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केवल लड़कियों से ही घर, परिवार की इज्ज़त क्यों?

Sakshi misra and Rajesh Misra

एक गज़ब का ट्रेंड सोशल मीडिया पर दिख रहा है, वह कुछ इस तरह का है, जैसा फिल्म पद्मावती के लिए राजपूतों का और फिल्म आर्टिकल 15 के लिए ब्राह्मणों का ड्रामा था।

मैं बात कर रहा हूं साक्षी और अजितेश के केस के बारे में। मैं ब्राह्मण होने के नाते ना विधायक जी का साथ देने के लिए कुछ लिख रहा हूं, ना ही मैं अपना नाम अजितेश होने की वजह से साक्षी के पति अजितेश का साथ देने के लिए खड़ा हूं। मैं लिख रहा हूं साक्षी के लिए, जो ये विधायक, ब्राह्मण, दलित, सम्मान, ऑनर किलिंग, सोशल मीडिया ट्रेंड में पिस गई है।

मैं उस केस की बात कर रहा हूं, जहां साक्षी बीजेपी विधायक की बेटी और जाति से ब्राह्मण है और अजितेश एक दलित लड़का है। बरेली के विधायक राजेश मिश्रा की बेटी अजितेश नाम के एक लड़के के साथ है, दोनों अपना घर छोड़कर कहीं और रह रहे हैं और फिर साक्षी एक वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर डाल रही है, जिसमें वह अपने पिता से अपनी ही जान को खतरा बता रही है।

क्या प्यार करने के कुछ पैमाने होते हैं?

साक्षी और अजितेश। फोटो सोर्स- Youtube

प्यार करने के लिए उम्र में छोटा या बड़ा होना, दलित या ब्राह्मण होना, दिव्यांग होना या कुछ भी ऐसे हालात अहमियत नहीं रखते हैं। अगर आपको लगता है कि ऐसे हालात अहमियत रखते हैं, तो आप आलोक दीक्षित नाम एक बार गूगल कर लीजियेगा।

अब आइए साक्षी पर, साक्षी मिश्रा जाति से ब्राह्मण है, बीजेपी विधायक की पुत्री है और बालिग है। अजितेश नाम के एक लड़के से प्यार करती है, जो कि उम्र में उनसे बड़ा है और दलित है। उन्हें लगता है कि घर वाले इस बात को कभी स्वीकारेंगे नहीं कि वह एक दलित लड़के से शादी करे। यह साक्षी और अजितेश का देखने का नज़रिया है।

अरेंज मैरेज में क्या सब सही होने की गैरेंटी होती

हो सकता है उनके पिता जी का नज़रिया यह हो कि अजितेश एक अच्छा लड़का नहीं है, क्योंकि अजितेश के पड़ोसियों के हिसाब से वह दबंग और गुंडा है। साथ ही भाजपा विधायक के हिसाब से अजितेश की सगाई भी किसी और से हुई थी।

खैर, एक सवाल आपके लिए कि अगर विधायक जी अपनी पुत्री का विवाह अपनी मनमर्ज़ी से बहुत अच्छा घर देखकर करते हैं, तो क्या आप इस चीज़ की गैरेंटी लेते कि उसके बाद सबकुछ सही होता? अरेंज मैरेज में दहेज के लिए जलाई और मारी जा रही बेटियों की कहानी क्या है?

ऑनर किलिंग के कुछ आंकड़े पढ़ लीजिए एक बार

इस हिसाब से साक्षी के जान से मार देने वाले आरोप को सिरे से खारिज़ नहीं किया जा सकता है।

आप जिसे प्यार करते हो, उसे पाने के लिए सभी संभव रास्ते भी खोजे होंगे

साक्षी मिश्रा। फोटो सोर्स- Youtube

तो अब जब साक्षी और अजितेश को लगा कि शादी घर वालों की मर्ज़ी से तो संभव नहीं है, तो उन्होंने एक दूसरे के साथ मंदिर में जाकर शादी करने की सोची और अपनी ज़िन्दगी अकेले जीने का मन बना लिया, अब इसमें गलत क्या किया?

सच कहूं तो हो सकता है, इतना गलत तो विधायक जी को भी नहीं लगा होगा। एक बार को यह भी हो सकता है कि जिस होटल में साक्षी और अजितेश रूके हुए थे, वहां उनके दोस्त और कुछ आदमी बस बिटिया का हाल-चाल लेने आये हो।

सोशल मीडिया कभी नायक कभी खलनायक

सोशल मीडिया पर मेरी प्रोफाइल से जुड़े हुए 3 ब्राह्मणों को यह बोलते सुना कि साक्षी ने अपने परिवार की इज्ज़त डूबा दी, उस बाप की इज्ज़त डूबा दी, जिसने उसे पाल-पोसकर इतना बड़ा किया।

अरे, मैं पूछता हूं कि आखिर क्यों डूबा दी इज्ज़त?

इज्ज़त की बात सिर्फ घर की लड़कियों से ही क्यों होती है?

क्योंकि एक तो वह भाग गई और दूसरा दलित के साथ भाग गई, जो कि तथाकथित ब्राह्मणों को हज़म नहीं हो रहा है। हमारा लड़का कल को किसी लड़की के साथ कहीं चला जाए, तो हमारे सम्मान को चूं तक नहीं होगा, हमारा लौंडा दारू पीकर लड़कियां छेड़े तो भी बहुत हुआ तो उसे डांटकर समझा देंगे लेकिन कसम से इज्ज़त की चूं भी नहीं होगी।

सबूत के साथ बात करूं तो भोजपुरी में एक गाना आया, गाने का टाइटल था, “पांडेय जी का बेटा हूं, चुम्मा चिपककर लेता हूं”, पूरा बिहार, पूरा पांडेय समाज गाने में थिरक-थिरककर नाचता रहा, फिर इस गाने के टक्कर में एक और गाना आया “पांडेय जी की बेटी हूं, चुम्मा चिपककर देती हूं”, बस फिर क्या था यह बात तो पूरे पांडेय समाज की इज्ज़त पर बन आई। पहुंच गए सब थाने शिकायत दर्ज कराने के लिए।

अब तो हम एक तरफ जहां साक्षी और अजितेश के साथ जात-पात के मुद्दे में बेइज्ज़त महसूस करने लगे, वहीं दूसरी ओर “वह लड़की इज्ज़त ले डूबी” वाला मुद्दा भी हम पर हावी हो गया। हम साक्षी की दशा समझे बिना, उसपर तमाम तरह के भद्दे कमेंट्स करने लगे।

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