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शिक्षा माफियाओं के घुसपैठ के बीच दम तोड़ती भारतीय शिक्षा व्यवस्था

स्टूडेंट्स

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एक तरफ देश में जहां बेरोज़गारी की समस्या विकराल रूप ले रही है, वहीं दूसरी तरफ देश की प्रतिभाएं ज़्यादा पैसे, अच्छे करियर और देश में उनकी प्रतिभा को उचित सम्मान और पैसा ना मिल पाने के कारण विदेशों की तरफ रुख कर जाते हैं। इस ब्रेन ड्रेन के लिए आखिर दोष किसे दिया जाना चाहिए?

आजकल कुकुरमुत्तों की तरह हर जगह नए-नए स्कूल और कॉलेज खुल रहे हैं, उससे तो लगता यही है कि देश में शिक्षा का बहुत प्रसार हो रहा है लेकिन शिक्षा की गुणवत्ता की ओर किसी का ध्यान नहीं जाता है। केवल आर्थिक लाभ के उदेश्य से खुलने वाले इन संस्थानों में किस स्तर की शिक्षा देश की भावी पीढ़ी को दी जा रही है, इसे जांचने के लिए क्या कोई व्यवस्था है?

कोचिंग के नाम पर मनमानी रकम की वसूली

ऐसे में “Why Cheat India” जैसी फिल्में हमारी आंख खोलने के लिए काफी हैं, जिसमें दिखाया गया है कि कैसे आजकल किशोरों से पहले तो कोचिंग के नाम पर मनमानी रकम वसूली जाती है फिर अपनी कोचिंग की साख बचाने के लिए डोनेशन देकर बड़े-बड़े कॉलेजों में दाखिला करवाया जाता है।

शिक्षा माफिया इसमें किस हद तक शामिल होते हैं, यह शायद ही कोई पता लगा सकता हो या फिर पता होने पर भी अभिभावक अपने बच्चे के भविष्य के नाम पर चुप हो जाते हैं। वे इन सबको अनदेखा कर इस कदर आंंखें मूंद लेते हैं कि यह भी नहीं सोचते कि आगे चलकर उनके बच्चे का भविष्य किस मोड़ पर खड़ा होगा?

फोटो साभार: Getty Images

भारत के उच्च शिक्षण संस्थानों और व्यवसायिक कोर्स कराने वाले कॉलेजों में शिक्षा माफियाओं की घुसपैठ इस कदर हो चुकी है कि इसने एक पूरी पीढ़ी के भविष्य को लगभग गर्त में धकेल ही दिया है। आज हालत यह है कि देश में मान्यता प्राप्त स्कूल-कॉलेज और विश्वविद्यालय कितने हैं, इसका ठीक-ठीक अंदाज़ा लगाना भी मुश्किल है।

इनकी बात भी छोड़ दें तो मान्यता प्राप्त संस्थानों ने भी अपनी शिक्षा प्रणाली में कोई खास सुधार नहीं किया है। शिक्षा में सुधार की ज़रूरत से ज़्यादा ध्यान वे बिल्डिंग्स और कैम्पस के रखरखाव में समझते हैं। तभी तो आजकल ऐसे शानदार भव्य कॉलेज देखने को मिलते हैं, जिन्हें देखकर फर्क करना मुश्किल होता है कि ये होटल हैं या कॉलेज? हम यहां घूमने आए हैं या पढ़ने, इसमें अंतर करना भी मुश्किल लगने लगता है।

शिक्षा के संदर्भ में अमिताभ बच्चन की यह वीडियो है प्रासंगिक

मैंने अमिताभ बच्चन जी को एक वीडियो में शिक्षा के महत्त्व पर बात करते हुए सुना था कि शिक्षा ऐसा इन्वेस्टमेंट हैं जिसका मुनाफा ज़िन्दगी के अंत तक मिलता रहता है। एक सामान्य जीवन जीने के लिए आधारभूत ज़रूरतों के अलावा शिक्षा मनुष्य की सबसे बड़ी ज़रूरत हैं।

मेरा भी कुछ ऐसा ही मानना है कि शिक्षा अर्जित की गई हो, ज्ञान पाने के  लिए मेहनत की गई हो, तभी वह सही मायनों में शिक्षा होगी, ना कि पैसों से खरीदी हुई डिग्रियों का पुलिंदा, जो रद्दी के भाव बेचने पर भी महज़ कुछ पैसे ही मिलेंगे।

सुपर-30 के ज़रिये भी समझ सकते हैं शिक्षा का महत्व

ऐसी ही कुछ सीख हाल ही में आई ‘सुपर 30’ फिल्म में मिलती है। वे बच्चे, जिनके घरों में दो वक्त के खाने के लिए भी पर्याप्त पैसे तक नहीं होते, वे भी सपने रखते हैं बड़े संस्थानों में पढ़ने का। उनमें भी उत्सुकता होती है, चीज़ों को समझने की। ज्ञान का हर एक कतरा आत्मसात कर लेने लिए वे किसी भी परिस्थिति में रहकर पढ़ने के लिए तैयार होते हैं। धन्य हैं ऐसे शिक्षक भी, जो उन बच्चों को आगे ले जाने के लिए अपना सर्वस्व त्याग देते हैं।

यह दोनों ही फिल्में काफी ज़्यादा संवेदशील मुद्दों पर बनी हैं, जो हर उस अभिवावक और विद्यार्थी, दोनों की आंख खोलने के लिए काफी हैं, जो शिक्षा प्राप्त करने से आशय सिर्फ डिग्रियों का पुलिंदा ऊंची कीमत अदा करके हासिल कर लेना समझते हैं।

देश में बढ़ती बेरोज़गारी की जड़ भी यही है कि हमारी डिग्रियां प्राइवेट और बहुराष्ट्रीय कंपनियों के मानकों पर फिट ही नहीं बैठती हैं, क्योंकि हमारे पास नॉलेज के नाम पर सिर्फ अधिकतम अंको से पास की गई मार्कशीट हैं। अर्जित किया गया ज्ञान दूर-दूर तक नहीं है।

हमने कोचिंग की, बड़े स्कूल और कॉलेजों से डिग्रियां ली, कम्पटीशन से अच्छा और बड़ा कॉलेज मिला तो ठीक, नहीं तो डोनेशन देकर हासिल कर लिया। जितना अधिक बन पड़ा, पैसे खर्च किए लेकिन अपने सुनहरे भविष्य के नाम पर कुछ हाथ नहीं आया क्योंकि हमारा ध्यान सिर्फ समाज को दिखाने के लिए अच्छे मार्क्स से मिली डिग्री पर था, जो हम आगे जाकर अपने मेहमानखाने की दीवार पर टांगने वाले थे।

शिक्षा में स्किल सिखने-सिखाने पर तो कभी ध्यान दिया ही नहीं गया। ज्ञान अर्जित करने का ख्याल तक दिमाग में नहीं आया। शिक्षा सिर्फ कागज़ के टुकड़ों की कुछ डिग्रीयां हासिल करने से पूरी नहीं होती। शिक्षा आपके अन्दर उत्सुकता पैदा करती है, चीज़ों को व्यापक तरीके से समझने का नज़रिया देती है और सोच विकसित करती है। इसलिए सही तरीकों से शिक्षा प्राप्त करने और खुद को योग्य बनाने पर ध्यान देना ज़्यादा ज़रूरी है।

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