बच्चों का बदलता स्वभाव आपको कभी-कभी परेशान कर सकता है मगर इसका सबसे बड़ा कारण होता है, बच्चों के साथ आपका समय नहीं बिताना।
माना उन्हें शब्दों का इतना ज्ञान नहीं होता मगर भावनाओं को जताने का वह एक भी मौका नहीं गंवाते और खासकर, उनका रोना उनकी सबसे बड़ी ताकत होती है। यही वह तरीका होता है, जिससे वे अपने माता-पिता का ध्यान अपनी तरफ खींचने का कार्य करते हैं।
बड़ों के साथ ही बदल रही है, बच्चों की भी लाफस्टाइल
अब वक्त बदल गया है और ज़रूरतें भी। हम बड़ों की ही नहीं बल्कि बच्चों की भी लाइफस्टाइल बदल रही है। यहां तक कि आपने यह भी सुना होगा कि आजकल के बच्चे कैसे होते हैं? बड़े बुजुर्ग अक्सर आज की पीढ़ी से यह शिकायत करते मिल जाते हैं कि किस तरह की परवरिश दे रहे हो तुम? बच्चे ज़िद्दी होते जा रहे हैं, किसी की सुनते नहीं, अपनी चलाते हैं, उन्हें समझना और समझाना आज बहुत मुश्किल हो गया है। ऐसे में माता-पिता करें तो क्या करें?
आइये जानते हैं कि आखिर क्यों बच्चे ऐसा व्यवहार करते हैं?
बच्चे जो देखते हैं, वही सीखते हैं। हम खुद अपनी समस्याओं में उलझे रहते हैं और हमारा चिड़चिड़ापन देखकर बच्चे खुद उस व्यवहार को अपनी दिनचर्या में ढालने लगते हैं। आज माता-पिता दोनों कार्यरत होते हैं, जिसकी वजह से एक लंबे अंतराल तक वह अपने बच्चों से दूर रहते हैं। ऐसे में उन्हें अकेले रहने की आदत हो जाती है, जो धीरे-धीरे उनका स्वभाव बन जाती है। यहां तक कि वह अपनी ज़िंदगी में कभी-कभी अपने माता-पिता की दखलअंदाज़ी भी बर्दाश्त नहीं करते। ऐसे में रिश्तेदारों की बात तो बहुत दूर है।
हम खुद आजकल की व्यस्त ज़िंदगी में अपनी परेशानी से मुक्ति पाने के लिए उन्हें मोबाइल पकड़ा देते हैं, ताकि हम खुद स्वतंत्र रह सकें। यह उनकी ज़िंदगी की सबसे बुरी लत होती है, जो उन्हें अपने घेरे में खिंचती जाती है। आजकल एकल परिवार की वजह से बच्चों को बच्चों का साथ नहीं मिल पाता। जिसकी वजह से वे अंदरूनी कमज़ोरी का शिकार बन जाते हैं। जैसे किसी भी बाहर वाले को देखकर अचानक रोना शुरू कर देना।
अगर कुछ बातों पर हम थोड़ा सा ध्यान दें, तो ऐसी समस्याओं से निजात पा सकते हैं। जैसे,
- आजकल माता-पिता दोनों का कार्यरत होना समय की आवश्यकता हो गई है, ऐसे में बच्चों को समय दे पाना बहुत मुश्किल हो जाता है। ऐसे में आप अपने समय को मैनेज करें, अपने व्यस्त समय में से कुछ समय बच्चों के लिए निकालें, इससे आपके बच्चे को महसूस होगा कि वह आपकी पहली ज़रूरत हैं।
- मोबाइल या गैजेट्स देने की बजाय आप उन्हें बाहर घूमाने ले जाएं, ताकि वह बाहरी ज्ञान को समझें। गार्डन में ले जाएं, उन्हें सैर पर ले जाएं ताकि आप अपने बच्चों के साथ वक्त भी साथ बिता सकें और उन्हें गैजेट्स की आदत भी ना लगे।
- उनकी ज़रूरतों को नज़रअंदाज़ ना करें लेकिन उनकी ज़िद को नज़रअंदाज़ करना ज़रूरी है।
- कभी-कभी बच्चे अपने मन में गहरी बातों को दबा लेते हैं, जिन्हें हम अपनी व्यस्तता के कारण समझ नहीं पाते मगर उनके बदलते व्यवहार पर नज़र रखें ताकि थोड़ी भी परेशानी हो तो आपको तुरंत पता लग जाए।