर एथलिट बनने को कहा।

फोटो क्रेडिट – फेसबुक

उसके बाद हिमा को जितने भी मौके मिलते गए, उन सबको अपने अथक प्रयास से उन्होंने अच्छे से भुनाने की शानदार कोशिश की और उन्हें उनकी मेहनत का फल भी मिला। सन 2018 में उन्हें एशियन गेम्स (जकारता) में भारत की तरफ से 400 मीटर रेस में भागने का मौका मिला और हिमा ने  मात्र 50.79 सेकंड में इस रेस को पूरा कर गोल्ड मैडल जीता। ये सिर्फ जीत नहीं थी बल्कि अभी तक के भारत का नैशनल रिकॉर्ड भी है।

यह वही लड़की थी, जिसे दौड़ने के लिए ट्रैक नहीं थे और ना ही पहनने के लिए जूते। जब हिमा जकारता से लौट कर आई तो वह एडिडास की ब्रांड एंबेसडर बन गई, साथ ही साथ असम सरकार ने भी उन्हें अपने स्टेट का एम्बेसडर बनाया।

हिमा का गोल्डन जुलाई

अगर हम 2019 के जुलाई महीने की बात करें, तो यह माह हिमा के लिए गोल्डन जुलाई रहा। इस 19 साल की छोरी ने मात्र 19 दिन में 5 गोल्ड मैडल अपने नाम किए। यहां पर यह बात बिल्कुल सच बैठती है कि हमारी छोरियां छोरो से कम है के

चेक रिपबलिक में 400 मीटर में पांचवां गोल्ड जीतने के बाद हिमा दास, फोटो क्रेडिट – फेसबुक

हिमा के लिए यह गोल्डन जुलाई 2 जुलाई को शुरू हुआ,

हिमा को 2018 में राष्ट्रपति कोविंद ने अर्जुन अवॉर्ड से भी समानित किया है।

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा अर्जुन अवार्ड लेती हिमा दास, फोटो क्रेडिट- getty images

 

असम बाढ़ पीड़ितों के लिए अपनी आधी सैलरी दान की

अभी हाल ही में असम में बाढ़ आई है। आपको बता दें कि इस संकट की घड़ी में भी हिमा ने सबसे आगे दौड़कर, असम रिलीफ फण्ड में अपना 50% वेतन दान कर दिया। यही नहीं, इसके अलावा उन्होंने ट्वीट कर, बड़ी-बड़ी कंपनियों और व्यक्तियों से भी आगे आकर असम की मदद करने की अपील की।

असम बाढ़ में पीड़ितों की मदद की गुहार लगाते हुए हिमा दास का ट्वीट, फोटो क्रेडिट- ट्विटर

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हिमा ने वाकई आज पूरे देश का दिल जीत लिया है। आज उन्होंने सारी लड़कियों के लिए प्रेरणा स्त्रोत बनकर, एक अद्भुत मिसाल कायम की है। हिमा का कहना है,

मैंने कभी मैडल के पीछे भागने की कोशिश नहीं की, मैंने हमेशा अपने टाइम को कम करने की कोशिश की जिसकी वजह से मैंने मैडल जीते।

हमें देश की इस बेटी पर फक्र है।

फोटो क्रेडिट – फेसबुक

आपको बता दें कि हिमा एक ऐसा नाम बन गया है जिसपर हर एक भारतवासी को गर्व है। मैं मानती हूं कि हर घर में हिमा जैसी बेटी होनी चाहिए जो अपने देश के लिए मिसाल बने।

मैं बस इतना कहना चाहती हूं कि वायरल करना है, तो ऐसी बेटियों को वायरल कीजिए जिसको देखकर या जिसके बारे में पढ़कर लोगों को सीख मिले कि हमें भी ऐसा बनना चाहिए।

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