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साइबर अपराध का शिकार होने पर ये कदम उठाएं

वर्तमान युग भारत के एक नए परिदृश्य की स्थापना कर रहा है। 2016 में विमुद्रिकरण के कारण भारत में इंटरनेट उपभोक्ताओं की संख्या में इज़ाफा हुआ है। वर्तमान में इंटरनेट की पहुंच 34% है अर्थात लगभग 50 करोड़ उपभोक्ता हैं। इसके परिणाम सकारात्मक के साथ-साथ नकारात्मक भी हैं, जैसे कि डेटा चोरी, ऑनलाइन वित्तीय धोखाधड़ी, साइबर उत्पीड़न इत्यादि।

साइबर अपराधों में इज़ाफा।

साइबर अपराधों में बढ़त की वजह से प्रशासन ने इंटरनेट उपभोक्ताओं की सुरक्षा बढ़ा दी है। पुलिस स्टेशन, सरकारी कार्यालय एवं साइबर अपराध सेल हमारी सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं। साइबर अपराध सेल के प्रमुख अधिकारी विशेष महानिदेशक होते हैं जो अपने अंतर्गत आने वाले क्षेत्र में होने वाले अपराधों की जांच पड़ताल करते हैं। विशेष महानिदेशक के अधीन अन्य अधिकारी कार्यरत होते हैं।

यदि आप साइबर अपराध के शिकार होते हैं तो देर ना करें और जितनी जल्दी हो सके अपने निकटतम साइबर सेल जाकर सूचना दें। भारत में 2017 में हर 10 मिनट में कम से कम एक साइबर अपराध की सूचना मिली थी। सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) अधिनियम के तहत 4035 साइबर अपराध के मामले दर्ज किए गए थे।

साइबर अपराध क्या है?

सबसे पहले आपको यह पता होना चाहिए कि साइबर अपराध है क्या। इंटरनेट पर होने वाली किसी भी प्रकार की धोखाधड़ी इसके अंतर्गत आती है। उदाहरण के लिए महिलाओं को अक्सर साइबर उत्पीड़न, ऑनलाइन पीछा, वैवाहिक धोखाधड़ी, आदि का सामना करना पड़ता है।

किशोर एवं किशोरियां ऑनलाइन आत्महत्या के खेल ‘ब्लू व्हेल’ के कारण मौत और ऑनलाइन अपहरण के शिकार हो जाते हैं। इन सबके अतिरिक्त ऑनलाइन वित्तीय धोखाधड़ी हज़ारों निर्दोष व्यक्तियों को अपना शिकार बनाती है।

साइबर अपराध का शिकार होने पर क्या करना है?

यदि आप उपरोक्त किसी साइबर अपराध का शिकार हुए हैं तो साइबर अपराध सेल जाकर शिकायत दर्ज करें तथा निम्नलिखित बातों का ध्यान रखें।

यदि आप या आपका कोई मित्र साइबर अपराधों से पीड़ित है तो इसे नज़रअंदाज़ ना करें तथा जागरूकता एवं सर्तकता फैलाएं।

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