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“मेरी बहन के लिए मेरा समलैंगिक होना शर्मनाक था मगर आज वह मेरे साथ है”

ध्रुव की बहन ने शुरू से ही उसके समलैंगिक होने पर काफी ऐतराज़ जताया था लेकिन अब वह फेसबुक पर उनके पार्टनर के साथ उनकी फोटो को लाइक करती है। ध्रुव ने लव मैटर्स इंडिया को बताया कि धीरे-धीरे ही सही लेकिन अब चीज़ें उनके लिए सकारात्मक रूप से बदलने लगी हैं।

एक दिन शिल्पा दीदी और मैं टीवी पर दोस्ताना फिल्म देख रहे थे। हम एक-दूसरे के साथ हर बात साझा करते थे कि तभी फिल्म देखते हुए मैंने भी उन्हें बता दिया कि अपने स्कूल के दोस्त नमित को लेकर मैं भी कुछ-कुछ ऐसा ही महसूस करता हूं। उन्हें लगा कि मैं फिल्म देखते हुए उनसे मज़ाक कर रहा हूं।

उन्होंने यह बात मम्मी-पापा को भी बता दी। मम्मी-पापा ने भी एक मज़ाक समझकर इस बात की अनदेखी कर दी। वास्तव में उनके लिए यह अविश्वसनीय था। जिसके बारे में उन्होंने ना तो कभी सपने में सोचा था और ना ही कभी कल्पना की थी। मेरे मम्मी-पापा समलैंगिक शब्द के बारे में जानते थे लेकिन उतना ही जितना करण जौहर की फिल्मों में या कुछ विदेशी फिल्मों में दिखाया जाता है। अपने ही घर में किसी व्यक्ति के समलैंगिक होने का तो सवाल ही नहीं था।

वह अपमानजनक रात

जैसे-जैसे साल बीतते गए मैं अपनी लैंगिकता को लेकर और अधिक सहज होता गया और मैंने इसके बारे में अपने दोस्तों को भी बता दिया। मेरे छोटे से शहर पंतनगर में कुछ दिनों के भीतर यह खबर जंगल में आग की तरह फैल गई। मेरे घर वाले गुस्से से आगबबूला हो गए और उन्होंने मुझसे बात करना बंद कर दिया।

सौभाग्य से, उसी हफ्ते मैं कॉलेज की एक ट्रिप पर शहर से बाहर चला गया। वहां मैं काफी आराम से घूमा-फिरा और एक हफ्ते बाद वापस लौट आया। उस रात जैसे ही मैं घर पहुंचा, मैंने अपने पास पड़ी एक चाभी से घर का दरवाज़ा खोला और चुपके से अपने कमरे में चला गया, क्योंकि मैं रात के 2 बजे किसी को परेशान नहीं करना चाहता था।

कपड़े बदलने के बाद मैं बेड पर लेटा ही था कि शिल्पा दीदी ने आकर मुझे जगा दिया। उन्होंने कहा कि वह मुझसे बात करना चाहती हैं। उन्होंने कहा कि मम्मी-पापा मुझसे नाराज़ हैं और वह नहीं चाहते कि मैं घर से बाहर निकलूं ताकि लोगों को मेरी लैंगिकता के बारे में पता चले।

उन्होंने कहा कि इससे परिवार की बदनामी होगी और कहीं उनकी शादी की बात भी नहीं बन पाएगी। मैंने मना कर दिया। मैंने उसके साथ तर्क करने की कोशिश की लेकिन इसका कोई फायदा नहीं हुआ। बहस इतनी बढ़ गई कि उन्होंने मुझ पर चिल्लाना शुरू कर दिया और बाद में चप्पलों से मेरी पिटाई करने लगीं। मुझे काफी अपमान महसूस हुआ लेकिन मैंने उन्हें रोका नहीं।

बदलाव का वक्त

उस घटना को पांच साल से अधिक समय बीत चुके हैं। मुझे दूसरे शहर में नौकरी मिल गई है और मैं अपने पैरों पर खड़ा हूं। शारीरिक कष्ट तो दूर हो गया लेकिन उस दिन मुझे जो मानसिक पीड़ा पहुंची थी, वह लंबे समय तक मेरे साथ रही। समय बदला और दीदी की शादी हो गई। इसके बाद भी हम उसी तरह एक-दूसरे से जुड़े रहें और मेरी समलैंगिकता को छोड़कर हम लोग हर चीज़ के बारे में बातें करते थे। हालांकि धीरे-धीरे हमारे मम्मी-पापा और दीदी करीब आ गए और अब उन्होंने मुझे उसी रूप में स्वीकार कर लिया है जैसा मैं हूं।

पिछले साल जब दीदी और जीजू अपने बच्चों के साथ रक्षाबंधन पर पुणे में मुझसे मिलने आए थे, उस वक्त मेरा पार्टनर मयंक मेरे साथ था। मयंक को पीलिया हो गया था इसलिए मैं उसकी देखभाल कर रहा था। जब मैं ऑफिस चला गया तो दीदी ने ना केवल उसे दवा दी बल्कि उसके लिए खाना भी बनाया।

मेरी दीदी अब फेसबुक पर मेरे उस पेज को लाइक करती हैं, जहां मैं समलैंगिक अधिकारों के बारे में अपने विचार पोस्ट करता रहता हूं। वह मयंक के साथ मेरी फोटो पर लाइक और कमेंट भी करती हैं। मयंक और मैंने दीवाली की छुट्टियों में दीदी के घर जाने की योजना बनायी है। मुझे यकीन है कि मेरे मम्मी-पापा भी वहां आएंगे और मयंक के साथ मुझे स्वीकार करेंगे। मैं बस यही कामना कर रहा हूं कि सबकुछ अच्छे से निपट जाए।


ध्रुव ने हमारे अभियान #AgarTumSaathHo के लिए लव मैटर्स इंडिया के साथ अपनी कहानी साझा की है। इस महीने हम LGBTQ+ समुदाय के लोगों को दोस्तों, सहकर्मियों, माता-पिता, शिक्षकों या समाज से मिले और उनके समर्थन, स्वीकृति, प्रेम और सम्मान की कहानियां प्रकाशित करेंगे।

*गोपनीयता बनाए रखने के लिए नाम बदल दिए गए हैं।

*28 वर्षीय ध्रुव समलैंगिक हैं और पुणे में डेटा साइंटिस्ट हैं।

Featured Image courtesy of Jay Bansal/Pixabay. For representation only.
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